देश में एक तरफ कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी तरफ इसकी आड़ में सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट और फर्जी न्यूज़ डालकर आम जनमानस में डर का माहौल बनाया जा रहा है। हाल ही में देखने में आया है कि कुछ यूज़र सोशल मीडिया पर ऐसा कंटेंट कॉपी-पेस्ट कर रहे हैं, जिससे ना सिर्फ फर्जी खबरें फैल रही हैं, बल्कि आम व्यक्ति में डर का माहौल है।
कोरोना की दूसरी लहर जहां एक ओर देश में तेज़ी से फैल रही है। वहीं लोगों में इसका साइकोलॉजिकल असर भी धीरे-धीरे दिखने लगा है। इसका सीधा उदाहरण यह है कि आप किसी भी केमिस्ट के दुकान में चले जाए, वहां आपको लोग बहुत मात्रा में दवाईयां लेते दिख जाएंगे।
कई लोग तो वट्सएप्प पर चल रही दवाईयों की लिस्ट लेकर केमिस्ट की दुकानों से अधिक मात्रा में दवाईयां ले रहे हैं। हमें इस मानसिकता से उबरना होगा और इसके साथ ही हमें कोरोना से सम्बन्धित सोशल मीडिया एवं अन्य न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स पर चल रही अफवाहों से बचना होगा।
हालांकि, कोरोना से हम शुरुआत से ही संघर्ष कर रहे हैं जब हमारे पास इसके निदान के लिए कोई वैक्सीन भी नहीं थी। आज हमारे पास इसके उपचार हेतु वैक्सीन है और इसके साथ ही हम इससे जुडी हुईं ज़रूरी सावधानियों ( मास्क पहनना, लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए दो गज की दूरी रखना और अपने हाथ समय-समय पर सेनिटाइज करना) को रखते हुए हम इसकी चपेट में आने से बच सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि यह एक वायरस जनित बीमारी है और इससे उचित उपचार, इससे जुडी हुई सावधानियों को ध्यान में रखते हुए एवं टीकाकरण करवा कर इससे उबरा जा सकता है।
साइकोलॉजिस्ट रेखा कुमारी बताती हैं कि हम अपने दिमाग को जैसा महसूस कराना चाहते हैं, वह वैसा ही महसूस करता है। अभी लोग सीजनल तबियत खराब होने पर स्वयं की कोविड जांच कराते हैं। बिना किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श किए दवाईयां लेने लगते हैं। सरकार और डब्ल्यूएचओ की कोरोना गाइडलाइन्स में है कि अगर आपको कोविड के लक्षण हैं, तभी आप जांच कराएं। इसके बाद तीन दिन तक खुद को आइसोलेट कर ऑबजर्ब करें।
कोरोना से संबंधित न्यूज़ उतना ही सुनें जितना सुनने की ज़रूरत है। अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय ध्यान में लगाएं, योगा करें, खुद को हाइजिनिक रखें और सकारात्मक बने रहें। इस समय कोरोना से जुडी हुई सभी अफवाहों और फेक न्यूज़ से बचें।
क्या ना करें?
. वट्सएप्प पर वायरल होने वाली दवाईयों को बिना डॉक्टरी सलाह के ना लें।
. कोरोना से सम्बन्धित किसी भी खबर को बिना प्रमाणित किए आगे किसी को शेयर ना करें
. सोशल मीडिया और अन्य चैनलों के माध्यम से बहुत सी गलत सूचना और फर्जी खबरें शेयर की जा रही हैं। इसलिए फर्जी खबरों और अफवाहों को फैलाने से बचें।
. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, WHO और यूनिसेफ आदि सूत्रों के अलावा किसी के द्वारा शेयर की गई जानकारी पर भरोसा ना करें।
. भीड़ में ना जाएं।
. देश की वर्तमान स्थिति को देखकर पैनिक करने की जगह सकारात्मक सोच को अपनाएं।
. बाहर से आने के बाद पहले खुद को अच्छे से सैनिटाइज करें और कुछ घंटों के बाद ही बच्चों से संपर्क करें।
क्या करें?
. अभी वर्तमान में कोरोना की भयावहता से डरने की जगह, स्वयं की विल पावर (इच्छा शक्ति) को मजबूत करें।
. खुद के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए प्रतिदिन योगा, मेडिटेशन, एक्सरसाइज आदि करें।
. इस समय अपने खान-पान का खास ख्याल रखें।
. भीड़ में ना जाएं और कोविड गाइडलाइन्स एवं नियमों का सख्ती से पालन करें।
. पानी अधिक पिएं और फल, हरी सब्जियों का सेवन करें।
. नकारात्मक बातों को नहीं सुने, क्योंकि उनको सुनने से आपके मस्तिष्क पर असर पड़ता है, जो पहले आपके स्वास्थ्य को फिर आपके शरीर के इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को क्षति पहुंचाता है।
. सकारात्मक पहलुओं पर फोकस करें।
. सामाजिक दायित्वों का ध्यान रखते हुए, अगर आपमें कोरोना के किसी भी तरह के लक्षण आते हैं, तो डॉक्टरी सलाह लें और लोगों से दूरी बनाएं।
. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, WHO और यूनिसेफ आदि सूत्रों द्वारा शेयर की गई जानकारी पर ही भरोसा करें।
ज़्यादा न्यूज़ और मैसेज देखने से लोगों को आ रहे पैनिक अटैक
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ बिंदा सिंह बताती हैं कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना की दूसरे वेब से दस गुना असर पड़ा है। इसका कारण सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनल और वट्सएप्प पर वायरल हो रहे ऑडियो-वीडियो मैसेज के कारण इतना डर रहे हैं कि इनका असर उनके ब्रेन पर पड़ रहा है।
इन फेक न्यूज़ और खबरों के कारण बहुत से लोगों को पैनिक अटैक आने लगे हैं। हमें अपनी विल पावर(इच्छा शक्ति) को मजबूत रखने की ज़रूरत है। इस डर की वजह से आपकी सेहत खराब होगी जिसका असर आपके इम्यूनिटी सिस्टम पर पड़ेगा। इसलिए आप सामाजिक दायित्व को समझते हुए अपने घर से बाहर ना निकलें, मास्क पहनें और स्वयं को समय-समय पर सैनिटाइज करते रहें।