चीन के वुहान शहर से शुरू होकर जनवरी 2020 से चर्चा में आए एक नए किस्म के वायरस ने अचानक सामने आकर विश्व के 200 से भी अधिक देशों में तहलका मचा दिया। कोविड़-19 नाम के इस वायरस से चारों तरफ लोग खौफ के साये में अपनी ज़िन्दगी जीने को मजबूर और अपने घरों में कैद होकर रह गए। हर वक्त लोगों की आंखों में मौत की दहशत नाच रही थी।
21वीं सदी के इस साल में दुनिया ने वैश्विक महामारी कोविड-19 की वो भयानक तस्वीरें देखीं जिससे ना तो कभी उनका पाला पड़ा था और ना ही दुनिया वाले इस दैवीय आपदा के लिए अभी पूरी तरह से तैयार थे। भारत में भी नोबल कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस दक्षिण भारत स्थित केरल के त्रिस्सूर से 30 जनवरी 2020 को उस समय सामने आया, जब 25 जनवरी 2020 को चीन के वुहान सिटी से अपने वतन भारत लौट कर आई मेडिकल की पढ़ाई कर रही 20 वर्षीय छात्रा की थर्मल स्क्रीनिंग जांच कोलकाता एयरपोर्ट एवं कोच्चि एयरपोर्ट पर की गई। तब वह नॉर्मल थी, लेकिन घर पर पहुंचने के दो दिन बाद ही उसके गले में परेशानी शुरू हो गई, अस्पताल में एडमिट होने के बाद की गई कोरोना जांच में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
इसके अगले ही दिन यानी 31 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को वैश्विक चिंता की अंतरराष्ट्रीय आपदा घोषित किया। भारत सरकार ने भी वैश्विक महामारी कोविड-19 को गम्भीरता से लेते हुए सम्पूर्ण देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया।
सम्पूर्ण भारत में चरणीयबद्ध जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन व नाइट कर्फ्यू
भारत में केरल के त्रिस्सूर से कोरोना का पहला मामला सामने आने के बाद 2 और 3 फरवरी को चीन के वुहान से वापस लौटे 2 और छात्रों को कोरोना संक्रमित पाया गया। इसके बाद एक महीने तक देश में कोरोना वायरस का कोई भी नया मामला पकड़ में नहीं आया। 2 मार्च 2020 को दिल्ली और तेलांगना से कोरोना वायरस से संक्रमण का एक-एक मामला सामने आया। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से पहली मौत 12 मार्च 2020 को कर्नाटक के कलबुर्गी में अरब से वापस अपने देश लौटे 76 वर्षीय बुजुर्ग की सांस लेने में परेशानी, खांसी और निमोनिया की वजह से हुई थी।
तब तक देश के कई राज्यों से भी संक्रमण के मामले सामने आते चले गए और 14 मार्च तक कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 100 को भी पार कर गया। यूरोपीय देशों सहित भारत में इंसानों के बीच तेज़ी से फैल रहे संक्रमण को गम्भीरता से लेते हुए कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़ने के लिए 19 मार्च 2020 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश देते हुए 22 मार्च को देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की। इसके तीन दिन बाद सम्पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया जो 25 मार्च को 21 दिन और 3 मई के बाद 17 मई तक रहा।
इस दौरान पूरे देश में कुछ आवश्यक खाद्य सामग्री व जीवन रक्षक दवाओं को छोड़कर लगभग सभी आर्थिक गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। 17 मई से लॉकडाउन में धीरे-धीरे मिली छूट के साथ ही ज़्यादातर लोग फिर से लापरवाह हो गए। यही कारण है कि इंसानी लापरवाहियों व जागरूकता के अभाव में संक्रमितों की संख्या 18 मई 2020 को एक लाख व 16 जुलाई को दस लाख के आंकड़े को भी पार कर गई।
लॉकडाउन का आमजनमानस के जन-जीवन पर असर
सम्पूर्ण विश्व में कोरोना वायरस से आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। एक तरफ भारत में जहां लोग बेरोजगारी से जूझ रहे थे, वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस ने सभी का रोज़गार छीन लिया था। आपदा सहायता के नाम पर सरकार व ज़िला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सहायता कमजोर आय वर्ग के परिवारों के लिए नाकाफी थी। आपदा में मिलने वाले राशन से वे अपने परिवारों का सही से भरण-पोषण भी नही कर पा रहे थे।
लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा बुरा असर गली-गली फेरी लगाने वाले, अंडा, कपड़े, बर्तन, सब्जियां आदि के ठेला लगाकर दैनिक श्रम करने वालों व मजदूरों को हुआ। कुछ लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या तक कर ली तो कई मजदूर जो अन्य राज्यों में रोज़गार कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। वे भी आवागमन बंद होने के बावजूद भी राह में होने वाली परेशानियों को नजर-अंदाज़ करते हुए पैदल ही अपने राज्यों के लिए निकल पड़े और लम्बी दूरियों का कष्टों भरा सफर तय करते हुए अपने गांव लौट आए लेकिन, कुछ श्रमिक ऐसे भी थे जो अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह गए। यह कहना गलत नहीं होगा कि उस समय आम जन-जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका था।
कोविड वैक्सीन की खोज में पूरा विश्व लगा है
वैश्विक महामारी घोषित होने के बाद कोविड़-19 के खिलाफ विश्व के 100 से भी अधिक देशों के वैज्ञानिक कई महीनों तक दवा और वैक्सीन विकसित करने में जुटे रहे। शोधकर्ताओं की दिन-रात की अथाह मेहनत के बाद ब्रिटेन, रूस, चीन सहित कई देशों ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन खोज लिए जाने का दावा किया।
अमेरिका की प्रमुख दवा कंपनी फाइजर इंक ने 18 नवंबर 2020 को 43 हजार वॉलिंटियर्स पर परीक्षण के बाद कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने एवं उसके 95 फीसदी कारगर सिद्ध होने का दावा किया। कोरोना के खिलाफ इस जंग में हमारा देश भारत भी किसी से पीछे नहीं रहा। वैक्सिनेशन के लिए जानी पहचानी कम्पनी भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन एवं सीरम इंस्टिट्यूट ने कोविशील्ड वैक्सीन तैयार कर विश्व में तहलका मचा दिया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी, शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भव्य टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया और सभी राज्यों को कोविशील्ड वैक्सीन एवं 12 राज्यों को कोवैक्सीन उपलब्ध कराते हुए पहले दिन ही सम्पूर्ण भारत में 1,91,181 लोगों को कोविड़ वैक्सीन लगवाया। विशेषज्ञों का कहना है कि कोवैक्सीन एवं कोविशील्ड के दो डोज़ 28 दिन के अंतर से लगवाना चाहिए ताकि कुछ ही दिन में इम्युनिटी पॉवर को कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार किया जा सके और कोरोना के खिलाफ इलाज पूरा हो सके। इसके अलावा शीघ्र ही रूसी वैक्सीन स्पूतनिक, फाइजर, जाइड्स कैडिला जैसी दवा कम्पनियों को भी ट्रायल के बाद मंजूरी मिल सकती है।