उत्तर प्रदेश में कानून की धज्जियां पहले से ही उड़ती आ रही हैं, सरकारें आईं और गईं पर राज्य में कुछ बदलाव नहीं हुआ। देश में उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां आए दिन घटनाएं होती रहती हैं, कहीं गरीबी का मामला तो कहीं विस्थापितों का तो कहीं विकास का मुद्दा पर उत्तर प्रदेश में बस गोलियों की गूंज या फिर बलात्कार की घटनाएं आए दिन आती रहती हैं। भले ही किसी सर्वे ने ये ना दिखाया हो पर आप को सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों तक यूपी में हो रही घटनाओं के बारे में खबर दिखती रहेंगी।
उत्तर प्रदेश में हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिससे वहां के लोग दहशत में हैं। मैं इन मुद्दों पर आने से पहले यह भी बताना चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी जी ने “जनता दर्शन” का आयोजन किया था और कैमरे को दिखाने के लिए कि सरकार के द्वारा जनता की सेवा के निरंतर कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन जब शिक्षक भर्ती के बेरोजगार युवा अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
आम जनमानस के मुद्दों पर विफल सरकार का विकास का झूठा नाटक
मैं यह पूछना चाहूंगा कि यह किस प्रकार का जनता दर्शन है, जहां युवा बेरोजगार सरकार के समक्ष खुलकर अपनी बातें भी नहीं रख सकते? फोटोशूट कार्यक्रम तो अब आम बात हो गई है। कुछ प्रमुख न्यूज़ चैनल से लेकर न्यूज़ पेपर तक बिक चुके हैं, जिनमें सरकार की वाह-वाही भी होती रहती है, चलनी भी चाहिए वरना सरकार के मुखिया की कुर्सी छिन जाएगी, इसलिए लोगों में भ्रम फैलाते रहना है। अब बात करते हैं, उन मुद्दों पर जिन्हें मैं काफी दिनों से पढ़ रहा था, काफी कुछ बातें हैं, जो मैं यहां नही रख सकता पर कुछ बातें ज़रूर रख कर आप लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं।
जैसा कि आप सब आजकल सोशल मीडिया का इस्तेमाल तो काफी करते होंगे, अन्य न्यूज़ चैनलों से ज़्यादा तेज़ी से खबर इस सोशल मीडिया से बहुतायत लोगों तक महज़ कुछ क्षणों में ही पहुंच जाती है। जैसा कि हमें पता है हाल ही में उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में पंचायती चुनावों में समाजवादी पार्टी की एक महिला प्रत्याशी को सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपना नामांकन दर्ज़ करने से रोका ही नहीं गया बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ एवं बदतमीजी करने के साथ-साथ सरेआम उसकी अस्मिता पर भी हमला बोला गया।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा बिल की पेशकश
वहीं दूसरी ओर उत्तरप्रदेश के राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसमें यह बताया गया है कि दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। इस बिल के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे हुए तो वह सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले सकेगा और ना ही स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेगा और सरकारी नौकरियों में उसे मौका नहीं मिलेगा। इन दोनों मुद्दों पर हम बात करेंगे।
महिलाओं की सुरक्षा एवं अस्मिता की रक्षा करने में सरकार पूर्ण रूप से असफल साबित हुई है
हाथरस का मामला अब पूर्ण रूप से दब चुका है। लोग अब भूल चुके हैं कि प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित हैं या नहीं इस पर भी चर्चा करने वाला अब शायद ही कोई है। न्यूज़ चैनल भी इस मुद्दे पर एक या दो डिबेट चला देंगे और कुछ दिनों बाद मामले को ऐसे दबा देंगे जैसे एक बच्चा, एक क्लास से दूसरी क्लास में जाने के बाद अपनी पुरानी क्लास के सिलेबस को भूल जाता है बस उसी तरह प्रदेश में महिला सुरक्षा से जुड़ी सारी घटनाएं छू-मंतर हो जाती हैं। कुछ सालों पहले बलात्कार पीड़िता ने एक सत्ताधारी विधायक के खिलाफ आवाज़ उठाई थी, उसके बाद आरोपी विधायक द्वारा सरकार के साथ मिलकर पीड़िता व उसके परिवार को जान से मारने की कोशिश की गई थी और इस बार पंचायती चुनावों एक महिला प्रत्याशी का नामांकन रोकने के साथ सत्ताधारी पार्टी ने मानवता की सारी हदें ही पार कर दीं।
सरेआम सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक महिला की अस्मिता पर हमला किया
उस महिला के साथ सत्तारूढ़ पार्टी के बदमाश कार्यकर्ताओं के द्वारा छेड़छाड़ की गई, उसके साथ बदतमीज़ी की गई क्या यही है उत्तर प्रदेश की महिला सुरक्षा? जो आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि आप चौबीस घंटे हर वारदात को रोक सकते हैं, पर कुछ हद तक तो आप महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगा सकते हैं, क्योंकि यह संदेश पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जाता है कि भारत में महिलाएं अब भी असुरक्षित हैं।
देश को ऐसे कानून की ज़रूरत है, जिससे ऐसी घटनाओं को अंजाम वाले लोगों के लिए कानून का डर हो और वो ऐसी चीज़ें करने से पहले दस बार सोचें कि इसका अंजाम क्या होगा? आप अगर अपने राज्य में जनसंख्या का विधेयक ला सकते हैं तो आपके द्वारा प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा पर अब तक कोई विधेयक क्यों नहीं लाया गया या लाया जा रहा है? केंद्र में आपकी सरकार है बाकी राज्यों में जहां आपकी सरकार नहीं है, मुझे नहीं लगता है कि वहां की सरकारें महिला सुरक्षा विधयेक को पास करने से रोकेंगे जिस तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया है, उससे वाकई अब मुझे लगता है कि यह सोचने वाली बात है।
देश में महिलाओं की सुरक्षा हेतु हमें कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है
मैं आप सब से यह भी अपील करूंगा कि जो भी मेरे इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं। आप सभी भारतीय नागरिक हैं एवं हम सभी का फर्ज बनता है कि हमें महिलाओं की सुरक्षा पर आवाज़ उठानी चाहिए। आप कोई भी माध्यम से आवाज़ उठाएं, ताकि केंद्र में या आपके राज्य में, जो सरकार सो रही है, वो जाग जाए। चुनावों में मंत्री, विधायक, सांसद बड़ी-बड़ी बातें तो कह जाते हैं, लेकिन जब वो कुर्सी पर बैठ जाते हैं तब वो आम जनमानस से किए गए इन वादों को भूल जाते हैं और इन मामलों को चुपचाप दबा दिया जाता है। जो मंत्री विपक्ष पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े तंज कसते थे, वो भी महिला सुरक्षा पर या इस तरीके की घटनाओं पर अपनी चुप्पी साध कर छुप कर बैठ जाते हैं, आखिर क्यों? भारत के महिला आयोग को शर्म आनी चाहिए? हम इस विषय पर क्यों बात नहीं कर रहे हैं?
बाकी उत्तर प्रदेश राज्य में ऐसा कानून लाया जा रहा है, जहां आप दो से ज़्यादा बच्चे पैदा नहीं कर सकते हैं। मैं इस विधयेक का स्वागत करता हूं, लेकिन आप सभी की आदत है कि आप उन मुद्दों पर कानून नहीं बनाते जिनकी आम जनमानस को अभी बहुत ज़रूरत है। क्या सरकार उन वादों की लीपापोती करके, उन मुद्दों को ढ़क कर उन्हें नया रंग-रूप देकर अपनी विफलताओ को छुपाने का प्रयास तो नहीं कर रही है? मुझे नहीं पता, हम आम नागरिक केवल बस अनुमान लगा सकते हैं, असलियत तो अंदर क्या खिचड़ी पक रही है और किसको मिल रही है? वही जानते होंगे।
दो से अधिक बच्चे होने पर आधारभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित होगा आम जनमानस
यूपी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसमें सरकार यह कानून लाने जा रही है कि दो से अधिक बच्चे होने पर आपको ज़रूरी मूलभूत सुविधाएं नही दी जाएंगी। हालांकि, सरकारी नौकरी अब कहां मिल रही है? ये भी एक बहुत बड़ा प्रश्न है? इसमें सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव ना लड़ने की बात कही गई है और इसमें यह भी कहा गया है कि जिसके भी दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा।
यहां भी प्रश्न उठता है कि क्या वहां की जनता को पूर्व में पहले इन सुविधाओं का लाभ मिलता भी था? पंचायत चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं, आखिर क्या यह कानून कटौती करने के लिए लाया जा रहा है? क्या यह कानून सत्ता में बैठे मंत्रियों, विधायकों और आपके कार्यकर्ताओं पर भी लागू होगा या उन्हें स्पेशल डिस्काउंट देने का काम करेंगे?
क्या प्रदेश में सरकारी नौकरी की डिमांड इतनी बढ़ गई है और आप देने में असमर्थ हैं? इसलिए आप कहीं यह कानून लाकर अपनी विफलताओं को छुपाने का तो प्रयास नहीं कर रहे हैं? ऐसे प्रश्न काफी हैं और जवाब की उम्मीद बहुत कम है। राज्य का यह गलत कदम आम जनता के लिए मुसीबत ना खड़ी कर दे, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, वो इसी सोच में कुछ गलत ना कर बैठें, इन तमाम चीज़ों पर सरकार को नज़र रखनी होगी। कितने छात्र सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहे होंगे? क्या उनके लिए अब सरकार के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे? यह सोचने वाली बात है और आप भी सोचिए, हम भी सोच रहे हैं सोचने में कोई टैक्स नहीं लगता है और ना ही किसी का दबाव रहता है इसलिए सोचना हानिकारक नहीं है, इस पर ज़रूर सोचिए।
सरकार की नीतियां एवं कार्यशैली पूर्ण रूप से संदेहास्पद है
आबादी का ताल्लुक गरीबी, अशिक्षित होने से है जैसे-जैसे लोग शिक्षित होते जाएंगे ठीक वैसे-वैसे प्रदेश की आबादी धीमी होती जाएगी लेकिन मुझे नहीं लगता कि जनसंख्या को कम करने के लिए आम जनमानस के लिए इस काले कानून की ज़रूरत है। इसमें शिक्षा बड़ा मुद्दा है, जो हर चुनावी मैदान में कहा जाता है लेकिन ये मुद्दा ही रह जाता है तो कानून भी अच्छी शिक्षा व्यवस्था पर होना चाहिए ना जाने सरकार किस रास्ते पर भटक गई है, जहां जो मन में आए, उसे कानून बनाने के लिए तुली हुई है।
उत्तरप्रदेश में चुनाव आने वाले हैं और इससे पहले जनता बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था, गरीबी, विकास एवं अन्य मुद्दे उठाए, उससे पहले सरकार ने बड़ी चतुराई और अपने निक्क्मेपन से बढ़ती आबादी का सवाल खड़ा कर दिया है? आप इस पर सोचते रहिए और एक-दूसरे से बहस करते रहिए और परेशान होकर अपना सिर खुजलाते रहिए आखिर ये हो क्या रहा है? जो सरकार आम जनमानस को तरीके से नौकरी नहीं दे पा रही है, वह ऐसा लगता है कि जैसे जिनके बच्चे नहीं हैं, उन्हें न्यौता देकर बुलाया जा रहा हो कि आइए आपके लिए सीट खाली है और आप सरकारी नौकरी एवं योजनाओं का लाभ उठाएं।
मैं इन मुद्दों की बातों को अब विराम देना चाहता हूं और इससे मुझे एक कहावत याद आ गई “बोया बीज बबूल का तो आम कहां से होए” इसलिए भारतीय नागरिक होने के नाते अपने देश के प्रतिनिधियों से सवाल करिए और उनसे जवाब मांगिए और अगर वो जवाब नहीं देते हैं तो आप भी उन्हे अगली बार हाथ जोड़ने से पहले उन्हें अपने घर से बाहर का रास्ता दिखाएं।