लड़कियां खेती का काम भी कर सकती हैं, लेकिन वे पढ़ाई करती हैं तो उनका लक्ष्य पढ़ाई करके नौकरी करना हो जाता है। इसलिए वे बचपन से ही खेती के काम में ध्यान नहीं देती हैं। दूसरी बात यह भी है कि पढ़ाई करने से उन्हें नौकरी वाला पति मिल सकता ताकि उसे खेती का काम ना करना पड़े, इसलिए वह पढ़े-लिखे लड़के से ही शादी करना चाहती हैं।
शादी से पहले ही लड़की के परिवार वाले लड़के के परिवार वालों को बता देते है कि उनकी लड़की खेत में काम नहीं की है। अतः उसे खेत में काम करना नहीं आता है और आगे जाकर भी उसे खेत में काम ना कराया जाए।
अब लड़कियां शिक्षा की ओर अग्रसर हो रही हैं
पढ़ी-लिखी लड़कियों को खेत में काम करने में तकलीफ होती है, क्योंकि उन्हें खेत के काम के लिए अचानक जाना पड़ जाता है। कुछ लड़कियां खेती का काम इसलिए भी नहीं करना चाहती हैं, क्योंकि वे सोचती हैं कि मैं इतनी पढ़ी-लिखी हूं, फिर क्यों खेत में काम करूं?
लड़कियों के माता-पिता की भी यही सोच रहती है कि हमारी लड़की अच्छे से पढ़-लिख जाएगी तो वह अच्छी नौकरी करेगी, जिससे हमें भी मदद मिलती रहेगी। यह सोचकर वे अपनी पढ़ने वाली लड़की को खेत में काम नहीं करवाते हैं।
अब लड़कियां शिक्षित होकर अपने भविष्य एवं परिवार को संवार रही हैं
माता-पिता के सपने पूरे करने के लिए लड़कियां पढ़ाई पर बहुत ध्यान देती हैं और सोचती है कि किसी तरह से छोटी-मोटी नौकरी मिल जाए।
हम कह सकते हैं कि अधिकतर पढ़ी-लिखी लड़कियों का विचार नौकरी करने का है, ताकि उन्हे खेती-बाड़ी के कार्य से मुक्ति मिल सके। वे सोचती हैं कि यदि उसे नौकरी मिल जाएगी तो खेती का काम मजदूरों से करवा लेगी। खेत में जो पकेगा उससे घर परिवार का पालन-पोषण हो जाएगा, जिससे परिवार वालों को भी ज़्यादा कर्जनहीं लेना पड़ेगा। अधिकतर लड़कियों की इसी प्रकार की सोच होती है।
अधिकतर लड़कियों को खेती-बाड़ी के कार्य करना आ जाता है, उसके बावजूद वे खेत पर नहीं जाती। क्योंकि, अगर वह एक दिन भी खेत-बाड़ी का काम कर लेती हैं तो उसके परिवार वाले उसे रोज़ खेत में काम करवाना शुरू कर देंगे, जिससे उसकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा। अगर लड़कियों की नौकरी लग जाती है, तब वे खेती पर भी ध्यान देने लग जाती हैं।
पढ़ने-लिखने के बाद भी लड़कियों के साथ भेदभाव
पढ़ी-लिखी होने के बावजूद कई लड़कियों को शादी के बाद भी घर पर ही रहना पड़ता है। कई ऐसे परिवार भी होते हैं, जो इन लड़कियों से खेत में ज्यादा काम करवाते हैं तथा उनका सम्मान भी नहीं किया जाता है।
उनका मानना होता है कि इतनी पढ़ी-लिखी होने के बावजूद नौकरी नहीं लगी तो फिर पढ़ाई-लिखाई किस काम की? यह सोचकर उनके साथ अनपढ़ की तरह व्यवहार कर अधिक खेती का कार्य करवाया जाता है, इसलिए भी लड़कियां नौकरी करना चाहती हैं।
लड़कियां सोचती हैं कि वे पढ़-लिखकर नौकरी करेंगी तो समाज में उन्हें सम्मान मिलेगा। वे चाहती हैं कि नौकरी के साथ-साथ वह समाज की सेवा और सामाजिक कार्य कार्य करें, ताकि उनका नाम भी आगे बढ़े।