औपचारिक शिक्षा की अनिवार्यता लंबे समय तक चर्चा व विवाद का विषय रही है। जो लोग इसके पक्षधर हैं, वो इसे आवश्यक मानते हैं जबकि विपक्ष के लोगों का मानना है कि भारत में पढ़ाई के लिए घर सबसे श्रेष्ठ विश्वविद्यालय हैं।
यहां हम औपचारिक शिक्षा के कुछ सकारात्मक विशेषताओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं, क्योंकि हम यह मानते हैं कि औपचारिक शिक्षा जीवन का एक आवश्यक हिस्सा है।
- जब कोई औपचारिक शिक्षा लेता है, तो उसको एक विशेषज्ञ से सीखने का मौका मिलता है। वह शिक्षक या प्रोफेसर अपने विषय का विशेषज्ञ होता है।
- एक शिक्षक या प्रोफेसर बताता है कि क्या और क्यों महत्वपूर्ण है? एक योग्य शिक्षक को बहुत सारी जानकारी होती है और उसे पता होता है कि छात्रों को क्या व कैसे सिखाया या पढ़ाया जाना चाहिए।
- एक प्रशिक्षक अपने विषय को अच्छी तरह से जानता है इसलिए वो छात्रों का सही दिशा में मार्गदर्शन करता है। एक शिक्षक या प्रशिक्षक अपने छात्रों का समय-समय पर मूल्यांकन भी करता रहता है और उन्हें उचित सुझाव भी देता है।
- शिक्षक या प्रशिक्षक ना केवल छात्र के कार्यों का मूल्यांकन कर सकता है, बल्कि उसे उनमें आवश्यक सुधार के लिए सुझाव भी दे सकता है।
- औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद छात्रों को प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की डिग्री मिलती है। यह उनकी योग्यता को प्रमाणित करती है, इससे उनको नौकरी मिलने में आसानी होती है।
- एक व्यवस्थित औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को आसानी से नौकरी मिल जाती है। जिससे उनका करियर सुरक्षित और भविष्य उज्ज्वल होता है।
औपचारिक शिक्षा का सार
निष्कर्ष यह है कि एक औपचारिक शिक्षा के कई सकारात्मक पहलू हैं। एक प्रभावशाली सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम की पढ़ाई करके छात्र अपनी योग्यता को और बढ़ा सकते हैं। औपचारिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति को नियुक्त करने वाला भी यह जानता है कि उक्त प्रतिभागी अपने विषय को अच्छी तरह से जानता है, इसलिए उसे नियोजित किया जा सकता है। औपचारिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति के पास एक विशेष कार्य करने के लिए आवश्यक योग्यता होती है। जिससे उसको एक अच्छी नौकरी, वित्तीय सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य मिलता है।
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