आप सभी जानते हैं कि किसी भी आवाज़ को तेज़ी से फैलाने का तरीका मीडिया है। लेकिन, क्या आज मीडिया द्वारा देश के आम जनमानस को सच दिखाया जाता है?
भारतीय मीडिया की आवाज़ समयानुसार बदलती रहती है
भारतीय मीडिया की आवाज़ कभी सच होती है, तो कभी झूठ होती है। पिछले कुछ सालों से जनता के सवालों के जवाब ना, तो सरकर दे रही है और ना ही मीडिया उनकी आवाज़ को दिखा रही है। सिर्फ सरकार की सही हो या गलत बातों को मीडिया सुबह से शाम तक दिखाने में लगी हुई है।
बात शाहीन बाग की हो या किसान आंदोलन की या बात कोरोना के मामले को लेकर हो या किसी भी बात को सही तरीके से मीडिया जनता को नहीं दिखाती है। वह सिर्फ दिखाती है, तो सरकार की नीतियों को दिखाती है। आज सभी के दिमाग मे एक ही बात आती है कि क्या भारतीय मीडिया बिकी हुई है? आखिर ऐसी बात क्यों सोचनी पड़ रही है? क्या सारी जनता गलत है? या मीडिया सही है?
आखिर बहुत सारे सवाल जनता के मन में हैं, जिनको कोई सुनने वाला ही नहीं है। यह बात सोचने की है कि भारत एक स्वतंत्र देश है, उसके बावजूद भी मीडिया का मज़बूत स्वतंत्र होने का दावा करना आज दिखावा सा लगने लगा है। जब सरकार से सवाल पूछना होता है, तो भारतीय मीडिया चुप हो जाता है और सही बात को छुपाने में लग जाता है।
वर्तमान समय में किसान, मज़दूर, गरीब वंचित लोगों की आवाज़ को सुनने वाला कोई भी नहीं है। सच, तो यह है कि मीडिया भी उसी आवाज़ को जनता में फैलाता है, जिससे उसे फायदा हो।
भारत देश किस तरफ जा रहा है, सच्चाई कोई नहीं दिखा रहा मीडिया आखिर चुप क्यों है?
क्या मीडिया सच छुपाता है? क्या मीडिया बिक चुका है? लोगों के मन में इस तरह के अनेकों सवाल मन में आ रहे हैं और देखा जाए, तो जनता के मन में जो सवाल हैं उनका जवाब आखिर कौन देगा? कोई है क्या?
भारत देश किस तरफ जा रहा है, इस बात की सच्चाई कभी मीडिया नहीं दिखाता। सिर्फ जनता की आवाज़ को छुपाता है। उस आवाज़ को मीडिया छुपाता है, जिस आवाज़ से देश को चलना चाहिए। सही कहूं, तो सभी मीडिया चैनलों का अपनी-अपनी टी.आर.पी पर ध्यान है। हर मीडिया चैनल चाहता है कि मेरा चैनल नंबर एक पर पहुंच जाए। यही मीडिया का मूल मंत्र चल रहा है।
क्या भारतीय मीडिया बिक चुका है?
अब आम जनता के मन मे मीडिया को लेकर एक ही आवाज़ आती है कि भारतीय मीडिया बिक चुकी है। जनता एवं सच्चाई की आवाज़ को उसके द्वारा छुपाया जाता है। आपको लगता है कि क्या जनता झूठ बोलेगी? मुझे लगता है, जी नहीं, क्योंकि जनता को किसी भी प्रकार का लालच नहीं है। जनता सिर्फ अपने अधिकारों के लिए मीडिया के माध्यम से आवाज़ उठाना चाहती है, लेकिन अब ऐसा बहुत ही मुश्किल है।
कुछ राजनीतिक दल मीडिया के जरिये अपनी सही या गलत बातों को मीडिया को खरीद कर फैलाते हैं, ताकि उन्हें सत्ता का अधिकार मिल सके। लेकिन, इस बात से पता चलता है कि स्वतंत्रता नाम की हो चुकी है। हम सब जानते हैं कि देश को नीचे ले जाने में सबसे बड़ा हाथ मीडिया का ही है।
मेरा तो यही कहना है कि अगर भारतीय मीडिया एक सच्ची ईमानदारी के अनुसार चले, तो भारत देश में खोई हुई स्वतंत्रता फिर से लौट आएगी और जनता की आवाज़ फिर से बुलंद होने लगेगी और सत्तादल पार्टी को जनता की आवाज़ को सुनना ही होगा।