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लॉकडाउन के दौरान बड़े शहरों तक नहीं पहुंच पाईं हिमाचल की सब्ज़ियां

चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे शहरों तक सब्ज़ियां पहुंचाने का साधन न होने के चलते करसोग के पांगणा गांव के किसानों ने सब्ज़ियों के बजाए औषधियां उगाने पर दिया बल।

वैश्विक महामारी कोरोना का असर आम जनमानस के जीवन पर पड़ा है। एक तरफ कोविड-19 महामारी की वजह से करोड़ों लोगों का रोज़गार छिन गया है। वहीं ग्रामीण जीवन में भी इसका बहुत बुरा असर देखने को मिला है।

हिमाचल प्रदेश भी अछुता नहीं रहा है

फलों की टोकरी कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में फल और सब्ज़ियों को लगभग 8 हज़ार करोड़ रुपये का कारोबार है। कोरोना की वजह से लगे लाॅकडाउन से सब्ज़ियों के उत्पादन से जुड़े किसानों को अपनी तैयार सब्ज़ियों को दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों तक पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे निपटने के लिए हिमाचल के छोटे से गांव पांगणा के सब्ज़ी उत्पादकों ने न सिर्फ कोरोना के कारण उत्पन हुए संकट से अपने आप को उबारा बल्कि अपने साथ लाखों किसानों के लिए एक प्रेरणा भी बन गए।

पांगणा के किसानों ने सब्ज़ियों को बड़े शहरों तक ना पहुंचाए जाने की स्थिति में अपने ही गाँव में ग्राम दिशा जैविक समूह बनाकर बाज़ार में सब्ज़ियों की दुकान खोली है।

दुकान तो खुली ही, साथ ही होम डिलिवरी का काम शुरू भी किया है। इसके अलावा लंबे समय से चले आ रहे अपने खेती के पैट्रन को बदला। अब लोकल मार्केट की मांग के हिसाब से सब्ज़ियां उगानी शुरू की। साथ ही अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए औषधीय पौधों की खेती शुरू कर दी। इसके लिए पांगणा के इन 7 ग्रामीणों ने न सिर्फ पहले अपने क्षेत्र की मिट्टी का परीक्षण करवाया बल्कि विशेषज्ञों की राय लेकर कौन से औषधिय पौधे हमारे क्षेत्र में पैदा हो सकते हैं। इसके बारे में भी पूरी जानकारी लेने के साथ प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।

क्या कहते हैं ग्राम दिशा जैविक समूह के सदस्य

दुनी चंद बताते हैं कि कोरोना से पहले हम दिल्ली के लिए सप्ताह में तीन बार सब्ज़ियां भेजते थे लेकिन सब बंद होने की वजह से एक बार ही सप्लाई जा रही है। कोरोना की वजह से जो नुकसान हुआ है उससे निपटने के लिए अब हमने सब्ज़ियों की खेती के साथ औषधीय पौधों की खेती शुरू की है।

पांगणा के ही एक अन्य किसान चेतन गौतम ने बताया कि उन्होंने अपने 5 बीघा खेतों में औषधीय पौधे जंगली गेंदा, लेवेंडर का फूल और बर्जिया की जड़ लगाई है। जब यह तैयार हो जाएंगे तो इसके लिए एक कंपनी के साथ करार कर लिया है ताकि किसानों को मार्केटिंग सबंधी समस्या से न जुझना पड़े।

ग्राम दिशा ट्रस्ट ने मुहैया करवाए बीज

ग्रामीणों के खेती पैट्रन को बदलने में किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए काम करने वाले ग्राम दिशा ट्रस्ट ने अहम भूमिका निभाई। ट्रस्ट की ओर से न केवल किसानों की क्षमता विकास करवाया गया, बल्कि किसानों को उचित दामों में उत्तम किस्म के बीज मुहैया करवाए गए।

पहली बार औषधीय पौधों की खेती में उतरे ग्रामीणों को किसी प्रकार का नुकसान न हो। ट्रस्ट के ट्रस्टी आशीष गुप्ता ने बताया कि किसान अब एकल फसल लेने के बजाए बहुफसलीय प्रणाली की ओर जा रहे हैं। ट्रस्ट की ओर से किसानों की क्षमता विकास के साथ उन्हें सही बाज़ार और सही बीज मिल सके इसके लिए काम किया जा रहा है। इस तरह हमारे साथ नए किसान जुड़ते जा रहे हैं।

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