रोज़ एक नया ख्वाब बुनता
रोज़ एक हसरत दफन करता
मुझे कहते हैं ‘मिडिल क्लास’।
अधूरी ख्वाहिशें और बढ़ती महंगाई
रातों-दिन जूझते हैं
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’।
बच्चों के नए शौक, बूढे माँ-बाप की बीमारियों की चक्की में पिसता रहता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’
चंद कागज़ के टुकड़ों की खातिर
रोज़ खुद्दारी को दांव पर लगाता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’।
तनख्वाह लेट होने पर हर पल बेचैन रहता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’
गरमी में एसी कम कूलर ज़्यादा चलता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’।
पुरानी कार को ही चमकाता रहता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’
धन कुबेरों को देख आह भरती
बेघरों को देख शुक्र मनाती,
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’।
एक कोट पैंट में कई ब्याह निपटा देता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’
30 ML के दो पेग लगाकर फिर से जवान हो उठता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’।
उलझनों के भंवर के बीच
सुकून के कुछ पल निकाल ही लेता
मुझे कहते हैं ‘मिडल क्लास’।