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“महिला उद्यमिता के बहुआयाम एवं उनसे आत्मनिर्भर बनती महिलाएं”

"महिला उद्यमिता के बहुआयाम एवं उनसे आत्मनिर्भर बनती महिलाएं"

मानवीय सभ्यता के उद्भव व विकास में पुरुष और स्‍त्री दोनों ने समान रूप से ही अपना योगदान दिया है। आदिम युग में स्‍त्री ने भी बच्‍चों के पालन-पोषण के साथ ही मानव की संतानों को संस्‍कृति का हस्‍तानान्‍तरण किया पर विडम्‍बना यह है कि इस युग में पुरुष अपनी आदिमकालीन चेतना को भूल गया है, जिसमें पुरुष व स्‍त्री दोनों को ही समान अवसर प्राप्‍त थे।

भारतीय महिलाएं स्‍वभाव से ही उद्यमी होती हैं। महिलाओं को उनके घरेलू कार्य व प्रबंधन के लिए कोई वेतन नहीं दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार उनके इन कार्यों को जोड़ लिया जाए तो सकल घरेलू उत्‍पाद में 15 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी।

 महिला उद्यमिता लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को मज़बूत करने में सहायक है 

महिला उद्यमिता व महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा माध्‍यम है कि इसके द्वारा अन्‍य चुनौतियों जैसे – गरीबी, असमानता, मानवाधिकारों का हनन व क्षेत्रीय असमानता को भी कम किया जा सकता है। आज पूरे विश्‍व में महिला उद्यमिता विकास जैसा विषय सभी का ध्‍यान अपनी ओर खींच रहा है।

हमारे देश में महिला उद्यमिता के विकास में कई समस्याएं हैं, जिसके कारण महिलाओं को उचित स्‍वरोज़गार का माहौल नहीं मिल पाता है। सामाजिक रीति-रिवाज, घरेलू दायित्‍व, उद्य‍मिता प्रशिक्षण का अभाव, पूंजी का अभाव आदि ऐसी बहुत समस्याएं हैं, जिनमें महिलाओं को जूझना पड़ता है। महिला उद्यमिता से महिलाओं को निर्णय, स्‍वामित्‍व का अधिकार तो मिलता है बल्कि समाज में उद्यमिता का एक कुशल इको तंत्र भी विकासित होता है। यह इस संदर्भ में भी ज़रूरी है कि वर्ष 2001 की जनसंख्‍या के अनुसार बाल लिंगानुपात 927 था, जो वर्ष 2011 की जनसंख्‍या में घटकर 914 हो गया है। वाकई यह स्थिति बहुत गंभीर है, जो महिलाओं के अस्तित्‍व के लिये एक बड़ा खतरा है।

उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाओं की तुलना में सर्वाधिक पुरुषों का दबदबा 

देश में एमएसएमई के 608.41 लाख उद्यम स्‍वामित्‍व वाले उद्यम हैं, जिसमें पुरुष मालिकों का सर्वाधिक वर्चस्‍व देखा गया है। पुरुष स्‍वामित्‍व वाले उद्यमों का प्रतिशत 79.63% है जबकि महिला स्‍वामित्‍व वाले उद्यमों का प्रतिशत 20.37% है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्‍वामित्‍व वाले उद्यमों का प्रतिशत 22.24% प्रतिशत है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत तुलनात्‍मक रूप से कम 18.42% प्रतिशत है। महिला उद्यमियों का प्रतिशत सूक्ष्‍म क्षेत्र में 20.4% है, लघु क्षेत्र में 5.25% तथा मध्‍यम क्षेत्र में 2.67% प्रतिशत है।

महिला उद्यमिता के द्वारा महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति मज़बूत करके क्षेत्रीय विकास को बल दिया जा सकता है। भारत के सूक्ष्‍म, लघु व मध्‍यम उद्यम ऐसा क्षेत्र है, जहां महिलाएं बहुत पुराने समय से संलग्‍न हैं और इस क्षेत्र में अपना बहुत अच्‍छा प्रदर्शन कर रही हैं। गाँव-देहातों व कस्‍बों में कृषि के साथ-साथ ग्रामोद्योग को भी बढ़ाना एक प्रभावी कदम होगा। 

ग्रामीण महिलाओं में उच्‍च कोटि की उद्यमिता होती है, अब सवाल यह है कि कैसे उनमें उद्यमिता की भावना जगाई जाए और उन्हें संगठित किया जाए? एक शोध में निकला है कि महिलाएं समूह बनाकर किसी कार्य को बेहतरीन तरीके से करती हैं। चाहे वह पापड़, मोमबत्ती, नमकीन व हस्‍तशिल्‍प कोई भी सूक्ष्‍म व लघु उद्योग हो, वह महिलाओं के लिए स्‍वाभाविक है।

महिला उद्यमिता के द्वारा भारतीय महिलाएं देश की अर्थ व्यवस्था में एक गेम चेंजर की भूमिका निभा सकती हैं। हमारे वि‍विध प्रयासों के द्वारा ही महिला उद्यमिता के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाया जा सकता है। जेण्‍डर बजटिंग एक शक्तिशाली क्षेत्र है, जिसके द्वारा महिलाओं को राष्‍ट्र की मुख्‍यधारा में लाते हुए और उनके लिए पुरुषों की भांति ही आर्थिक विकास के समान लाभ व अवसर सुनिश्चित करना है। 

शिक्षण एवं उचित प्रशिक्षण के द्वारा महिलाओं में कौशल विकास किया जा सकता है 

शिक्षण व प्रशिक्षण के द्वारा महिलाओं में कौशल विकास किया जा सकता है। उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के द्वारा उद्यम के व्यावहारिक पक्ष से महिलाओं को अवगत कराकर उनमें आत्‍मविश्‍वास लाया जा सकता है। इनमें महिलाओं के स्‍वयं सहायता समूहों की बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका है। गाँवों व कस्‍बों में इन समूहों के द्वारा महिला शक्ति को संयुक्‍त किया जाता है। पिछड़े क्षेत्रों, गाँवों आदि में महिलाओं को उद्यमिता के प्रति जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायतों एवं स्थानीय निकायों आदि को सम्मिलित करने से अच्‍छे परिणाम आएंगे।

महिला उद्यमिता को बढ़ाने के लिए भारत सरकार, बैंक व राज्‍य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं। महिला उद्यमिता को छोटी सी मदद मिलने पर वे अपनी क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती हैं। एमएसएमई मंत्रालय के  प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के तहत महिला उद्यमियों को अतिरिक्‍त सब्सिडी तथा वरीयता दी जाती है।

ऋण-सह-सब्सिडी वाली इस स्‍कीम के ज़रिये सूक्ष्‍म एवं लघु उद्योग ऋण गारंटी निधि योजना के अधीन प्रदत्त ऋण के लिए सामान्‍यत: 75 प्रतिशत तक गारंटी उपलब्‍ध होती है, किन्‍तु महिलाओं के स्‍वामित्‍व वाले और उनके द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले उद्यमों के लिए यह गारंटी 80 प्रतिशत तक है।

कॉयर बोर्ड की महिला केयर योजना के द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है 

कॉयर बोर्ड द्वारा महिला केयर योजना के तहत महिलाओं को स्‍वरोज़गार स्‍थापित करने हेतु उचित अवसर प्रदान किए जाते हैं। इसमें 75 प्रतिशत की सब्सिडी से केयर यार्न कताई, प्रसंस्‍करण उपकरण व मशीनें आदि उपलब्‍ध कराई जाती हैं।

नारियल के पेड़ के अपशिष्‍ट कॉयर के विविध प्रयोग हैं। कॉयर श्रमिकों में 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। उद्यमिता के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट प्रदेर्शन करने वाली महिलाओं को संवर्ग में पुरस्‍कार भी दिए जाते हैं। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा दो विशेष स्‍कीमें – महिला उद्यमी निधि एवं महिला विकास निधि महिलाओं के आय अर्जन हेतु चलाई जा रही हैं। राष्‍ट्रीकृत बैंकों द्वारा भी महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। मुद्रा योजना, स्‍टैंडअप योजना, स्‍टार्टअप आदि योजनाएं देश में महिला उद्यमिता को मज़बूत करने वाली हैं। वहीं उद्यम सखी महिला उद्यमियों के नेटवर्क को मज़बूत करने वाला पोर्टल है।

आज महिलाएं केवल पापड़ व अचार नहीं बना रही हैं बल्कि विभिन्‍न आधुनिक क्षेत्रों जैसे- पर्यटन, शिक्षण, सौन्‍दर्य व फैशन, इंटीरियर डिजायनिंग, इंजीनियरिंग में बखूबी से अपना मोर्चा संभाल रही हैं। महिला उद्यमशीलता के बहुआयामी परिणाम होते हैं, केवल परिवार व समुदायों की आर्थिक संपन्‍नता बढ़ने के साथ-साथ इससे एक मज़बूत व समृद्ध राष्‍ट्र भी बनता है। महिला उद्यमिता वह बाण है, जिसके द्वारा देश की विभिन्‍न सामाजिक व आर्थिक समस्‍याओं को कुशलता से समाप्‍त किया जा सकता है।

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