कोरोना काल में बहुत से लोगों ने इस महामारी के दौर में भी अपने लिए लूट का धंधा अपना लिया है। ऑक्सीजन से लेकर दवा और फल-सब्जियों तक की कालाबाज़ारी की जा रही है। मगर मजबूरी में सब कुछ जानते हुए भी लोग अपने परिवार एवं परिजनों की जान बचाने के लिए लुटने के लिए मजबूर हैं।
रविवार को एक खबर आई थी कि दिल्ली में ऑक्सीजन के सिलेंडरों की जमकर कालाबाज़ारी की जा रही है। कुछ लोग ऑक्सीजन के एक सिलेंडर को अन्य लोगों के लिए ब्लैक में 40 हज़ार रुपये तक में बेच रहे हैं। न्यूज़ सर्विस एएनआई ने इस कालाबाज़ारी का खुलासा किया था। वहीं बहुत से लोग एंबुलेंस की आड़ में भी ऐसा ही धंधा कर रहे हैं। किसी को शर्म नहीं आती कि इस तरह की आपदा में पीडि़तों को लूटने की बजाए उनका सहयोग करना चाहिए।
समाज में आज भी निःस्वार्थ रूप से सहायता करने वाले लोग भी हैं
इसके बावजूद दुनिया में ऐसे भी लोगों की कमी नहीं है, जो कि अपने सेवा-भाव और दूसरों की सहायता को अपना धर्म समझते हैं। वे अपने सारे काम छोड़कर अन्य लोगों की सेवा को ही अपना लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स की स्टोरी बताने जा रहे हैं, जो कि खुद आर्थिक रूप से संपन्न ना होने के बावजूद लोगों की सेवा में जी-जान से जुटा है। इस शख्स का नाम रवि अग्रवाल है, जो कि झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले हैं।
बी.कॉम की पढाई कर रहे रवि चलाते हैं ऑटो
रवि अग्रवाल, पेशे से ऑटो चलाने का काम करते हैं। मगर उनके दिल में पीड़ित लोगों की मदद का जो जज्बा है, वह बेमिसाल है। 21 साल के रवि अग्रवाल, रांची (झारखण्ड) के राम लखन सिंह यादव कॉलेज से बी.कॉम की पढाई कर रहे हैं। मगर अपने परिवार को पालने के लिए वे ऑटो रिक्शा चलाने के लिए मजबूर हैं। रवि ने एक घटना के बाद सोशल मीडिया पर अपना फोन नंबर शेयर किया है। उन्होंने कहा है कि जिस भी ज़रूरतमंद और पीड़ित व्यक्ति को तकलीफ हो, तो सहायता के लिए वह उनसे संपर्क कर सकते हैं। वह एक फोन कॉल पर हरसंभव मदद के लिए पहुंच जाएंगे।
एक बुजुर्ग कोविड पॉज़िटिव महिला को पहुंचाया अस्पताल
रवि के अनुसार बीती 15 अप्रैल को वह सवारियों का इंतजार कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग महिला सडक पर खड़े होकर टैक्सी और ऑटो को रोक रही थी। लेकिन कोई भी ऑटो वाला या रिक्शा वाला उन्हें कोविड पॉज़िटिव होने के कारण अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं था। वह फौरन उस महिला के पास पहुंच गए, जब उन्हें पता चला कि वह कोरोना पॉज़िटिव है। मगर उन्होंने कुछ भी सोचे बिना उस बुजुर्ग महिला को अपने ऑटो में बिठाकर अस्पताल पहुंचाया।
जिसके बाद महिला ने उन्हें किराए के तौर पर 200 रुपये देने की कोशिश की। मगर उन्होंने किराया नहीं लिया और कहा कि फिर कभी आपको मेरी ज़रूरत हो तो मुझे याद कर लेना। जब मैं उन्हें अस्पताल पहुंचा कर वापिस अपने घर लौटा तो मैंने कोरोना से पीड़ित लोगों की परेशानी को समझा। किसी ज़रूरतमंद की सहायता करके मुझे पहली बार आत्मसंतुष्टि मिली।
कोरोना पीड़ितों के लिए फ्री सेवा
इस घटना के बाद मैंने कोविड मरीजों की सहायता करने का तय किया और अपना मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर डाल दिया कि जिन्हे भी कोई ज़रूरत हो वो मुझे सीधे कॉल कर सकते हैं। उसके बाद से मुझे कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की सहायता के लिए कॉल आने लगे। इससे मुझे आत्मसंतुष्टि मिली कि मैं समाज के लिए कुछ अच्छा कर रहा हूं।
मैं अपने घर से 10 से 12 किलोमीटर की दूरी तक के मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहा हूं। रवि अपने घर में अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले अकेले सदस्य हैं। वे ऑटो के साथ न्यूज़पेपर और पानी की बोतल सप्लाई करने का भी काम करते हैं। रवि कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि उन्हें कोविड से डर नहीं लगता, लेकिन यह समय घर पर बैठने का नहीं है। मैं लोगों को इस समय कोविड को हराने के लिए एक-दूसरे की सहायता करने के लिए लोगों को समझाता हूं।
हवलदार सिंह, कोकर (रांची) के एक स्थानीय निवासी रवि के बारे में कहते हैं कि यह आदमी मेरे लिए भगवान है, जब कोई भी एम्बुलेंस मुझे अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं थी और यदि वे तैयार होते तो अपनी मर्जी से रुपये लेते। मैंने इस आदमी को कॉल किया और ये 30 मिनट में मेरे घर पहुंच गए और मुझे समय से अस्पताल पंहुचा कर इन्होंने मेरी जान बचाई।
रवि सरकार द्वारा जनहित में जारी कोरोना गाइडलाइन्स का पूरी तरह से पालन करते हैं। वे हर मरीज़ को हॉस्पिटल पहुंचाने के बाद अपने ऑटो को सेनिटाइज करते हैं। वे स्वयं और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सारी सावधानियां रखते हैं। अब जो लोग उनके पास मदद के लिए फोन कर रहे हैं, वह उनकी पूरी मदद भी कर रहे हैं।