फ्रांस में जन्मे दो भाई जिन्होंने पुरी दुनिया को ‘सिनेमा’ के नशे में रंग दिया। दोनों भाई लूई एव एंटोनी को साइंस में बड़ी दिलचस्पी थी। दोनों भाईयों ने मिलकर एक फोटोग्राफी का एक औजार बनाया। जिसके बाद सिनेेमेटोग्राफ़ ने जन्म लिया और यही से सिनेमा की शुरुआत हुई।
दोनों भाईयों ने 22 मार्च 1895 को पेरिस में पहली बार फ़िल्म दिखाई। वे अपने आसपास के छोटे- छोटे विडियो बना लेते थे। पहले शो में उन्होंने एक फैक्ट्री से मजदूर को बाहर निकलते हुए दिखाया। फ्रांस के बहार ल्यूमिनर ब्रदर्स ने सिनेमैटोग्राफी की इस तकनीक के पेटेंट(लाइसेंस) के लिए 18 अप्रैल 1895 में अर्जी दी। दुनिया भर में इस तकनीक के बारे में बात होने लगी। इस तकनीकी को देख लोग कंफ्यूज हो गए। 1900 में उन्होंने पेरिस में 99 गुण 79 फुट के एक बड़े पर्दे पर दिखाया। इन दोनों भाइयों ने इस दिशा में बहुत ही सराहनीय वाले काम किए।
भारत में कब और कैसे चली पहली फिल्म
अगर हम भारत के लोग थिएटर में बैठकर अपने मित्रों, परिवार के साथ अगर हम पॉपकॉर्न खा रहे और अपना मनोरंजन कर है तो यह सिर्फ ल्यूमिनर ब्रदर्स की वजह से मुमकिन हुआ है। वो कैसे?
भारत मे सिनेमा एक नशे की तरह उभर कर आया। आज से 120 साल पहले 7 जुलाई को ल्यूमियर ब्रदर्स इंडिया में पहली चलती फिल्म लाए थे। लेकिन 7 जुलाई ना होती तो हिंदुस्तान के सिनेमा की कुछ और ही कहानी होती इसलिए हमें ल्यूमियर ब्रदर्स का आभारी होना चाहिए कि उन्होंने इस ऐतिहासिक घटना को अंजाम दिया।
जब दो भाई ने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी
अगर यह दो भाई गलती से इंडिया में सिनेमा जैसा नशीला पदार्थ ना लाते तो शायद ही हम इतनी खूबसूरत कला को आगे बढ़ा पाते। ल्यूमियर ब्रदर्स जो की पूरी दूनिया में चलती फिल्में फैलाने का प्लान किया था और इसकी शुरुआत वो ऑस्ट्रेलिया से करने वाले थे। इसके लिए उन्होंने अपने एजेंट को तैयार किया और ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना कर दिया लेकिन एजेंट मॉरिस सेस्टियर किसी कारण ऑस्ट्रेलिया नहीं जा पाए और आ पहुंचे बम्बई के वॉटसन होटल।
उसके बाद मॉरिस ने सोचा क्यों ना इंडिया में ही इस फिल्म को दिखाया जाए। जिस बात पर ल्यूमियर ब्रदर्स भी मान गए और 7 जुलाई 1896 को बम्बई के वॉटसन थिएटर में पहली बार कोई फिल्म चली। इसके बाद हिंदुस्तान में कई फिल्में बनीं और लोगों ने उन्हें बेहद सराहा भी।
जैसा कि आज के युग में भारतीय सिनेमा हर भाषा, समाज, राजनीतिक, प्रेम, कॉमेडी और भी कई तरफ के विषय पर फ़िल्म ओर वेब सीरीज बनाई और दिखाई जा रही है, उस समय जब लयूमिनर ब्रदर्स ने एक सिनेमेटोग्राफ़ से उस समय की असल चित्रों को पर्दे पर उतार दिया लेकिन आज 120 साल बाद नए-नए तरह के कैमरा, नई तरफ की कहानियों को मनोरंजन का रूप दे दिया गया।
अगर न होते ल्यूमिनर ब्रदर्स तो क्या होती भरतीय सिनेमा की कहानी, क्या आज हमारा मनोरंजन होता, क्या हम आज हम फिल्मों पर अध्ययन या उस पर बहस कर रहे होते?