चांद से रौशन आसमां के नीचे
मैं और तू साथ में हों,
इक टुकड़ा लाए तू दिल का
दूसरा हिस्सा मेरा हो।
बातें हो बस आंखों से
जब दिल हमारे हाथ में हो
मैं और तू साथ में हों।
छेड़ो तो शरमाऊं मैं थोड़ा
दो-चार कदम पर रुक जाऊं,
दिल थामे मैं खड़ी हुई
मन ही मन में घबराऊं।
देखूं फिर ज़रा सा मुड़कर
मेरी चुन्नी का इक छोर भी तेरे हाथ में हो,
मैं और तू साथ में हों।
मिटे दूरी दो-चार कदम की
कदम प्रिय पर तेरे हों
आहिस्ता कंधे पर सर रख
हम वादि में अकेले हों।
सुनसान चांदनी रात में अपने
मिलन के पल के मेले हों,
मेरी ज़ुल्फों की ठंडक तू ओढ़े
हथेली मेरी तेरे हाथ में हो,
मैं और तू साथ में हों।