कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से वर्क फ्रॉम होम करते हुए मुझे इस मार्च में एक साल हो गया है। शुरू में जब लॉक डाउन हुआ और उसके कारण वर्क फ्रॉम होम के शुरुआती दिनों में तो मुझे बहुत अच्छा लगा कि अब सुबह- सुबह तैयार होकर ऑफिस नहीं जाना है। ऑफिस का सारा काम घर से ही करना है जिससे रोज-रोज के ट्रैफिक से भी छुट्टी मिली। लॉकडाउन के कारण हमारा पर्यावरण भी काफी अच्छा हो गया था, साफ-सुथरा नीला आकाश, सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाट सब बहुत अच्छा था।
इस दौरान मुझे निसर्ग से जुड़ने का मौका मिला जिसके चलते कुछ फ्री समय में फोटो खींचने का मजा भी लिया। लॉकडाउन के कारण पहली बार इंसान अपने घरों में ही कैद था और पक्षी /जानवर आज़ाद थे, शायद भगवान ने सोचा कि चलो जिस इंसान ने जानवरों /पक्षियों को इतने साल कैद किया। इस बार उसी इंसान को कैद होने का अनुभव दिलाते हैं कि कैद में रहने का कैसा अनुभव होता है?
लोगों की ज़िन्दगी केवल चार दीवारों में सिमट गई थी
वर्क फ्रॉम होम की पॉलिसी के कारण धीरे-धीरे ऑफिस के काम का प्रेशर बढ़ता गया। मुंबई जैसे बड़े शहरों में तो पहले से ही जगह बहुत छोटी होती है। फिर उस एक ही घर में बच्चों की पढाई (स्टडी फ्रॉम होम) और अपना वर्क फ्रॉम होम दोनों एक साथ होने के कारण मुझे इससे तकलीफ शुरु होने लगी। घर में जगह (Space) की कमी महसूस होने लगी फिर ऊपर से धीरे-धीरे रोज कोरोना का डर और गहरा हो रहा था।
देश में रोज जगह-जगह पर कोरोना के केस बहुत बढ़ रहे थे। एक तरफ ऑफिस के बढ़ते काम का वर्क प्रेशर तो दूसरी ओर कोरोना का डर आदि इन सब के साथ घर के भी काम करने पड़ते थे। इससे मेरा मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ने लगा था।
कोरोना के चलते बहुत लोगों ने अपने स्वजनों को खोया है
इन दिनों में कुछ लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को खोया है। कुछ लोग अपनों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए। यह सिर्फ वर्क फ्रॉम होम का समय नहीं था बल्कि, इस महामारी के समय में बहुत से लोगों को बहुत कुछ सहना पड़ा था।
इस संकट के वक्त में कुछ लोगों ने अन्य लोगों की सहायता कर के बहुत अच्छा काम भी किया है जैसे- सोनू सूद, फीड पीपल, दर्शन पोपट आदि इन लोगों ने पिछले एक साल से मुसीबत में फंसे अन्य लोगों की भी मदद की है। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद लोगों को हॉस्पिटल में बेड, ब्लड, प्लाज़मा, एम्बुलेंस, राशन आदि की बहुत सहायता की है।
देश में कोरोना की स्थिति सामान्य होने एवं उसके केसों में ठहराव के बाद कुछ-कुछ जगहों पर फिर ऑफिस खुल गए थे, जिसमें एक वीक में 2 दिन ऑफिस जाना होता था। पूरे देश में धीरे- धीरे कोरोना के नए सामान्य जीवन की शुरुआत होने लगी थी और सब की ज़िन्दगी भी पटरी पर आने लगी थी। इसके बाद लोगों को मानो कोरोना से जैसे छूट ही मिल गई हो और लोग बिना मास्क के घूमने लगे।
वैसे, देश में कोरोना को हराने के लिए वैक्सीन भी आ गई है पर अभी हमें कोरोना के टीकाकरण की गति बढ़ाने की ज़रूरत है।अभी भी बहुत से लोग वैक्सीन लेने से डर रहे हैं। अब हम वापिस से कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर में आ चुके हैं।
आज मुंबई में लगभग 7,000 कोरोना के पॉजिटिव केस हैं और ये पिछले एक साल में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड कोरोना के केस हैं। क्या सरकार देश में वापिस से लॉकडाउन लगाएगी? इस होली पर भगवान से मेरी यही प्रार्थना है की सम्पूर्ण विश्व में से ये कोरोना का संकट जल्द से दूर हो जाए।