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“बहुत देखा लेकिन परिवार के साथ ही सुख का जीवन है, बाकी कहीं भी नहीं”

"बहुत देखा लेकिन परिवार के साथ ही सुख का जीवन है, बाकी कहीं भी नहीं"

हम सब अपना-अपना जीवन जी रहे हैं। हम सभी के जीवन की दिनचर्या अलग-अलग है। कुछ व्यस्त भी, तो कुछ खाली घूमकर अपना जीवन गुज़ार रहे हैं, लेकिन सभी से एक सवाल पूछा जाए कि जीवन का सुख कहां है? तो सभी का जवाब एक ही होगा कि अपने परिवार के साथ ही इस जीवन का सबसे बड़ा सुख है।

जब सुबह से लेकर शाम तक आप अपने परिवार से दूर रहते हैं, तो आपके दिमाग में यही रहता है कि ज़ल्दी से ज़ल्दी अपने घर पहुंच जाऊं और घर में सभी के साथ बैठकर कुछ देर बातें करूं जिससे पूरे दिन की थकावट दूर हो जाए। हमें अपने परिवार के साथ रहने पर, हमारे दिल को बहुत सुकून मिलता है।

कहीं भी चले जाओ, लेकिन आत्मिक सुकून अपने घर पर ही मिलता है

यह बात मैं खुद नही बोल रहा हूं। यही बात हम सब के मन में आती है। अगर आप किसी भी काम से दो-चार दिन के लिए अपने घर से बाहर चले जाते हैं, तो उस समय दिमाग में यही बात रहती है कि ज़ल्दी से काम पूरा हो जाए और अपने घर पहुंच जाएं।

यही बात बच्चों से लेकर सभी में होती है। परिवार ही जीवन है और परिवार के बिना जीवन में कुछ भी नहीं है। सही में, यदि हमें किसी बात की चिंता होती है, तो वह कई बार अपने घर पहुंचकर बहुत कम हो जाती है। ऐसा लगता है कि जैसे हमारी परेशानी आधी हो गई हो।

आखिर ऐसा क्यों लगता है?

सभी अपना जीवन अपने परिवार के लिए जी रहे हैं। इसका मतलब यह भी है कि परिवार ही जीवन है। अगर परिवार नहीं है, तो जीवन सच्चे अर्थों में जीवन सा ही नहीं लगता है।

आपकी भावनाओं को आपका परिवार ही समझ सकता है

अगर आपको अपने जीवन में कोई परेशानी आती है, तो ज़्यादातर वह घर पहुंचकर कम हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारा परिवार हमारी भावनाओं को समझता है। हम खुश हैं, तो परिवार भी खुश है और हम दुखी हैं, तो परिवार भी दुखी हो जाता है। सभी के मन एक-दूसरे से मिले हुए हैं। एक की परेशानी सभी को अपनी परेशानी लगती है और मुझे लगता है यही एक परिवार की सच्चे अर्थों में रूपरेखा है।

ज़िन्दगी में कोई आपकी परेशानी सुनने वाला हो या ना हो, लेकिन परिवार आपकी हर परेशानी को सुनता है और उसका हल भी निकालता है। सही में कहा जाए, तो सुकून परिवार के साथ है। देखा जाए, तो हमारा सब कुछ परिवार से है और हम सब परिवार से हैं।

परिवार के बिना हमारा जीवन अधूरा है 

यह बात भी सही है कि अगर आपका परिवार बिखर चुका है, तो मुझे लगता है कि यह अपने जीवन के साथ समझौता करना जैसा है। परिवार के अलावा कोई ही व्यक्ति ऐसा होता है, जो आपके जीवन में आपकी बातों को सुनने और समझने के बाद आपको सही रास्ता दिखाता है।

जीवन में ज़्यादातर लोग सिर्फ दिखावा करने के लिए आपके साथ लगे होते हैं, जिनका कई बार समझना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो सिर्फ आपके जीवन से जुडी हुई बातों को लेने के लिए आपसे मिलते हैं, तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो आपकी कमियों को देखकर बिना सामने आए आपको गिराने का काम करते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि परिवार ही है, जो आपकी बातों को निस्वार्थ भाव से समझेगा और आपके कदम से कदम मिलाकर चलेगा।

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