भारत में बागवानी का विकास बहुत तेजी से हो रहा है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। बागवानी न केवल दुनिया की ज़रूरत हो गई है, बल्कि यह युवाओं के लिए बेहतर करियर विकल्प भी है।
चिन्हित फसलों की गुणवत्ता और खरीद को बेहतर करने की कोशिश
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारत के नए केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में बागवानी के विकास के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) को बढ़ाया है।
एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम हरियाणा के कृषि विज्ञान संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर विनिता राजपूत लिखती हैं, कि मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर समिति ने 31 मार्च, 2022 तक तीन साल तक PMDP के विस्तार को मंजूरी दी है। PMDP को वर्ष 2016 में मंजूरी दी गई थी जिसकी समय सीमा 31 मार्च 2019 को समाप्त हो गई थी।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों के विकास में बागवानी को एक महत्वपूर्ण कारक माना है। जब हम कश्मीर के बारे में बात करते हैं तो हमारे दिमाग में ‘सेब’ व ‘केसर’ का नाम सबसे पहले आता है। यह परियोजना मुख्य रूप से चिन्हित फसलों पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसमें गुणवत्ता बनाए रखने की सामग्री की खरीद, बेहतर रूटस्टॉक्स और पुराने बागों का कायाकल्प शामिल है।
लगभग 44 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे
पैकेज के विस्तार से लगभग 44 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी। इसमें बागवानी के विकास के लिए ग्रेडिंग, सॉर्टिंग, पैकेजिंग इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज और फलों के प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा। यह योजना नवीनतम तकनीक के प्रयोग से उच्च घनत्व वाले रोपण प्रणाली, उन्नत पादप प्रशिक्षण प्रणाली (एस्पालियर प्रशिक्षण प्रणाली) और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन प्रणाली को अपनाकर प्रति पौधा उत्पादन (पीपीपी) को बढ़ाने का काम करेगी।
सरकार ने इन केंद्र शासित प्रदेशों को बागवानी संबंधी विकास की योजना के तहत 500 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। साथ ही लद्दाख और जम्मू में सौर या हाईब्रिड (इलेक्ट्रिक और सौर) संचालित कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना की भी मंजूरी दी है। फसल उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ यह परियोजना इन क्षेत्रों में पर्यटन और परिवहन विकास को भी बढ़ाएगी।
2015 में बागवानी उत्पादन ने कुल खाद्यान्न उत्पादन को पीछे छोड़ दिया था, तब से यह हर साल ग्रामीण क्षेत्रों के पोषण और किसानों की वित्तीय सुरक्षा में बड़े स्तर पर योगदान दे रही है। भारत में कृषि-जलवायु और फसली जैव विविधता के मामले में असीमित क्षमताएं हैं। बस आवश्यकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व व देखरेख में भारत सरकार अवसरों को तलाशे और उसे विस्तार दे। जिसमें लद्दाख, जम्मू और कश्मीर ने एक नयी दृष्टि दी है।
यदि आप बागवानी या हॉटिकल्चर में रुचि रखते हैं तो बीएससी (हॉर्टिकल्चर) की पढ़ाई कर सकते हैं। जिसमें एक सफल करियर की भरपूर सम्भावनाएं मौजूद हैं।