नहीं, मैं कोई लेखक या पत्रकारिता से जुड़ी हुई नहीं हूं। कभी-कभी लगता था काश हम भी लिखते जिसे लोग पढ़ते और हमारे विचारों पर अमल करते। वैसे, बोलना और उसी विषय पर लिख कर लोगों तक पहुंचाने में बहुत बड़ा फर्क है। मुझे पहले महसूस हुआ करता था कि लिखने के लिए आपको या तो किसी समाचार पत्रिका में ही काम करना होगा या मॉस कॉम से सम्बन्धित कोई कोर्स करना होगा।
जब मुझे यूथ की आवाज़ के बारे में पता चला
अब यह तो होता नहीं कि आप एक नौकरी करते हुए पेशा ही बदल लें, तो मैंने आशा ही छोड़ दी थी परंतु, एक दिन यूं ही इन्टरनेट के माध्यम से “यूथ की आवाज़” के बारे में पता चला। जहां हज़ारों की संख्या में लोग अपने विचारों को पूरे देश के पाठकों एवं लेखकों के साथ साझा करते हैं। यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां आप अपने विचारों को खुलकर बिना किसी बंदिशों के लिख सकते हैं। अपने पाठकों को खुद के विचारों से रूबरू करा सकते हैं।
यूथ की आवाज़ से हमें यह पता चला कि हां, आप किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं कर सकते परंतु, जितना हो सके अपने अच्छे विचारों या रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़े विषयों पर आप चर्चा कर सकते हैं। मैंने इस प्लेटफार्म के ज़रिये अपना सपना पूरा करने की कोशिश की। जहां “यूथ की आवाज़” ने मेरे इस सपने को साकार करने में पूरी मदद की और मैंने यहां से कम समय में ही बहुत कुछ सीखा है।
यहां तक कि मैंने अपने आस-पास के लोगों को भी इसके बारे में बताया कि आप अगर अच्छा लिखना चाहते हैं तो बस यहीं से शुरुआत कीजिए।
बस फिर क्या था ! कहते हैं ना कि सोचने में समय गंवाने से अच्छा कलम को उठाओ और अपनी सोच को कागज़ों में उतार दो। हालांकि,अब तक मैंने कोई अच्छे विषय पर लिखा नहीं और हंसने वाली बात यह है कि अब तक उसको पढ़ने वाले मिले नहीं। बहरहाल, फिर भी मैंने लिखना बंद नहीं किया है, क्योंकि एक जुनून होता है जो आपको प्रेरित करता है कि आप उस विषय पर लिखें जिसे लोग पसंद करने पर मज़बूर हो जाएं।
कुछ महीने पहले ही लेखन की शुरुआत की
पिछले कुछ महीने से मैंने यूथ की आवाज़ पर लेखन कार्य की शुरुआत की और इससे मेरे अन्दर एक सकारात्मक बदलाव आया है। एक आत्मविश्वास जिसे आज बयान करने में खुशी हो रही है। दोस्तों को जब मैंने बताया कि मैं भी कुछ लिखती हूं, तो उन सभी ने भी मेरे लेखन को सराहा। यह देख कर अच्छा लगता है कि जब आप घंटो लिखने में लगाते हैं और उस लेखन को स्वयं शेयर करते हैं तो एक अलग सा गर्व महसूस होता है।
इस सामग्री को कई लोग पढ़ते हैं और हमारी गलतियों को भी बताते हैं। सच मानिए जब आपकी तारीफों से ज़्यादा लोग आपकी गलतियों को बताते हैं तब खुद को और निखारने का अवसर मिलता है।
मैं हमेशा राजनीति और क्रिकेट जिसे बेफिज़ूल का ज्ञान कहा जाता है। मैं लोगों के बीच उस विषय पर चर्चा करना पसंद करती हूं। पहले मैं हमेशा अपना कीमती समय मोबाइल या दोस्तों के साथ गंवा देती थी परन्तु,अब मेरा नज़रिया ही बदल गया है और मैं अब मानती हूं कि हमें अपने विचार अन्य लोगों तक पहुंचाने चाहिए इसलिए लिखो और लोगों तक पहुंचाओ।
लिखने के लिए अभी बहुत कुछ सीखना है
इसे एक बदलाव ही कह सकते हैं जो “यूथ की आवाज़” के ज़रिये मेरे अन्दर आया है। कलम को अपनी आवाज़ बनाओ लोग आपकी आवाज़ के साथ अपनी आवाज़ ज़रूर मिलाएंगे। मैंने लिखने की शुरुआत इसलिए की क्योंकि मुझे लगता है कि कहीं ना कहीं लिखना हमारी ज़िंदगी से जुड़ी हुई कड़ी है। यह एक मुकाम है जिसे हासिल करना है।
याद रखिए कि यदि आपने लिखने की ठान ली है तो बस हो गयी शुरुआत अब आप मानिए कलम और हमारी दोस्ती हो गई है। मैं एक बार फिर से यूथ की आवाज़ के फाउंडर एवं मुख्य संपादक अंशुल जी का अपने तहे ह्रदय से बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने हमारे देश के यूथ को अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए इस प्लेटफार्म का निर्माण किया।