आज के समय में मुफ्त का ऐसा आलम है कि अब चुनावों में भी जनता को मुफ्त वाला झांसा दिया जा रहा है लेकिन, आज के जमाने मे राय को छोड़ कर कुछ भी मुफ्त नहीं है जनाब।
हर मुफ्त चीज़ों का दाम उसमें पहले से ही जुड़ा होता है जिस चीज़ के साथ कुछ मुफ्त रखा गया है। आज कल तो बाज़ारों मे काम और चुनावों में सारी सुविधाओं के मुफ्त मिलने का बोलबाला है, हम कब तक इस तरह कब तक मुफ्त के झांसे में इसी तरह फसतें रहेंगे और ये हमें यूं ही डसते रहेंगे।
हमें यह समझना होगा कि मुफ्त में तो हमें भगवान ने भी यह जीवन और प्रकृति भी नहीं दी है, इसके बदले में हमसे इनका पालन-पोषण का कार्य भी सौंपा है। ये तो नेता हैं, कैसे हमें कुछ मुफ्त में बांट सकते हैं? जिस दिन हम मुफ्त के लिए नहीं अपने हक के लिए एक होंगे तो देश की तस्वीर भी बदल जाएगी।
आप चुनावों में मुफ्त चीज़ों के बदले उन्हें वोट देते हैं, उन चीज़ों के साथ वो हमें तंत्र के साथ भ्रष्टाचार भी देते हैं। जिसकी वजह से आज हर कोई परेशान है, आप सुकून से घर पर मुफ्त का पानी पी सकते हैं लेकिन, बाहर अपने किसी काम को करवाने में आपको उसका 3 गुना पसीना बहाना पड़ जाता है।
मैं बस हमारे देशवासियों से इतना कहूंगा कि आज के जमाने में मुफ्त का कुछ भी मुफ्त नहीं है। हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।