दुनिया भर में कई ऐसे उत्सव हैं जिन्हें हम बचपन से देखते और परम्परागत तरीके से मनाते व निभाते चले आ रहे हैं। मगर जनजागरूकता के कुछ ऐसे भी विश्वव्यापी अभियान हैं जिन्हें हम सभी उत्सव के रूप में धुमधाम से मनाते हैं, इनमें से एक है “अर्थ ऑवर”। तो आइए पर्यावरण विद एवं रेडटेप मूवमेंट के संस्थापक प्रभात मिश्र से जानते हैं कि “अर्थ ऑवर” की शुरुआत कब, कैसे, कहां हुई और इसका मूल उद्देश्य क्या है ?
क्या है ‘अर्थ ऑवर” और यह क्यों मनाया जाता है?
अर्थ ऑवर की शुरुआत ज्यादा पुरानी नहीं है। ऊर्जा की बढ़ती हुई खपत और डिमांड के बारे में जैसे ही लोगों को समझ आने लगा कि हमें ऊर्जा को बचाने के लिए जल्द ही कुछ आवश्यक कदम उठाने होंगे।
उसके बाद “जलवायु परिवर्तन” के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई लोगों के विचार जानने के उद्देश्य से वर्ष 2004 में विश्व वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन की ऑस्ट्रेलियाई शाखा और विज्ञापन एजेंसी “लियो बर्नेट” सिडनी के बीच आयोजित एक विचार गोष्ठी में हुए विचार विमर्श के आधार पर वर्ष 2006 में “द बिग फ्लिक” नाम से एक ऐसे अभियान की रूपरेखा तैयार की गई थी जिसका उद्देश्य बड़े स्तर पर विश्व भर में लोगों को एक घंटे के लिए गैर आवश्यक विद्युत उपकरणों की बिजली बंद करने का आह्वान करना था।
#Mexico & #Nicaragua, it's now your turn to switch off your lights! This #EarthHour, let's come together virtually and shine a spotlight on our planet. 🔦🌍 Join millions around the world in switching off symbolically and sharing the Virtual Spotlight video! 🎬💚 pic.twitter.com/exTfBfeRMk
— Earth Hour Official (@earthhour) March 28, 2021
फेयरफैक्स मीडिया और सिडनी के मेयर “लॉर्ड क्लोवर मूर” की सहमति के बाद जलवायु परिवर्तन की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित एवं पर्यावरण सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर द्वारा 31 मार्च, 2007 को सिडनी, आस्ट्रेलिया में स्थानीय समय के अनुसार शाम को साढ़े सात बजे पहली बार अर्थ ऑवर का आयोजन किया गया था।
आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर से हुई शुरुआत के बाद यह धीरे-धीरे दुनियाभर में लोकप्रिय होता चला गया। वर्ष 2008 में 35 देशों ने “अर्थ ऑवर” में हिस्सा लिया था और तब से अब तक इस महाअभियान में 178 से अधिक देश शामिल हो चुके हैं।
पेरिस के एफिल टावर, न्यूयॉर्क के एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, दुबई के बुर्ज खलीफा, एथेंस के एक्रोपोलिस, इजिप्ट के पिरामिड, लन्दन के बिग बेन, सिडनी के ओपेरा हाउस, रूस के मॉस्को क्रेमलिन, थाईलैंड के ग्रैंड पैलेस, हांगकांग के विक्टोरिया 5, चीन के शंघाई टावर और एथेंस के एक्रोपोलिस व अन्य विश्व प्रसिद्ध इमारतों में एक घंटे के लिए बिजली बंद रखकर हर वर्ष मार्च के अंतिम शनिवार को “अर्थ ऑवर दिवस” मनाया जाता है।
“अर्थ ऑवर” मनाने का उद्देश्य और तरीका
ऊर्जा बचत का वैश्विक अभियान “अर्थ ऑवर” संपूर्ण विश्व में विभिन्न समुदायों के लोगों को ऊर्जा की खपत कम करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर वर्ष मार्च के अंतिम शनिवार को सांय 8:30 से 9:30 बजे तक अपने घरों एवं प्रतिष्ठानों की अनावश्यक विद्युत उपकरणों को एक घंटे के लिए बंद कर मनाया जाता है।
वर्तमान में 178 से अधिक देशों में 5 मिलियन से भी अधिक लोग दुनिया की सबसे बड़ी “स्वतंत्र संरक्षण संस्था” माने जाने वाले विश्व वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन (WWF) को सपोर्ट करते हैं। “अर्थ ऑवर” में दुनियाभर के नागरिकों से एक घंटे के लिए गैरज़रूरी लाइट्स को बंद रखने की अपील एवं सौर ऊर्जा को अपनाने की सलाह दी जाती है।
Lights out! UNHQ in NYC went dark for Saturday's #EarthHour.
Here's how you can take #ClimateAction all year round: https://t.co/X0Shwfcd3n pic.twitter.com/K0SwbM12x5
— United Nations (@UN) March 28, 2021
बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु सुरक्षा के लिहाज से यह 1 घंटा अति महत्वपूर्ण हो गया है। अन्य अभियानों की तरह हर वर्ष “अर्थ ऑवर” की एक नई थीम होती है लेकिन सभी का उद्देश्य सिर्फ एक ही होता है और वह है, लोगों को बिजली के महत्व एवं पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव जंतुओं व पृथ्वी की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना।
जीवाश्म ईंधन की अत्यधिक खपत पर भी होना चाहिए विचार
कुछ विशेषज्ञों ने डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए जीवाश्म ईंधन की होने वाली अत्याधिक खपत की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है, कि यदि बिजली बंद होगी और ऊर्जा बचाई जाएगी तो लोग मोमबत्तियों का इस्तेमाल करेंगे।
अगर ज़्यादा मोमबत्तियां एक साथ जलेंगी तो यह भी पर्यावरण के लिए ठीक नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर मोमबत्तियां ‘पैराफिन’ (Paraffin wax) से बनती हैं। जिसका आधार जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) होता है। इसलिए एक घंटा बिजली बंद कर ब्लैक ऑउट करने की अपेक्षा इस बात पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए कि किस तरह जीवाश्म ईंधन की बढ़ने वाली निर्भरता को कम किया जा सके।
भारत भी इस महाअभियान में किसी से पीछे नहीं
भारत में “अर्थ ऑवर” की शुरुआत वर्ष 2009 से हुई थी। तब 58 शहरों के 50 लाख और वर्ष 2010 में 128 शहरों के 70 लाख लोगों ने इस महाअभियान में हिस्सा लिया था जो बाद में बढ़ता चला गया। भारत की राजधानी दिल्ली में भी वर्ष 2018 में 305 और वर्ष 2020 में 79 मेगावाट बिजली बचाई गई।
“अर्थ ऑवर” के दौरान भारत की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, इंडिया गेट सहित कई अन्य ऐतिहासिक इमारतों में लाइटें बंद की जाती हैं। भारत में भी लाखों लोग निर्धारित समय पर अपने घरों व प्रतिष्ठानों की लाइटें स्विच ऑफ करके, पृथ्वी की बेहतरी व पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट होते हैं और ऊर्जा की बचत करने के साथ-साथ सौर ऊर्जा अपनाने का भी सन्देश देते हैं।