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सरकार में व्याप्त नौकरशाही के कारण उचित राशन की दुकानों में हो रही अनाज की कालाबाज़ारी

सरकार में व्याप्त नौकरशाही के कारण उचित राशन की दुकानों में हो रही अनाज की कालाबाज़ारी

हमारा देश भारत एक विकासशील देश है। हमारे देश को आज आज़ाद हुए 74 साल हो चुके हैं। देश ने विभिन्न क्षेत्रों में आज काफी तरक्की कर ली है। आज हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, परन्तु फिर भी 135 करोड़ की आबादी वाले इस देश में आज भी लाखों लोगों को दो वक्त का खाना तक नसीब नहीं होता है।

देश की गरीबी, आज भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। केंद्र एवं राज्य सरकारें तरह-तरह की योजनाएं चला कर देश के हर गरीब व्यक्ति तक सस्ता राशन पहुंचाने का पूरा प्रयास करती हैं, परन्तु सिस्टम में बैठे सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार के कारण उस गरीब व्यक्ति तक उसका उचित राशन नहीं पहुंच पाता है, जिसका वह हकदार है।

देश का किसान अनाज उगाता है, जिसे केंद्र एवं राज्य सरकारें न्यूनतम विक्रय मूल्य पर खरीदती हैं। उसके पश्चात यह राशन भारतीय खाद्य निगम की देख-रेख में रखा जाता है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रत्येक राशन कार्ड धारक को सस्ते दामों पर राशन मुहैया करवाया जाता है।

गेहूं 2 रुपये किलो, चावल 3 रुपये किलो एवं चीनी 30 रुपये किलो के हिसाब से प्रत्येक परिवार को उनकी ज़रूरत के अनुसार राशन दिया जाता है, परन्तु राशन बांटने वाले सरकारी लोगों के द्वारा की जाने वाली कालाबाज़ारी के कारण हर व्यक्ति को उसका राशन नहीं मिल पाता है।

सरकारी उचित राशन की दुकानों में हो रही है अनाज की कालाबाज़ारी 

हाल ही में दिल्ली के दक्षिण-पश्चिमी ज़िले के विपिन गार्डन इलाके की राशन दुकान में हो रही कालाबाज़ारी का मामला सामने आया है। हाल यह है कि जो राशन की दुकान पूरे महीने खुलनी चाहिए, वो मात्र हफ्ते भर भी बड़ी मुश्किल से ही खुलती है। यहां के लोग बताते हैं कि दुकान के खुलने का भी कोई निश्चित समय नहीं है। महीने में कुछ ही दिन दुकान खुलने के कारण राशन लेने के लिए लोगों को काफी लम्बी-लम्बी लाइनों में लगना पड़ता है। 

लोगों ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताई, जिसमें उन्होंने कहा कि राशन की दुकान किराये पर ली हुई है, जिस कारण राशन वाले काफी सारा राशन दुकान के मालिक को ब्लैक में बेच देते हैं, जिस कारण राशन सभी लोगों को नहीं मिल पाता है। लोगों का कहना है की राशन वाला अपने कई जानकारों को भी राशन ब्लैक में बेचता है, जिससे वह अपनी जेब भरता है।

इस दुकान से करीब 800 राशन कार्ड धारक जुड़े हुए हैं, परन्तु सिर्फ 600-650 लोगों को ही उनका राशन मिल पता है। बाकी बचे हुए लोगों का राशन ब्लैक में बेच दिया जाता है, जिस कारण 100 से 150 लोगों को हर महीने उनका राशन नहीं मिल पाता है। उच्च सरकारी अधिकारियों द्वारा भी यहां किसी प्रकार की जांच नहीं की जाती जिसके कारण यह कालाबाज़ारी अब तक धड़ल्ले से चल रही है।

दिल्ली सरकार ने अनाज की कालाबाज़ारी को रोकने हेतु डोर स्टेप डिलीवरी योजना की शुरुआत की 

यह हाल किसी एक राशन की दुकान का नहीं है, बल्कि शहर की बाकी दुकानों में भी इसी प्रकार से गरीबों का राशन लूटा जा रहा है। दिल्ली सरकार ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए इस कालाबाज़ारी को खत्म करने के लिए राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें दिल्ली सरकार 2 रुपये प्रति किलो गेहूं को 2 रुपये प्रति किलो गेहूं पिसाई के अनुसार 4 रुपये प्रति किलो आटे के हिसाब से लोगों के घर-घर राशन पहुंचाएगी।

इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की कोई कालाबाज़ारी ना हो, इसलिए सरकार राशन कार्ड धारकों के कार्ड को उनके आधार कार्ड से जोड़ेगी जिस कारण सारा सिस्टम ऑनलाइन हो जायेगा, जिससे राशन का सटीक हिसाब रखा जा सकेगा कि किस परिवार को कितना राशन मिला है और किसे नहीं? इससे लोगों को भी लम्बी-लम्बी लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा एवं हर व्यक्ति अपना राशन आराम से ले पाएगा।

राजनैतिक दांव-पेंच की स्स्साकशी का शिकार हो गई योजना 

वर्तमान में डोर स्टेप डिलीवरी योजना को लेकर दिल्ली एवं केंद्र सरकार के बीच थोड़ी राजनीतिक रस्सा-कशी शुरू हो गई है, जिसमें सरकार दिल्ली में इस योजना को लागू करना चाहती है, परन्तु केंद्र सरकार राजनीतिक लाभ के लिए इस योजना को दिल्ली में लागू नहीं होने देना चाहती है।

हालांकि, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, परन्तु भविष्य में यदि यह योजना लागू होती है, तो दिल्ली के लाखों राशन कार्ड धारकों को इससे निश्चित रूप से फायदा मिलेगा, जिससे उनका राशन बिना किसी कालाबाज़ारी के उनके घर तक आसानी से पहुंच पाएगा।

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