भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रूडी द्वारा करोना महामारी के दौरान अमानवीय व्यवहार अर्थात एंबुलेंस जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था को छुपाकर रखी गई थी। मगर इसका खुलासा करने वाले पप्पू यादव के खिलाफ ही उल्टा मुकदमा करके उनकी गिरफ्तारी की गई है, जो कि लोकतंत्र और स्वतंत्र विचार के खिलाफ की गई कार्रवाई है।
क्या सरकार के निकम्मेपन को उजागर करना पड़ा भारी?
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जहां नेता-अभिनेता अपने प्राण की रक्षा के लिए अपने अपने मांद में छिपे हुए हैं, चाहे वे सत्ता पक्ष के हो या विपक्ष के। उस दौर में में अपनी जान की बाज़ी लगाकर गरीब और असहाय लोगों की सेवा करने वाले पप्पू यादव पर किया गया कृत्य मानवताविरोधी और मानवाधिकार का उल्लंघन है।
हमने इस वक्त में नेता, अफसर और प्रभावशाली लोगों को भी इस संकट की घड़ी में असहाय पाया है। उनको ऑक्सीजन और दवा तक नहीं मिल पा रही है। पप्पू यादव अपने सीमित संसाधन से असहाय लोगों की मदद कर रहे हैं और लगातार सरकार की नाकामियों का खुलासा कर रहे हैं। सरकार के निकम्मेपन को जगजाहिर करने वाले पप्पू यादव शुरू से ही सरकार की नजरों में गड़ रहे थे।
सुबह सबेरे बिहार के कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल IGIMS में बीमारों-तीमारदारों के सहयोग के लिए तत्पर!
काश शासन में बैठे लोग अपने वातानुकूलित कक्ष से बाहर निकल देखते?कैसे मौत सिर पर नाच रही है
हुक्मरान और उनके नौकरशाह कान में रुई डाल महामारी में बस अपने हिस्सेदारी की प्रतीक्षा में हैं pic.twitter.com/yTIlPByyUf— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) April 29, 2021
इसलिए नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी ने अपने नाकामियों को छुपाने के लिए पप्पू यादव को गिरफ्तार कराया है। पप्पू यादव के खिलाफ की कायरतापूर्ण कार्रवाई घोर निंदनीय है।
क्या इस मुश्किल वक्त में लोगों की सेवा करना गैर-कानूनी कृत्य है?
आज सुप्रीम कोर्ट ने करोना महामारी को राष्ट्रीय इमरजेंसी कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन और दवाओं के अभाव में हज़ारों की संख्या में मरने वाले लोगों के लिए कहा है कि यह सरकार द्वारा किया गया नरसंहार है। इतने कटु न्यायिक टिप्पणी के बावजूद सरकार इस व्यवस्था को सुधारने में नाकाम रही है।
उस दौर में जब देश की सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बावजूद लोगों को ऑक्सीजन और दवाइयां नहीं मिल रही हैं, लोग सड़कों पर मरने को मजबूर हैं, उसमें पप्पू यादव सीमित संसाधनों की बदौलत गरीबों के लिए दवा और भोजन इत्यादि की व्यवस्था कर रहे हैं। क्या यह सेवा गैरकानूनी कृत्य है?
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अगर कानूनी रूप से इस मसले को देखें, तो होना तो यह चाहिए था कि भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी जिन्होंने सरकारी पैसे से खरीदे गए एंबुलेंस को अपने प्राइवेट घर पर छुपाकर रखा और उसका दुरुपयोग बालू उठाव में कर रहे थे उनपर कार्रवाई होनी चाहिए थी। यह गैर-कानूनी काम था। इसके लिए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जानी चाहिए परंतु ऐसा नहीं हुआ।
उल्टा इस जघन्य वारदात को जनमानस के समक्ष लाने वाले पप्पू यादव के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई है। यह दर्शाता है कि यदि आप सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाओगे तो फर्जी मुकदमा दर्ज करके आपको जेल में डाल दिया जाएगा। बड़ा सवाल यह कि ये इमरजेंसी नहीं तो और क्या है?
मुझे लगता है कि यह कार्रवाई भाजपा के बड़े नेताओं के दबाव में किया गया है। अत: हमारा माननीय पटना उच्च न्यायालय से विशेष अनुरोध है कि इस मामले में हस्तक्षेप करें और पप्पू यादव की तुरंत रिहाई का आदेश दें ताकि इस संकट की घड़ी में पप्पू यादव असहाय लोगों की निरंतर सेवा करते रहें।