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व्यंग्य: जो 70 साल से परेशान थे, अब अच्छे दिनों वाली रिपोर्ट ज़रूर पढ़ें

जो सत्तर साल से परेशान थे, अब अच्छे दिनों वाली रिपोर्ट ज़रूर पढ़ें (व्यंग्य)

शासन के छह साल, बेमिसाल (पढ़ते जाइए, आपकी आंखें खुलती चली जाएंगी)। सन 2014 से पहले तक इतिहास का वो दौर था, जब ‘हम भारत के लोग’ बहुत दु:खी थे। एक तरफ तो फैक्ट्रियों में रात दिन काम चल रहा था और कामगार इतने काम से दु:खी थे। अपनी मिलने वाली कम मासिक पगार से दु:खी थे। 

सरकारी बाबू का वेतन समय-समय पर आने वाले वेतन आयोगों से बढ़ रहा था। हर छ, महीने साल भर में 10% तक के मंहगाई भत्ते मिल रहे थे, नौकरियां सबके लिए खुली हुईं थीं। अमीर, गरीब, सवर्ण, शोषित, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके लिए यूपीएससी था, एसएससी था, रेलवे थी, बैंक की नौकरियां थीं। प्राईवेट सेक्टर उफान पर था। मल्टी नेशनल कम्पनियां आ रही थीं, जाॅब दे रही थीं। हर छोटे-बड़े शहर में ऑडी और जगुआर जैसी मल्टीनेशनल कार कंपनियों के शोरूम खुल रहे थे।

हर घर में एक से लेकर तीन चार तक अलग-अलग माॅडलों की कारें आ रही थीं। प्रॉपर्टी में बूम था। नोएडा से लेकर पुणे, बैंगलौर तक, कलकत्ता से बम्बई तक फ्लैटों की मारा-मारी मची हुई थी। फ्लैट बहुत महंगे बिकते थे, फिर भी उनकी बुकिंग कई सालों पहले की जाती थी।

मतलब हर तरफ, हर जगह अथाह दु:ख-ही-दु:ख पसरा हुआ था। लोग नौकरी मिलने से, वेतन, पेंशन और मंहगाई भत्ता मिलने से बहुत दु:खी थे। प्राईवेट सेक्टर, आई टी सेक्टर में मिलने वाले लाखों के पैकेज से लोग दु:खी थे। अपनी कारों से, प्रॉपर्टी से और अपने मन की शान्ति से लोग बहुत दु:खी थे। फिर क्या था? यूं कहें कि प्रभु से भारत की जनता का यह दु:ख देखा ना गया तब ‘अच्छे दिन’ का एक वेदमंत्र लेकर भारत की पवित्र भूमि पर अवतारी बाबा का अवतरण हुआ।

भये प्रकट कृपाला, दीन दयाला। जनता ने कहा कीजे प्रभु लीला,अति प्रियशाला। प्रभु ने अपने चमत्कार दिखाने आरम्भ किए। जनता चमत्कृत हो कर देखती रही। लगभग 10 फीसदी की रफ्तार से चलने वाली तीव्र अर्थव्यवस्था को प्रभु ने शून्य पर पहुंचाया और इसके लिए रात-दिन अपने अथक प्रयास किए कृपालु महाराज ने।

विदेशों से कालाधन लाने के बजाय, जनता का, बाप दादाओं का, खजाना खाली करवा दिया, क्योंकि देश की सारी जनता ही चोर निकली। देश की जनता ही सारा कालाधन छिपाए बैठी थी और हमारे प्रभु तो सर्वज्ञानी हैं। बाबा ने एक ही झटके में खेल दिया मास्टरस्ट्रोक और अपनी इस ऐतिहासिक लीला को नोटबन्दी का नाम दिया।

अब तमाम संवैधानिक संस्थाएं, रेलवे, एअरपोर्ट, दूरसंचार, बैंक, AIIMS, IIT, ISRO, CBI, RAW, BSNL, MTNL, NTPC, POWER GRID , ONGC, आदि जो पहले वाले क्रूर शासकों ने बनाई थीं। हमारे प्रभु ने उनको विध्वंस किया और उन्हें संविधान, कानून और नैतिकता के पंजे से मुक्त किया।

रिजर्व बैंक नाम की एक ऐसी ही संस्था थी, जो जनता के पैसों पर किसी नाग की भांति कुन्डली मार कर बैठी रहती थी। प्रभु ने उसका तमाम पैसा, जिसे जनता अपना समझने की भूल करती थी, तमाम प्रयासों से बाहर निकाल कर उस रिजर्व बैंक को पैसों के भार से मुक्त कर दिया। प्रजा को अपने पूज्यनीय प्रभु की इन सब बाल लीलाओं एवं  कार्यवाहियों से बड़ा आनन्द मिला और करताल ध्वनि से जनता ने उनका आभार व्यक्त किया और प्रभु के गुणगान में लग गई।

प्रभु ने ऐसे अनेक लोकोपकारी काम किए जैसे सरकारी नौकरियां खत्म करने का पूर्ण प्रयास, बिना यूपीएससी सीधा उपसचिव, संयुक्त सचिव नियुक्त करना, बड़े-बड़े पदों पर मनमानी नियुक्तियां, ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त करना, मंहगाई भत्ता रोकना आदि। 

पहले सरकारी कर्मचारी अपने वेतन आयोगों में 30 से 40% तक की वृद्धि से दु:खी रहते थे, फिर सातवें वेतन आयोग में जब मात्र 13% की वृद्धि ही मिली तब जाकर कहीं सरकारी कर्मचारियों को संतुष्टि मिली वरना पहले के क्रूर शासक तो कर्मचारियों को तनख्वाह में बढोतरी और मंहगाई भत्ता की मद में पैसे दे-देकर बिगाड़ रहे थे।

ठीक कहा ना प्रभु, जब आप अपनी बाल लीलाओं में व्यस्त थे, तभी कोरोना नामक एक देवी चीन से प्रभु की मदद को आ गईं। अब सारे शहर, गाँव, गली-कूचों में ताला लगा दिया गया। लोगों को तालों मे बंद करके आराम करने का आदेश हो गया। अब चारों ओर सर्वत्र शान्ति ही शान्ति हो गई। लोग घरों मे बंद होकर चाट-पकौड़ी, जलेबी, मिठाई का आनंद उठाने लगे।  

रेलगाड़ी और हवाई जहाज जैसी विदेशी म्लेच्छों के साधनों को छोड़कर लोग पैदल ही सैकड़ों हज़ारों मीलों की यात्रा पर निकल पड़े। फैक्ट्रियां, दुकानें सब बंद कर दी गईं। पिकनिक पर जाने के लिए कामगारों को नौकरियों से निजात दे दी गई। प्रभु और कोरोना देवी के द्वारा सबको गुलामों और घोड़ों की तरह मुंह पर एक पट्टा बांधना अनिवार्य कर दिया गया। जो लोग 2014 के पहले के तमाम लौकिक सुखों से दु:खी थे, उनमें अब प्रसन्नता का सागर हिलोरे मारने लगा। सर्वत्र स्वराज छा गया और देश में चारों ओर खुशहाली-ही-खुशहाली हो गई।

जनता जो 2014 से पहले आत्मनिर्भर थी, किसी सरकार की मोहताज नहीं थी, स्वावलंबी थी, उसे प्रभु ने सड़कों, पटरियों, पगडंडियों पर चलाकर गाँवों में पैदल-पैदल पहुंचा दिया। अब आगे प्रभु की लीला तो देखिए, जो गर्भवती महिलाएं, पहले डॉक्टर के कहने पर घर में पड़ी हुई रोटियां तोड़ती थीं, उन महिलाओं का ऐसा सशक्तिकरण कर दिया प्रभु ने कि वे ख़ुद ही सड़क किनारे बच्चे को जन्म देकर 160 किलोमीटर तक दौड़ रही हैं। पहले ऐसा चमत्कार कोई कर नहीं पाया था। 

प्रभु आपने तो छोटे-छोटे बच्चों को भी सशक्त और आत्मनिर्भर बना दिया है। हज़ारों, लाखों बच्चों को भी सड़कों पर अपनें माता-पिता के साथ पैदल चलते देखा जा सकता है। कुछ बच्चे तो अपने छोटे-छोटे पैरों से रिक्शा चलाकर परिवार को ढ़ोने में असीम खुशी पा रहे हैं। आप धन्य हैं प्रभु।

बाबाओं के राज में गरीबों की प्रभु को इतनी चिंता और फ़िक्र है कि देश का सारा खजाना उन पर न्यौछावर कर दिया। प्रभु ने 20 लाख करोड़ रुपये अमीरों को दे दिए, ताकि ये अमीर जीवनभर गरीबों को गुलाम बनाकर रखें और उनका शोषण करें। इस कार्य के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रभु।

यदि प्रभु के सारे कृत्यों के वर्णन किए जाएं तो सारे भारत की भूमि और सारी नदियों का जल भी लिखने के लिए कम पड़ जाए। थोड़ा लिखना और बहुत समझना, आप तो खुद ही बहुत समझदार हैं।

मैं देश नहीं बिकने दूंगा और देश में कुछ सरकारी नहीं रहने दूंगा। प्रभु की आगे की लीला के लिए प्रभु के दूरदर्शन पर प्रकट होने की प्रतीक्षा करें और उसके बाद उनका करताल ध्वनि से स्वागत करें। 

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