पिछले कुछ सालों में इंटरनेट और आम जनमानस में वेब सीरीज का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ा है। हिन्दी वेब सीरीज की दुनिया में टीवीएफ यानी द वायरल फीवर की सीरीज “परमानेंट रूममेट्स” का नाम सबसे ऊपर आता है, जिसके बाद भारत में हिन्दी वेब सीरीज की एक नई शुरुआत होती है। “परमानेंट रूममेट्स” के सफल होने के बाद कई ढेर सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म भी लॉन्च हुए, जिन पर वेब सीरीज के अलावा टेलीविज़न कार्यक्रमों और फिल्मों का भी प्रदर्शन होने लगा। बीते दो सालों में खास तौर पर साल 2020 में कोरोना महामारी के शुरुआत के बाद से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर जैसे वेब सीरीज और फिल्मों की बाढ़ सी आ गई।
लोगों को हिन्दी वेब सीरीज के पसंद आने का प्रमुख कारण, उनके कंटेंट में देशीपन, यथार्थ से नजदीकी, बीच में विज्ञापनों का ना होना या कम होना और कम खर्च में अधिक कंटेंट का उपलब्ध होना है। वेब सीरीज को युवा वर्ग के अलावा अन्य वर्ग के लोग भी पसंद कर रहे हैं। आज नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राईम, हॉटस्टार, सोनी लिव, जी-5 आदि जैसे कई प्रचलित ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं, जहां एक के बाद एक बेहतरीन सीरीज और फिल्में रिलीज हो रही हैं और सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म के अपने कुछ मानक चार्ज भी हैं, जिसका भुगतान कर दर्शक घर बैठे वेब सीरीज, फिल्मों को देखकर अपना मनोरंजन कर रहे हैं।
क्यों चर्चा में है टीवीएफ की सीरीज़ Aspirants?
इसी बीच टीवीएफ ने हाल ही में एक बार फिर अपनी एक वेब सीरीज Aspirants रिलीज की है, जो कि इन दिनों चारों ओर चर्चा का विषय बनी हुई है। इस सीरीज को नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राईम, हॉटस्टार आदि जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म के बजाय टीवीएफ ने अपने यूट्यूब चैनल पर ही रिलीज किया है, जहां दर्शकों से किसी भी प्रकार का चार्ज नहीं लिया गया है। हालांकि, टीवीएफ शुरुआत से ही अपनी रचनात्मकता, बेहतर स्क्रिप्ट और शानदार अदाकारों के चयन को लेकर चर्चा में रहता है, लेकिन मौजूदा महामारी के समय में जब देश-दुनिया में अफरातफरी मची हो, हर जगह निराशा ही निराशा हो साथ ही साथ जब युवा बेरोजगारी से परेशान हो ऐसे में Aspirants युवाओं के मनोरंजन के साथ-साथ उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने और उनमें उम्मीद की अलख जगाते हुए सकारात्मकता लाने का काम कर रही है।
इस सीरीज का निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है। इसका लेखन दीपेश सुमित्रा जगदीश ने किया है। निर्देशक ने इस सीरीज में उन युवाओं के जीवन, संघर्ष, मेहनत, लगन, दोस्ती, रिश्ते और त्याग को दिखाने की कोशिश की है, जो अधिकतर मिडिल क्लास परिवार के स्टूडेंट्स यूपीएससी क्रैक करने का सपना लिए बड़े शहरों की तरफ रुख करते हैं। इस सीरीज में तीन मुख्य किरदार हैं, अभिलाष, गुरी और एसके। पूरी सीरीज इन तीनों के इर्द-गिर्द ही घूमती हुई दिखाई पड़ती है, लेकिन इनके अलावा संदीप भैया, धैर्या जैसे भी कुछ किरदार हैं जिन्होंने खुद के छोटे रोल होते हुए भी दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर अपनी महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है।
सीरीज की असल पृष्ठभूमि क्या है?
Aspirants मुख्य रूप से तीन दोस्तों की कहानी है, जो यूपीएससी क्वालीफाई करने का सपना लेकर दिल्ली के राजेन्द्र नगर पहुंचे हैं। सभी अलग-अलग जगह और बैकग्राउंड से सम्बंधित हैं और सभी के जीवन की अपनी-अपनी व्यथा है, जहां अभिलाष अपनी प्राईवेट नौकरी छोड़कर आईएएस बनने का सपना लिए दिल्ली आया होता है, तो वहीं गुरी ख्वाब तो आईएएस बनने के देखता है, लेकिन जीवन के मौज भी बराबर स्तर पर करना चाहता है। वहीं एसके मेहनती तो होता है, लेकिन जितना फोकस होने की ज़रूरत होती है उतना उससे हो नहीं पाता है और वह दोस्ती-यारी में ही उलझा रह जाता है।
इसके अलावा संदीप भैया, जो कि बेहद तेजस्वी और होनहार हैं और लगातार चार साल से मेहनत तो कर रहे होते हैं, लेकिन हर बार बेहद करीब से चूक जाते हैं और अपनी आर्थिक समस्या के कारण अन्य स्टूडेंट्स की तरह कोचिंग नहीं कर पाते हैं। ये सभी किरदार इस वेब सीरीज में बड़े शहरों में रह कर तैयारी कर रहे उन तमाम स्टूडेंट्स के जीवन, जद्दोजहद और संघर्ष को बेहद करीब से और ज़मीनी स्तर पर दर्शाने में सफल साबित होते हैं।
इस सीरीज की कहानी बेहद ही साधारण और सपाट है, लेकिन निर्देशक ने इसे बहुत ही रोचक अंदाज में बुना है, जिससे आम दर्शक खास तौर पर युवा वर्ग को अपनी तरफ खींचती है। Aspirants के पांच एपिसोड में दिखाए गए एक-एक दृश्य ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे बहुत ही बारीकी से शोध करने के उपरान्त इन्हें फिल्माया गया हो। सीरीज में किरदार के कास्ट्यूम से लेकर एक-एक प्रोम्प्स और संवाद तक व्यवस्थित तरीके से यथार्थता के धरातल पर परोसा गया है, जो देश के अधिकतर युवाओं की व्यथा है। इस सीरीज में दो अलग-अलग समय ट्रैक दिखाए गए हैं, एक वर्तमान समय है, जब तीनों किरदार अपने जीवन में एक मुकाम पर हैं और एक 6 साल पूर्व का, जब सभी अपने- अपने जीवन के मुकाम को पाने के लिए संघर्षरत थे।
सिनेमा हमारे समाज का आईना होता है
सिनेमा को समाज का आईना कहा गया है, लेकिन आज अधिकतर वेब सीरीज और फिल्मों में क्राइम, सेक्सुअलिटी और हिंसा को धड़ल्ले से परोसा जा रहा है, जिनमें तमाम विवादास्पद और संदेहपूर्ण कंटेंट भरे होते हैं। वे कहीं ना कहीं मनोरंजन मात्र के लिए तो सही होते हैं, लेकिन दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में पूरी तरह शायद ही सफल हो पाते हैं। लेकिन, Aspirants को देखते हुए दर्शक, खास तौर पर युवा वर्ग का इससे जुड़ाव महसूस करना और कम समय और बजट में भी इतना चर्चित हो जाना लाज़िमी हैं, क्योंकि आज का युवा वर्ग खुद के संघर्ष और समाज को इस सीरीज में देख पाता है।
यह कहानी व व्यथा जो दिल्ली के राजेन्द्र नगर और देश के बड़े-बड़े शहरों में रह रहे स्टूडेंट्स प्रतिदिन जीते हैं। हमारे समाज में ऐसे कई ढेर सारे अभिलाष हैं, जो अपनी नौकरी छोड़ सिविल सर्विसेज की तैयारी का मार्ग चुन लेते हैं और अंत तक हार नहीं मानते, वहीं ऐसे कई ढेर सारे संदीप भैया भी हैं, जो मेहनती होने के बावजूद अपनी आर्थिक स्थिति और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण अपने सपनों से समझौता करने को मज़बूर होते हैं।
युवाओं के लिए कुछ रोचक संवाद
यदि देखा जाए तो इस सीरीज के संवाद कहीं ना कहीं वास्तविक जीवन में संघर्षरत और निराश युवाओं की व्यथा को दर्शाने के साथ-साथ उन्हें ऊर्जा देने का काम करते हैं और कभी ना हार मानने का सन्देश देते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। इस सीरीज के कुछ मुख्य संवाद-
- पॉवर से बल्ब भी जलता है, जो लोगों की ज़िंदगी में रौशनी कर देता है, पॉवर से करंट भी लगता है, जो लोगों की जान ले लेता है।
- अपनी गलती से सीखिए, अपने फेलियर से सीखिए और आगे बढ़ते जाइए।
- समस्या पर नहीं, पॉज़िटिव अप्रोच के साथ समाधान पर बात करना सीखो।
- जब लाइफ में कुछ भी आपके अनुसार ना हो, तो आपको अपना अप्रोच बदलना चाहिए।
- पहले लोग पूछते थे, अब खुद से पूछता हूं, इस साल ना निकला तो क्या करूंगा?
- आर्थिक स्थिति ठीक ना है हमारी, रोटी के बारे में सोचूं बापू के कि अपनी कोचिंग के बारे में?
ऐसे कई ढेर सारे संवाद हैं, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने के साथ-साथ उन्हें प्रेरित करने का काम करते हैं। प्रायः देखा जा सकता है कि ऐसे कई ढेर सारे स्टूडेंट्स आईएएस बनने का सपना लेकर या अपनी एक मंजिल तय कर घर से निकल तो जाते हैं, लेकिन उन्हें वह क्यों करना है या कैसे करना है? उनके पास इसकी कोई योजना नहीं होती है। वहीं कई ढेर सारे ऐसे स्टूडेंट्स होते हैं, जो असफलता के बाद हताश और निराश हो जाते हैं या असमंजस की स्थिति में आ जाते हैं। इसके साथ ही हमारे इर्द-गिर्द या समाज में हम देख सकते हैं कि कई ढेर सारे होनहार और तेजस्वी युवा हैं, जो एक बेहतर जीवन और नौकरी अर्जित करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन अपनी आर्थिक समस्याओं के कारण वह आगे नही बढ़ पाते हैं या अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं।
ASPIRANTS वेब सीरीज हमें क्या शिक्षा देती है?
इन तमाम स्थितियों को इस सीरीज के एक-एक संवाद में ज़मीनी स्तर पर उतारा गया है, जो आज के युवाओं की वास्तविक अवस्था को बयां करने के साथ-साथ संघर्षरत युवाओं को मोटीवेट करने का भी काम करते हैं। इसके बीच-बीच में हिंदी की कविताएं सूत्रधार का काम करती हैं। इसमें सोहनलाल द्विवेदी और कुंवर नारायण की कविताओं का उल्लेख किया गया है। दरअसल, यह पूरी सीरीज “कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती” से लेकर “कितना आसान होता है चलते चले जाना” के बीच सिमटी हुई है।
कुल मिलाकर यह देखा जाए तो इस सीरीज की पूरी कहानी सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे युवाओं के यथार्थ को परोसती है, जो कहीं ना कहीं युवाओं के तमाम सवालों, उनकी दुविधाओं और भविष्य के सफर में होने वाली समस्याओं के जवाब देती है। यह सीरीज युवाओं को सन्देश देती है कि कोइ भी सपना / मुकाम असंभव नहीं होता है, बशर्ते आप अपनी दृढ-शक्ति, इच्छा, लगन, निष्ठा और धैर्य के साथ लगातार कोशिश करते रहें, क्योंकि समस्याएं हर किसी स्टूडेंट्स / व्यक्ति के जीवन में हैं, लेकिन समस्याओं पर बात करते रहें तो शायद जीवन भर उसी में उलझे रह जाएंगे।
हमें इसके बजाय अपनी सकारात्मक सोच के साथ समाज और जीवन को देखने का अपना नजरिया बदलना चाहिए। हमें अपने सपनों, मुकाम या मंजिल को पाने की राह में असफलता हाथ लगने पर उसे छोड़ देने या उससे दूर भागने के बजाय आखिर तक कोशिश करती रहनी चाहिए।