लेखिका- वर्षा पुलस्त
क्या आपने कभी बांस की बनाई चीज़ इस्तेमाल की है? जंगलो में रहने वाले आदिवासी बांस से बहुत ही महत्वपूर्ण चीज़ें बनाते हैं, जो हमारे रोज़ के जीवन में उपयोगी होते हैं। आदिवासी जंगल से बांस इकठ्ठा करते हैं, फिर उससे सुपा टोकनी बनाते हैं।
बांस का प्रयोग घर बनाने के लिए भी किया जाता है। उसके कोमल तने को खाया जाता है और इसे बज़ार मे सब्ज़ी के रूप मे भी बेचते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे कई गाँव हैं, जहां पन्डो जाति के आदिवासी निवास करते हैं। यहां के आदिवासी सुपा बनाकर अपना जीवन-यापन करते हैं।
सुपा कैसे बनाते हैं?
बिंझरा के निवासी मकुनंद राम ने बताया कि बांस लाने के लिए जंगलों में बहुत ही ऊपर चढ़ना पडता है, तब जाकर अच्छे व सीधे बांस पाए जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुपा बनाने के लिए हमेशा सीधे बांस की आवशकता होती है। लम्बे बांस को फिर घर लाकर छोटे भागों में काट दिया जाता हैं, जिसके बाद इसे पानी में डुबोया जाता है।
सुखाने के बाद बांस में रमदा चलाते हैं, जिससे बांस की हरे रंग की परत बाहर निकल जाती है और बांस मुलायम हो जाता है, जिससे अच्छे सुपा बनाया जा सके।
उस बांस को साफ कर उसे बीच से चीरा जाता है। चीरने के बाद उसे गुथा जाता है। सुपा का उपरी भाग, जिसे कोर कहते हैं, उसमें एक हरी पट्टी लगाई जाती है। हरी पट्टी इसलिए लगाते हैं, ताकि सुपा से चावल बहर ना निकले।
सुपा को बारीकी से गुथा जाता है। पन्डो जाति में एक नियम होता है कि सुपा बनाने का काम सिर्फ लड़के और पुरुष ही कर सकते हैं। एक दिन में सिर्फ एक ही सुपा बनाया जा सकता है। सुपा को पूरा गुथने के बाद लोग उसे सभी गाँवों में बेचने के लिए जाते हैं। एक सुपा को 150 रुपये में बेचा जाता है। पन्डो आदिवासी सुपा बेचकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
बांस से और क्या बनाया जा सकता है?
बांस से बहुत ही सुन्दर सजावटी सामान भी बनाया जाता है, जिससे घर को सजाया जाता है। बांस से दरवाज़े भी बनाते है। बांस से बनाए गए दरवाज़े सिर्फ गाँव के आदिवासियों के घरों मे ही होते हैं। जब आदिवासियों के घरों मे शादी होती है, तो शादियों मे इसी बांस से बनाई गई सामग्री का उपयोग करते हैं।
बांस से बल्ली भी बनाया जाता है। बल्ली बनाने के लिए सीधे बांस की ज़रूरत होती है और इस बल्ली का उपयोग घर बनाने में किया जाता है।
जंगलो में रहने वाले आदिवासियों के लिए जंगल ही उनका धरोहर है। आदिवासी जंगलों से जुडे रहते हैं, जिससे उन्हें उपयोगी चीज़ें भी प्राप्त हो जाती हैं। अगर आपके यहां बांस से बनाई गई चीज़ें उपलब्ध हैं, तो उन्हें ज़रूर ख़रीदकर देखें।
लेखिका के बारे में- वर्षा पुलस्त छत्तीसगढ़ में रहती हैं। वह स्टूडेंट हैं जिन्हें पेड़-पौधों की जानकारी रखना और उनके बारे में सीखना पसंद है। उन्हें पढ़ाई करने में मज़ा आता है।