अचानक एक विद्यार्थी जुदा हो गया
छोड़ शैतानियां अब वो शांत हो गया
फूल के जैसा गांव में था वो
अचानक ही वो UPSC के चक्कर में
मुखर्जी नगर में आके हलाल हो गया
UPSC में सफलता ना मिलने पर उसने मौत को गले लगाया था
कुछ इस तरह अपने माता-पिता का कर्ज उतारा था
गलती किसकी यह कोई ना जान पाया
उसके जनाजे का खर्चा भी उसका पिता उठा ना पाया
दिल्ली में जनाजे का खर्चा ही ना मिल पाया था
तो, सोचिए वो लड़का कैसे इतने साल
तैयारी कर पाया था
भार उसके मन में नहीं, बल्कि दिल पर था
चंद रुपयों की खुशियों के लिए कोचिंग वालों ने अपना व्यापार सजाए रखा था
एक छात्र UPSC के चक्कर में
मुखर्जी नगर में आके हलाल हो गया
UPSC में सफलता ना मिलने पर उसने मौत को गले लगाया था,
आज फिर एक घर उजड़ गया
एक मां ने अपने लाल खो दिया
Depression का नाम देकर शिक्षक तो निकल गए
अनुभवहीन शिक्षक आजकल ज्ञान देते हैं
बदले में एक अच्छी खासी रकम वसूल करते हैं
गांव में वो खेत, खलिहान वो गालियां सब रोएं जा रही हैं,
अरे किसकी है ये बद्दुआ जो असर दिखा रही है
अगर बाकी है कसक कोई छात्र से तो रहा सहा भी उनके परिवार से निकाल डालो,
दिन ईमान चरित्र सब एक साथ बेच डालो
हर छात्र की मौत से शायद तुम्हारी प्यास बुझ जाए
उन सबको ऐसा करते देख तुम्हारे कोचिंग संस्थान में बहार आए
UPSC में सफलता ना मिलने पर उसने मौत को गले लगाया था
कुछ इस तरह अपना किस्सा सुनाया था।