बलात्कार एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही एक औरत की रूह कांप जाती है। इस शब्द का मतलब ही होता है कि इंसानियत को शर्मसार करना। यह दुनिया में होने वाले अपराधों का सबसे घिनौना रूप है लेकिन आजकल यह शब्द सुनना सामान्य हो गया है। देश के अखबारों में आए दिन कहीं-ना-कहीं से बलात्कार की खबरें आती रहती हैं।
आप टीवी देखो या न्यूज़ पेपर आपको उनमें कुछ सुनने या देखने को मिले-ना-मिले, लेकिन बलात्कार की खबरें ज़रूर मिलेंगी। देश में अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि ऐसी खबरों को लोग देखते हैं और अगले दिन भूल जाते हैं और यह कहते हैं कि आजकल दुनिया बहुत खराब है।
यही नहीं अब मीडिया वालों को भी देश में होने वाली ऐसी खबरों से कोई फर्क नहीं पड़ता, वो ऐसी खबरों पर तभी प्रकाश डालते हैं, जब लड़की के साथ इतना बुरा हो जाता है कि वो खुद मर जाती है या उसे बुरी तरीके से मार दिया जाता है और नहीं तो उस घटना से कोई नामचीन आदमी जुड़ा हो। तभी हमारी देश की मीडिया ऐसे घटनाओं को तवज्जो देती है।
देश में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं?
अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के सीधी से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहां निर्भया से भी ज़्यादा क्रूरता देखने को मिली है। यहां एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कर किया गया और उसके बाद महिला के हाथ, पैर काट कर और उसके गुप्तांग में पत्थर भर कर महिला के शव को जलाकर सोन नदी में फेंक दिया गया।
वहीं गोवा में एक समुद्र तट पर दो नाबालिग लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और जिस पर कुछ कहने को नहीं मिला तो वहां के मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि बच्चे अपने माता-पिता की नहीं सुन रहे हैं, हम पुलिस पर सारी ज़िम्मेदारी नहीं छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि समाज में माता-पिता को यह सोचने की ज़रूरत है कि उनके बच्चे रात में समुद्र तटों पर क्यों घूमते हैं?
आखिर कब तक देश की बेटियों के साथ ऐसी दरिंदगी होती रहेगी? देश की सरकार कब तक चुपचाप यह तमाशा देखती रहेगी और सवाल पूछने पर ऐसे बेतुके और असंवेदनशील जवाब देगी। मैं वहां के मुख्यमंत्री जी से बस इतना पूछना चाहती हूं कि ये बच्ची तो देर रात को बाहर थी तो उसके साथ बलात्कार की यह अमानवीय घटना हुई लेकिन उन हज़ारों मासूम लड़कियों का क्या जिनका बलात्कार दिन के साए में घर से बाहर निकलने पर हुआ, बाज़ार जाते, खेलते हुए, यात्रा करते हुए, स्कूल जाते हुए इसमें किसकी गलती है? कृपया आप मुझे बताएं।
देश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी
हमारे देश में दिन-प्रतिदिन बलात्कार के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अगर हम सिर्फ हमारी राजधानी दिल्ली के आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किए गए डेटा के मुताबिक, इस साल 15 जून तक दिल्ली में 1,23295 बलात्कार के मामले दर्ज़ हुए हैं। वहीं पिछले साल ऐसी घटनाओं के 1,13855 मामले दर्ज़ हुए थे। इस साल 15 जून तक देश की राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन कम से कम पांच लोगों के साथ बलात्कार और छह का यौन उत्पीड़न किया गया।
समाज में महिलाओं को लेकर बढ़ता लैंगिक भेदभाव एवं द्वेष
इस से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस हमारे देश एवं समाज में लड़कियां कितनी सुरक्षित हैं? वर्तमान में देश के हालात ऐसे हो गए हैं कि लड़कियों को अपने घर से बाहर जाने से पहले सौ बार सोचना पड़ता हैं। अब देश के ऐसे हालातों में लड़कियां कैसे पढ़ेंगी और कैसे आगे बढ़ेंगी? हमारे समाज में बात की जाती है महिलाओं के सशक्तिकरण की, उनकी बराबरी की। क्या यह है हमारे समाज का महिला सशक्तिकरण? और वो समाज, जो कहता है कि मर्द और औरत बराबर हैं, जहां घर से बाहर निकलते ही रेप हो जाता है।
यह वो समाज है, जो कहता तो है मर्द और औरत बराबर है पर महिलाओं की पुरुषों के साथ बराबरी देख नहीं पाता है। इस समाज में बहुत कम ऐसे लोग हैं, जो महिलाओं की पुरुषों के साथ बराबरी देख सकते हैं वरना बाकी तो बस इस फिराक में रहते हैं कि कब कैसे औरतों का इस्तेमाल किया जाए।
प्रिय समाज के पुरुषों सोचो ! आप कितने गिर गए हो कि जो औरत तुम्हें इस दुनिया में लाती है, तुम उन्हें ही इस दुनिया में जीने नहीं दे रहे हो। यहां, मैं उन मर्दों के बारे में बात कर रही हूं, जिनकी सोच घटिया है। आप और आपकी मानसिकता कितनी गिरी हुई है कि आप बड़े, बुजुर्ग, बच्ची किसी को भी नहीं छोड़ रहे हो। ऐसा सोचते हुए भी तुम्हें खुद से घिन आनी चाहिए।
पिछले दिनों मानवता को शर्मसार कर देने वाली कुछ घटनाएं
. 5 दिन पहले उत्तरप्रदेश में 9 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया।
. कुछ दिन पहले उत्तरप्रदेश में डेढ़ वर्ष की बच्ची के साथ 30 वर्ष के आदमी ने बलात्कार किया।
. हरियाणा के रेवाड़ी में एक 10 साल की मासूम के साथ 7 लोगो ने मिलकर गैंगरेप किया और उसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
. महाराष्ट्र के अंधेरी में एक 16 साल की नाबालिग लड़की को ऐफ्रडिजीऐक इंजेक्शन लगाकर आठ सालों तक लगातार बलात्कार किया गया।
. वही कुछ महीने पहले बेंगलुरू में एक बुजुर्ग पुजारी ने 10 साल की मासूम लड़की के साथ रेप किया।
. छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार ज़िला में 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया और उसे जान से मार दिया। वहीं राजनांदगाँव ज़िले में 15 साल बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ।
यह सब लिखते हुए मुझे भी दर्द होता है और मेरी रूह भी कांप जाती हैं। आप जरा सोचिए, जिनके साथ ऐसी अमानवीय घटनाएं हुई हैं और उन पर उस समय क्या बीती होगी। ऐसी ना जाने कितनी अनगिनत घटनाएं हैं, जो अंदर से आत्मा को झकझोर कर रख देती हैं। मुझे लगता है कि समाज में सबसे पहले बलात्कार जैसे घिनौने अपराध को खत्म करना चाहिए। सरकार को इस अपराध को समाप्त करने के लिए कुछ ऐसे कठोर कदम उठाने चाहिए, ताकि बलात्कार के बारे में सोचने से पहले बलात्कारियों की रूह कांप जाए।
सरकार को देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने होंगे
यदि हम बस ऐसे ही देखते रहे और सजा के नाम पर कुछ सालों के अपराधियों को जेल भेजते रहे तो कुछ सुधरने वाला नहीं है, क्योंकि फिर वो अपराधी कुछ साल बाद बाहर आएगा और फिर ऐसी हरकत करेगा और इससे दूसरे अपराधियों को भी बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि उनके दिमाग में यह बैठा हुआ है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा क्या होगा? हम बस कुछ सालों के लिए जेल जाएंगे।
देश में अगर ऐसे ही हालात दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होते रहे तो मुझे नहीं लगता कि इस समाज में कोई औरत ज़िन्दा रहेगी, क्योंकि बलात्कारियों को कुछ सालों की सजा देकर छोड़ दिया जाता है, उन सबको उम्रकैद और मौत की सजा क्यों नहीं दी जाती?
एक लडकी के साथ जब बलात्कार होता है तब या तो वो मर जाती है नहीं तो उसे मार दिया जाता है। अगर वह ज़िन्दा बच भी जाती है तब भी उसकी पूरी ज़िन्दगी खराब हो जाती है। वो ज़िन्दा रहते हुए भी एक मरे हुए इंसान के समान होती है, फिर बलात्कारियों को मौत क्यों नही दी जाती है? सरकार इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कोई कठोर कदम क्यों नहीं उठाती है? जिससे लड़कियां देश एवं समाज मे खुद को सुरक्षित महसूस करें।
आप जरा सोचिए कि हमारे देश के आज़ाद होने के बाद से लेकर अब तक कितनी ही बलात्कार की अमानवीय घटनाएं हुईं हैं और उनमें से कितने अपराधियों को मौत की सजा हुई है? यह कड़वी सच्चाई है, हमारे इस समाज की जहां औरतों को इंसाफ, इज्जत, बराबरी सिर्फ सोशल साइट्स पर दी जाती है।
हमारे देश में देवी कहलाए जाने वाली महिलाओं के साथ बलात्कार किए जाते हैं, सरेआम उन्हें गालियां दी जाती हैं, उन्हें डराया, धमकाया जाता है और कुछ नहीं तो हमारे सभ्य समाज में उनके कपड़े को लेकर उन्हें जज किया जाता है। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि आप सब अपनी सोच बदलें और औरतों की इज्जत करें। उनको देखने का नज़रिया बदलें, क्योंकि जब तक आपकी उनकी बारे में सोच और उन्हें देखने का नज़रिया नहीं बदलेगा तब तक समाज में औरतों के प्रति होने वाले अपराध खत्म नहीं होंगे।