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महामारी की दूसरी लहर और स्वास्थ्य सेवा में हमारी अधूरी तैयारी

महामारी की दूसरी लहर और स्वास्थ्य सेवा में हमारी अधूरी तैयारी

भारत महज़ एक साल के अन्दर आज भारत COVID-19 महामारी की दूसरी लहर का भीषण रूप से सामना कर रहा है, भारत पिछले तीन दिनों से दुनिया में कोविड़-19 के सबसे अधिक नए मामलों से जूझ रहा है। 24 अप्रैल, 2021 को 3,46,786 नए कोरोना वायरस के मामले आए हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक एक दिवसीय आंकडे हैं।    जबकि देश में सक्रिय मामलों ने 25 लाख का आंकड़ा पार कर लिया। तो वहीं 23 अप्रैल को 3,32,730 नए कोरोना वायरस मामले आए हैं जबकि 22 अप्रैल, 2021 को 314,835 एक दिवसीय आंकडे हैं।

भारत पूरे विश्व में ऑक्सीजन एवं दवाइयों के निर्माण और निर्यात में सबसे बड़े देशों में से एक हैं, बावजूद इसके आज फिर से देश ना केवल इस महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आया बल्कि, घरेलू मांग की ऑक्सीजन पूर्ति में भारी कमी का सामना कर रहा है।

दिल्ली, मुंबई सहित कई बड़े शहर और गम्भीर रूप से प्रभावित राज्यों ने कुछ दिनों का कर्फ्यू घोषित कर दिया है।  भारत के हर क्षेत्र में, इस महामारी का प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है। इस महामारी के चलते शहरों से लेकर ग्रामीण भारत में बड़ी आबादी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इस वक्त अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति एक विशेष समस्या है, हर रोज़ भारी संख्या में नए मरीजों के आने से अस्पतालों में लगातार इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है। राजधानी दिल्ली सहित देश के मुंबई, भोपाल, कानपुर, बनारस और लखनऊ के कई अस्पताल पूरी तरह से इस कमी के साथ जूझ रहे हैं। अब  मुख्य समस्या यह है कि उचित समय पर देश के अस्पतालों के बेड़ों तक मेडिकल ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही है।

अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी से चारों ओर त्राहिमाम त्राहिमाम है

23 अप्रैल, 2021 की रात को, ऑक्सीजन का स्टॉक कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों की मौत हो गई। 24 अप्रैल, शनिवार सुबह अस्पताल में भी केवल 45 मिनट के लिए ऑक्सीजन बचा था और उन्होंने तत्काल सरकार से मदद की मांग की।

22-23अप्रैल, 2021 दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में 25 कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो गई। वही एक अन्य घटना में, महाराष्ट्र के वसई के विजय वल्लभ अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से कम से कम 13 कोरोना मरीजों की जान चली गई। ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण दिल्ली, नोएडा और लखनऊ के कुछ अस्पतालों ने अपने मैन गेटों के बाहर “ऑक्सीजन आउट ऑफ स्टॉक” का बोर्ड लगा दिया था।

21 अप्रैल, महाराष्ट्र के नासिक में 24 कोविड-19 रोगियों ने ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण अपनी जान गंवा दी। देश भर में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के लिए केंद्र से कहा, यदि ज़रूरत पड़े तो नए प्लांट लगाइए, भीख या उधार मांगिए, लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी कीजिए। तो, वहीं दूसरी ओर बिहार में भी ऑक्सीजन की भारी किल्लत से नाराज पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ये आदेश दिया है कि बिहार में अगर किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की किल्लत झेलनी पड़ रही है तो वह सीधे पटना हाईकोर्ट को मेल करे।

सरकार की इस आपातकाल समस्या पर क्या पहल रही?

सरकार ने देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए एक “ऑक्सीजन एक्सप्रेस” सेवा शुरु की   है, जहां मांग के अनुसार टैंकर ले जाने वाली ट्रेनें हैं और भारतीय वायु सेना अपने सैन्य ठिकानों से ऑक्सीजन ले रही है इसके साथ ही वे 50,000 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन आयात करने की योजना भी बना रहे हैं। भारत में औद्योगिक उपयोग के लिए कम से कम 7,100 टन ऑक्सीजन की दैनिक उत्पादन क्षमता है, जो वर्तमान मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

प्रधान मंत्री कार्यालय ने 22 अप्रैल को कहा कि इस सप्ताह, सरकार ने देश के 20 सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से 6,822 टन तरल ऑक्सीजन आवंटित किया, जो कि 6,785 टन की संयुक्त मांग है।

सरकार की दूसरी लहर के संक्रमण में क्या गलतियां रहीं? 

आगे के लिए क्या रास्ता सरकार को चुनना चाहिए? 

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