देश के जाने-माने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत के बाद मोदी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि पिछले कई महीने से जेल में बंद स्टेन स्वामी को मोदी सरकार ने सड़ाकर मार डाला।
जेल में बंद थे स्टेन स्वामी
भीमा कोरेगाँव हिंसा केस में स्टेन स्वामी को पिछले साल आतंकरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। 84 साल के स्टेन कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे, लेकिन उन्हें ज़मानत नहीं दी गई और आखिरकार उन्होंने सरकार के संरक्षण में अपना दम तोड़ दिया। 28 मई को कोर्ट के आदेश के बाद मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
मोदी सरकार ज़िम्मेदार है – हेमंत सोरेन
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने स्टेन स्वामी की मौत के लिए मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा ‘फादर स्टेन स्वामी’ की मौत की खबर से स्तब्ध हूं। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी आदिवासी अधिकारों के लिए समर्पित कर दी। मैंने उनकी गिरफ्तारी का सख्त विरोध किया था। केंद्र सरकार को इस उदासीनता और समय पर इलाज मुहैया ना कराने के लिए जवाबदेह होना चाहिए, जिससे उनकी मौत हो गई।
जेल में सड़ाकर मार डाला– दिलीप मंडल
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक प्रो दिलीप मंडल ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा है कि सरकार ने स्टेन स्वामी को जेल में सड़ाकर मार डाला। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा सरकार और न्यायपालिका ने 84 साल के बुड्ढे बीमार, चलने-फिरने से लाचार, आदिवासी अधिकारों के समर्थक स्टेन स्वामी को बिना दोष सिद्ध हुए जेल में सड़ाकर मार डाला, लानत है।
गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मोदी और शाह के हाथ स्टेन स्वामी के खून से रंगे हैं।
एल्गार परिषद मामले में और भी कई दलित, आदिवासी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को मोदी सरकार ने जेल में बंद कर रखा है। सरकार विरोधी आवाज़ों को यूं दबाना तानाशाही नहीं माना जाए तो और क्या माना जाए? ये लोकतंत्र के लिए शर्मसार करने वाला दिन है।