जब से सुशांत के सुसाइड की खबर आई है हर तरफ अफरा-तफरी मच गई है। 14 जून को आत्महत्या की खबर आई थी, आज एक सितंबर भी हो गया लेकिन तफतीश अभी जारी है। अब यह सिर्फ एक सुसाइड केस ही नहीं रह गया है, बल्कि लोगों का यह भी शक है कि शायद किसी ने सुशांत की हत्या की है।
सीबीआई कर रही है इस मामले की जांच
असल में यह एक हत्या है या महज सुसाइड इसकी जांच सीबीआई तेज़ गति से कर रही है। इस मामले की अहम दोषी माने जाने वाली रिया चक्रवर्ती सही में दोषी हैं या नहीं इसकी जांच अभी चल रही है।
इस केस से जुड़ा एक अहम सवाल उठता है। क्या कानून को अपने हाथों में ले लेना सही है? क्या किसी के दोषी साबित हो जाने के पहले ही उसे दोषी करार कर देना उचित है? जो भी चल रहा है या मीडिया में दिखाया जा रहा है, उसपर ऊपर लोग अपनी राय बना रहे हैं कि यह गलत है या सही है।
चलिए, यहां तक भी ठीक था लेकिन जब तक कोई दोषी साबित ना हो जाए, उसके पहले ही उसे हर जगह दोषी करार कर देना। दरअसल यह बहुत गलत है। कुछ ऐसा ही सुशांत केस में रिया चक्रवर्ती के साथ भी हो रहा है। सारे नहीं लेकिन कुछ मीडिया चैनल्स ऐसे हैं जो कहीं-न-कहीं मीडिया ट्रायल कर रहे हैं।
मीडिया में चल रही खबरों से लोग बना रहे हैं रिया के बारे में अपनी राय
इसका साफ-साफ मतलब है कि केस में जिसपर इल्ज़ाम लगे हैं, उसके बिना दोषी साबित हुए ही उसे दोषी करार कर देना बेहद गलत है। मीडिया बहुत ही ताकतवर होती है जिसे तमाम लोग देखते हैं और उसे देखकर अपनी राय बना लेते हैं। ऐसे में मीडिया का भी फर्ज़ बनता है कि वह कानून के फैसले से पहले ही खुद कोर्ट बनकर किसी को दोषी करार ना दे जब तक कि कोर्ट का फैसला ना आ जाए।
कुछ चैनलों ने तो रिया चक्रवर्ती को इस तरह से पेश किया कि जैसे वे बिल्कुल निश्चित हों कि सुशांत को रिया ने ही मज़बूर किया हो सुसाइड करने के लिए। खैर, हो भी सकता है कि ऐसा ही हो या हो सकता है ऐसा ना भी हो लेकिन ऐसा है या नहीं उसी सच तक पहुंचने के लिए तो सीबीआई अपनी जांच कर रही है।
लोग और मीडिया सीबीआई बनने की क्यों कर रहें हैं कोशिश?
आखिर हम क्यों सीबीआई बनने की कोशिश कर रहे है? आखिर हम क्यों कानून बनने की कोशिश कर रहे हैं? दोषी कौन है यह कानून तय करेगा हम नहीं।
शायद मीडिया की वजह से काफी लोगों ने अपनी यह राय बना ली है कि रिया ही वह दोषी हैं, जिसकी वजह से सुशांत ने यह कदम उठाया। किसी एक का पक्ष लेना फिर भी समझ आता है लेकिन बिना कानून के फैसले से पहले ही खुद में फैसला ले लेना की दोषी कौन है, यह सरासर गलत है।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और ठीक उसी तरह हर केस के भी दो पहलू होते हैं जिन पर हमें ज़रूर गौर करना चाहिए। जब तक दोषी का पता ना चल जाए खुद से किसी को भी दोषी ना बनायें।