महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, राज्य में राज्य सरकार की ओर से कड़ी पाबंदियां जारी की गई हैं, लेकिन इस स्थिति में भी लातूर ज़िले के चिंचोली (सयाखान) गाँव में खुलेआम शराब बेची जा रही है। इसके चलते कोरोना के फैलाव का डर गाँव वालों में बना हुआ है। गाँव में दो जगहों पर यह खुलेआम शराब बेची जा रही है।
गाँव में इन शराब बेचने वालों को रोकने से वहां के लोग डरते हैं, क्योंकि ये शराब विक्रेता सबसे खुलेआम कहते हैं कि हम पुलिस को हर महीने हफ्ता देते है, हमारा कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
कोरोना की भयावहता के बीच शराब की खुलेआम बिक्री
चिंचोली गाँव के बुद्ध विहार के सामने एक किराने की दुकान है। इस दुकान में और चांदोरी रास्ते पर बनाई हुई शराब की दुकान में बिना लाइसेंस के खुलेआम शराब बेची जा रही है। ज़िला प्रशासन की ओर से 15 मई तक कड़ी पाबंदिया जारी की हुई हैं और ऐसी पाबंदियां पूरे राज्य में 31 मई तक के बढ़ने की आशंका है। लेकिन, इन पाबंदियों को ताक पर रखते हुए गाँव में इस समय कोरोना की भयावहता के बीच खुलेआम शराब बेची जा रही है।
गाँव में अब तक 5 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है, कुछ लोग अब भी कोरोना पॉज़िटिव हैं। इसलिए गाँव वालों में कोरोना का डर बना हुआ है, लेकिन इस स्थिति में भी गाँव में खुलेआम शराब की दुकानों पर शराब बिक रही है।शराब लेने के लिए आसपास के गाँवों के शराबी बड़ी संख्या में रोज़ शराब लेने गाँव में आते हैं। दिन-रात शराब की दुकानों पर शराबियों की भीड़ रहती है। इसलिए गाँव में ऐसी परिस्थितियों के दौरान कोरोना के फैलाव की संभावना ज़्यादा है।
शराब विक्रेताओं के साथ स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के आरोप
चिंचोली (सयाखान) यह गाँव निलंगा तहसील में और कासार शिरसी पुलिस थाने की हद(सीमा) में आता है। पुलिस की ओर से इन शराब विक्रेताओं पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ देर के लिए अगर यह मान लिया जाए कि साल भर से शुरू इन शराब की दुकानों के बारे में पुलिस को मालूम नहीं है, तो यह साबित होता है कि कासार शिरसी पुलिस निकम्मी है, क्योंकि उन की हद में क्या हो रहा है और उन्हें इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है।
अगर हम यह मान लें कि पुलिस को इस गैरकानूनी रूप से शुरू शराब की दुकानों के बारे में मालूम है, तो पुलिस इन शराब बेचने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? आंगनबाड़ी के सामने के कुंए में शराबियों द्वारा फेंकी हुई सैंकड़ो खाली शराब की बोतलें और पैकेट नज़र आते हैं। यही हाल दलित बहुल इलाके के रास्तों और चौराहों का है।