भारत में कुछ दिनों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों ने अलग ही चहल-पहल मचा रखी है। पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव तो पहले ही भाजपा के आगमन के साथ चर्चा का विषय बनी हुई है। इस बीच में असम में होने वाले आगामी चुनावों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा एवं गठबंधन भाजपा की राहों में कांटे बिछा रहे हैं। यही वजह है कि चुनाव में इन क्षेत्रीय दलों की बड़ी भूमिका रहने की उम्मीद की जा रही है।
इस चुनावी जंग में कुछ अहम क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जिनमें बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF), यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL), असोम जाति परिषद (AJP), रायजोर दल (RD) और आंचलिक गण मोर्चा (AGM) शामिल हैं। त्रिकोणीय मुकाबले में इनमें से कुछ दलों ने भाजपा तो कुछ ने कांग्रेस और किसी ने AJP-RD से गठबंधन किया है।
गठबंधन के बावजूद 3 सीटों पर होगी भाजपा के खिलाफ लड़ेगी UPPL
हालांकि यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) राज्य के बोडोलैंड क्षेत्र की एक पार्टी है जिसनें बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) में इसने भाजपा के साथ हाथ मिलाया था। इस पार्टी का नेतृत्व ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद बोरो कर रहे हैं।
केंद्र के साथ शांति और विकास समझौते करने वाले बोडो समूहों में से वे एक हैं। यूपीपीएल भाजपा के साथ गठबंधन में आठ सीटों पर चुनाव लड़ेगा परंतु तीन सीटों पर भाजपा के खिलाफ दोस्ताना मुकाबला करेगा।
विधानसभा में 12 विधायकों के साथ BPF ने मिलाया भाजपा छोड़ कांग्रेस से हाथ
वहीं, दूसरी ओर बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) बीपीएफ बोडोलैंड क्षेत्र में एक प्रभावशाली पार्टी है। जिसका नेतृत्व हाग्रामा मोहिलरी कर रहे हैं। हालांकि यह पार्टी इससे पहले भाजपा के साथ गठबंधन में थी और उसके राज्य सरकार में तीन मंत्री भी थे। परंतु उन्होंने हाल ही में कांग्रेस से हाथ मिलाया है। BPF के विधानसभा में इस समय 12 विधायक हैं।
क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन बदलेगी असम की राजनीति
असोम जाति परिषद (AJP) और रायजोर दल (RD): असम में सीएए विरोधी आंदोलन ने पिछले साल के अंत में दो नई क्षेत्रीय पार्टियों असोम जाति परिषद (AJP) और रायजोर दल (RD) को जन्म दिया। AJP को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और असोम जातियाबादी युवा छात्र परिषद (AJYCP) का समर्थन है।
पार्टी का नेतृत्व लुरिनज्योति गोगोई कर रहे हैं, जो एएएसयू के पूर्व महासचिव हैं। इन पार्टियों के अंदर असम के चुनावी भविष्य को तय करने की हिम्मत है। ऐसे में देखना दिलचस्प रहेगा कि आगे चलकर असम के चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियां क्या भूमिका निभाती है?