उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, जो किसी भी घटना पर सबसे ज़्यादा सुर्खियां बंटोरता है। आज के समय में भी उत्तर प्रदेश क्राइम की वज़ह से सुर्खियों में बना हुआ है। आज ये हाल है कि एक तरफ उत्तरप्रदेश की जनता राम मंदिर का गुणगान करते नहीं थक रही है, वहीं दूसरी तरफ क्राइम को देखते हुए खुद को असुरक्षित भी महसूस कर रही है। त्रेता युग में प्रभु श्री राम द्वारा एक आदर्श शासन स्थापित किया गया था, वह आज भी राम-राज्य नाम से लोकप्रिय है।
राम-राज्य और नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट
क्या उत्तर प्रदेश की जनता सुखी जीवन व्यतीत कर रही है? क्या उत्तर प्रदेश की जनता बिना डरे खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है? उत्तर प्रदेश के युवाओ को शिक्षा, नौकरी, उद्योग मिल चुके हैं? ख़ैर, उत्तर प्रदेश की सरकार तो इन सवालों के जवाब में यही कह रही है कि सब अच्छा है।
राम मंदिर का शिलान्यास हो गया है, अब हमारी उत्तर प्रदेश की जनता राज्य में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है और अंत में जय श्री राम का नारा बाकी कामों की कसर पूरी कर ही देता है। आप खुद सोच सकते हैं की उत्तर प्रदेश की सरकार आपको किस तरह से बेवकूफ समझती है, धर्म के नाम पर, प्रभु श्री राम के नाम पर आपको किस तरह ठगा जा रहा है
आंकड़ों के मुताबिक देश की 13.8 फीसदी हत्याएं केवल उत्तर प्रदेश में हुई हैं। वहीं आर्थिक अपराधों में भी उत्तर प्रदेश ने पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा साइबर क्राइम की बात करें तो उत्तर प्रदेश में ये वृद्धि 26.34 प्रतिशत है।
साथ ही देश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज़्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं और ये सारे ही केस महिलाओं की हत्या, रेप, दहेज़ को लेकर हत्या, आत्महत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड अटैक, महिलाओं के प्रति क्रूरता और किडनैपिंग के मामले हैं। यदि आंकड़ों पर नज़र डालेंगे तो आप समझ जाएंगे की आप उत्तर प्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं।
हिन्दुत्व की बात करते योगी! फिर ब्राह्मण हत्याएं क्यों?
आज उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज के लोगों की जो हत्याएं हो रही हैं। उसको देख कर लग रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ब्राह्मणों के खिलाफ है। पिछले दो वर्षों में हुई इन हत्याओं से पूरा ब्राह्मण समाज उग्र है, क्योंकि प्रदेश सरकार ब्राह्मण हत्याओं पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
ब्राह्मणों की हत्याओं पर सरकार खुल कर सामने आने से बचती हुई दिखाई दे रही है। कई ब्राह्मण संगठनों इसके खिलाफ आवाज़ भी उठाई और सरकार से सवाल भी पूछा कि बताइये! ब्राह्मणों की जितनी भी हत्याएं प्रदेश में हुई हैं उस पर सरकार ने अभी तक क्या किया है? कितने ब्राह्मणो को अभी तक इंसाफ मिल चुका है? कितने अपराधी पकड़े गए हैं ? इन सवालों के जवाब न तो उत्तर प्रदेश सरकार दे रही है, न ही उनके कोई मंत्री और न ही कोई अधिकारी।
सवाल फिर वही उठता है क्या योगी सरकार ब्राह्मणों के खिलाफ हो गयी है? हां सरकार शायद ये भूल गई है कि उसको बनाने में ब्राह्मणों का क्या योगदान रहा है। आज ब्राह्मणों की हत्या पर प्रदेश सरकार चुप्पी साध कर बैठी है आखिर क्यों? पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग हर जिले में ब्राह्मणों की हत्या हो रही है।
एक नज़र डेटा:
- सहारनपुर: श्श्री कृष्णपाल शर्मा व उनकी पत्नी की हत्या (02/05/2020)
- शामली: भजन गायक श्री अजय पाठक (31/12/2019)
- मेरठ: अधिवक्ता श्री मुकेश शर्मा (19/10/2019), श्री प्रिंस कुमार शर्मा उर्रफ हिमांशु (22/05/2020), श्री मुदित शर्मा (26/05/2020)
- आगरा: श्री सतीश शर्मा (01/05/2020)
- मैनपुरी: श्री सौरभ मिश्रा (29/06/2020), छात्रावास में ब्राह्मण छात्रा की हत्या (16/11/2018)
- इटावा: श्री राजेश्वर प्रसाद पचौरी और ४ अन्य (25/04/2020)
- कन्नौज: श्री अमन मिश्रा (28/10/2020)
- झाँसी: जगदीश उदैनियाए, श्री कुमुद, श्रीमती रजनी, मुस्कान, जीवनदा को जिंदा जलाया। (2019/12/10)
- उन्नाव: शुभम त्रिपाठी (19/06/2020)
- लखनऊ : श्री कमलेश तिवारी (18/10/2020) व अधिवक्ता श्री शिशिर त्रिपाठी (07/01/2020)
- लखीमपुर: पत्रकार श्री रमेश मिश्रा थाना मैलानी गोली मारकर हत्या (29/10/2019)
- सीतापुर: श्री राजेंदर पांडेय और उनके बेटे की हत्या (21/05/2020) व श्री अनुराग शर्मा (21/05/2020)
- अमेठी: श्री सत्य प्रकाश शुक्ल पुलिस हिरासत में हत्या (28/10/2019) व श्री प्रमोद मिश्रा (16/052020)
- प्रतापगढ़: श्री विवेक तिवारी (07/05/2020)
- जौनपुर: श्री समाजजीत (03/07/2020)
- प्रयागराज: श्री विजय शंकर तिवारी (04/01/2020), श्री संजय शुक्ला (06/05/2020), श्री महेश दत्त तिवारी (08/06/2020) श्री विमलेश पांडेय व 3 अन्य (03/07/2020)
- सिद्धार्थनगर: श्री कृष्ण चंद्र तिवारी (09/06/2020)
- बस्ती: श्री आदित्य नारायण तिवारी (09/10/2020)
- गोरखपुर: श्री आनंद स्वरूपुप मिश्रा (17/11/2020)
- बलिया: श्री सुरेंद्र पांडेय (05/02/2020)
- चंदौसी: श्री रामावतार शर्मा (30/07/2020)
- राय बरेली: 5 ब्राह्मण (20/06/2020)
उपरोक्त अनुसार योगी सरकार से सीधा सवाल यही है कि इन सब ब्राह्मण परिवारों को इंसाफ कब तक मिलेगा?
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अगर इन ब्राह्मण परिवारों को इंसाफ दिला सकती है, तब आगामी चुनाव में किसी ब्राह्मण के घर वोट मांगने का अधिकार भाजपा को नहीं है, क्योंकि ब्राह्मणों को इन्साफ नहीं तो वोट नहीं।
आज उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज उग्र है और यदि ये गुस्सा आंदोलन में बदल गया तो योगी सरकार की न्याय व्यवस्था पर हमेशा के लिए प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
ब्राह्मण वोट के नाम पर रोटी सैंकते सभी दल
हम अच्छे से जानते हैं कि मायावती को 2007 में दलित और ओबीसी वोट के साथ ब्राह्मण वोटों का भी योगदान रहा है। वही सपा पार्टी को 2012 में ब्राह्मण वोटों का फायदा पंहुचा। उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी लगभग 11- 12 प्रतिशत है। संख्या के आधार पर भले ही ब्राह्मण मतदाता कम हों लेकिन सत्ता का रूप बिगाड़ने की ताकत रखते हैं । 2017 में बीजेपी को भी बाह्मणों का पूरा समर्थन मिला लेकिन सत्ता में ब्राह्मणों का उतना वर्चस्व नहीं दिख पाया। 2017 में बीजेपी के कुल 312 में से 58 ब्राह्मणों को चुना गया। मंत्रालय में 9 ब्राह्मणों को जगह दी गयी लेकिन दिनेश शर्मा और श्रीकांत शर्मा को छोड़ दें तो किसी को भी कोई अहम विभाग नहीं मिला।
वहीं खबर भी आ रही है की समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता अखिलेश यादव ने सूबे में प्रभु परशुराम की मूर्ति लगवाने का वादा किया है। इसके बदले में बसपा प्रमुख नेता मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा पार्टी को बड़ी मूर्ति लगवाने का एलान कर दिया।
ये हो क्या रहा है? कोई मज़ाक चल रहा है क्या? सबको ब्राह्मणों पर राजनीति करने का अवसर मिल गया है क्या? दोनों पार्टी के प्रमुख मूर्ति लगाने की बात तो कर रहे हैं मगर ब्राह्मणों की हत्या पर न्याय की मांग कोई नहीं करना चाहता।
इसीलिए 2022 के आगामी चुनाव के लिए ब्राह्मण वोट को अभी से भुनाना शुरू कर दिया गया है। लेकिन ब्राह्मणों को इन्साफ चाहिए न कि ये राजनीति। ब्राह्मण का वोट उसी को होगा, जो ब्राह्मण की हत्याओं के खिलाफ खड़ा होगा और न्याय की मांग करेगा। ब्राह्मण समाज ने योगी सरकार को पूरी तरह से समर्थन दिया लेकिन ब्राह्मणों को क्या मिला सिर्फ और सिर्फ हत्याएं और परिवारों को एक गहरा सदमा।