हमारे देश में COVID-19 की दूसरी लहर से कोविड मामलों में हमारी सोच के आंकड़ों से अधिक वृद्धि हुई है। देश में कोरोना मरीजों की चिकित्सा हेतु वेंटिलेटर बेड, ऑक्सीजन, रेमेडिसविर, टोसीलीज़ुमब और अन्य महत्वपूर्ण मेडिकल सेवाओं में लगातार कमी हो रही है । इस स्थिति में आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है, जिसकी कमी की वजह से देश पूरी तरह से लाचार और निराश हो चुका है।
इन दिनों कोरोना मरीजों की चिकित्सा के उपयोग में आने वाली एक दवा बहुत सुर्खियां बटोर रही है, वह है रेमेडिसविर, जो अब सोशल मीडिया का सहारा ले रही है और कुछ लोग इस जीवनरक्षक दवाई का एक बड़े पैमाने पर स्टॉक करके इसकी कालाबाज़ारी कर रहे हैं और इसे इसके उचित मूल्य से कई गुना दामों में मरीजों एवं उनके परिजनों को बेच रहे हैं।
लेकिन, लोगो को इसकी इतनी सख्त ज़रूरत क्यों है? आखिर रेमेडिसविर में ऐसा क्या है? यह क्या करता है? और क्या यह COVID-19 उपचार के लिए भी बहुत आवश्यक है? आइए जानते हैं रेमेडिसविर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य क्या हैं?
रेमेडिसविर क्या है?
रेमेडिसविर एक प्रकार की एंटी-वायरल दवा है, जिसे इबोला वायरस और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) से लड़ने के लिए 2014 में बनाया गया था। रेमेडिसविर को कोरोना वायरस से ग्रसित मरीज में इंजेक्ट किया जाता है फिर ये खुद को वायरस की जेनेटिक कोशिकाओं में शामिल कर लेता है जिससे नेचुरल एंजाइम को वायरस की नई प्रतियां बनाने में रुकावट होती है।
रेमेडिसविर और COVID-19 का सम्बन्ध
जब पूरी दुनिया COVID-19 महामारी से घिरी थी, तब SARS-COV-2 दवा कोविड से लड़ने में कारगार पाई गई थी और इसे आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी। रेमेडिसविर का इस्तेमाल तब से अंधाधुंध और गलत तरीके से किया जा रहा है, जिससे भारत में दवा की भारी कमी हो गई है।
डॉ. नीरज निश्चल, एडिशनल प्रोफेसर, इंटरनल मेडिसिन एम्स , ने TOI से बात करते हुए कहा कि अधिकांश लोगों को कोविड-19 से जीवित रहने के लिए इस दवा की आवश्यकता नहीं है और यह सोचना बिल्कुल गलत होगा कि रेमेडिसविर कोविड के लिए एक चमत्कारिक इलाज है।
कोविड के उपचार के लिए रेमेडिसविर के उपयोग के बहुत निम्न संकेत हैं। यह बहुत ही छोटे मात्रा में कारगार(लगभग पांच दिनों तक रिकवरी के लिए समय) होता है। यह रोगियों को वायरस के शुरुवाती दौर में दिया जाता है, जब ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो । रेमेडिसविर वास्तव में कोविड के कंट्रोल से बेहतर नहीं है।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा 2020 में कोविड-19 के इलाज के लिए रेमेडिसविर को पहली दवा के रूप में मंजूर किया गया था। हालांकि, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अभी भी इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों के इलाज में यह दवा फायदेमंद है।
गांधी अस्पताल तेलंगाना के सुपरिटेंडेंट एम.राजा राव ने द हिंदू से बात करते हुए कहा कि कोविड से पीड़ित मरीज़ को पहले हफ्ते में ही रेमेडिसविर दिया जाना चाहिए, प्लाज्मा के साथ, जो मरीज कोविड–19 के मध्यम लक्षणों से पीड़ित हैं सिर्फ उन्हें ही रेमेडिसविर का सेवन करना चाहिए।
किसे नहीं लेना चाहिए रेमेडिसविर?
डॉक्टरों के अनुसार, रेमेडिसविर उन लोगों को नहीं दिया जाता है, जिन्हें लीवर या किडनी की समस्या है और यह भी हल्के लक्षण वाले रोगियों को नहीं दिया जाना चाहिए। यह सभी रोगियों को दिया जाना आवश्यक नहीं है। रेमेडिसविर शुगर की बीमारी वाले मरीजों को भी नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन, मरीजों की स्थिति को ध्यान में रहते हुए डॉक्टर्स को इसको देने का जोखिम उठाना पड़ता है।
सीमित सप्लाई
पिछले हफ्तों में, रेमेडिसविर की कालाबाज़ारी और जमाखोरी की सूचना मिली है और इसकी कमी के साथ, सरकार ने अस्पतालों में इसकी सप्लाई सीमित कर दी है। इस दवा की आपूर्ति थोक वितरकों या मेडिकल काउंटरों से नहीं की जानी चाहिए और सरकार के सख्त रवैये के कारण अब इसे काउंटर पर भी नहीं खरीदा जा सकता है।
हालांकि, कोविड की जंग अभी काफी लंबी है। आखिर में सभी लोगो से मेरा यही कहना है कि कृपया मास्क पहनें, दो गज की दूरी अपनाएं क्योंकि अपनी और दूसरों की सुरक्षा स्वयं हमारे हाथों में है ।