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हज़ारों स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहा है BHU प्रशासन?

देशभर में पिछले कई दिनों से इंजीनियरिंग और मेडिकल समेत तमाम विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं की तिथियों को आगे बढ़ाने की मांग को लेकर स्टूडेंट् प्रदर्शन कर रहे हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में स्टूडेंट्स के प्रदर्शन का तरीका ऑनलाइन है, जिसमें ट्विटर ट्रेंड, फेसबुक पोस्ट इत्यादि के जरिये वे अपना विरोध दर्ज़ करा रहे हैं।

इन सबके बीच उत्तरप्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के परास्नातक अंतिम वर्ष के स्टूडेंट नीरज विश्वविद्यालय परिसर स्थित छात्र अधिष्ठाता भवन में विगत 20 दिन यानि 13 अगस्त से ही कोरोना महामारी के दौरान परीक्षा कराए जाने के विरोध में सत्याग्रह पर बैठे हुए हैं।

उनकी इस मांग को बीएचयू सहित देशभर के तमाम स्टूडेंट्स के साथ-साथ विश्वविद्यालयों के छात्र संघों एवं छात्र संगठनों का समर्थन भी हासिल हुआ। बावजूद इसके बीएचयू प्रशासन ने परास्नातक की प्रवेश परीक्षा को 24 अगस्त से 31 अगस्त के बीच सम्पन्न करा लिया है।

हालिया सम्पन्न प्रवेश परीक्षाओं में बीएचयू प्रशासन द्वारा स्टूडेंट्स की उपस्थिति का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग करते हुए नीरज कहते हैं कि बमुश्किल 35-40% स्टूडेंट्स ही इस प्रवेश परीक्षा में शामिल हो पाए हैं।

कोरोना महामारी के डर, यातायात के साधन उपलब्ध ना होने एवं सेन्टर दूर होने की वजह से अधिकांश स्टूडेंट्स प्रवेश परीक्षा में शमिल होने से वंचित रह गए हैं। ऐसे में हज़ारों स्टूडेंट्स के एक साल बर्बाद होने की ज़िम्मेदारी क्या बीएचयू प्रशासन लेगा?

नीरज आगे बताते हैं कि उन्होंने बीएचयू प्रशासन से हर ज़िले में सेन्टर बनाने, परीक्षा के दौरान कोरोना संबंधित प्रोटोकॉल के अनुपालन हेतु एक महामारी विशेषज्ञ समिति बनाने एवं परीक्षा सुचारू रूप से सम्पन्न हो, इसके लिए ज़िलाधिकारी को नोडल अफसर बनाने की मांग की थी लेकिन उनकी किसी भी मांग को ना मानते हुए बीएचयू प्रशासन ने लाखों स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खेलने का काम किया है।

इसी बीच कई कोरोना संक्रमित स्टूडेंट्स को परीक्षा देने की अनुमति नही दी गई। जबकि बीएचयू प्रशासन ने कोरोना संक्रमित स्टूडेंट्स को एक अलग कमरे में एग्ज़ाम दिलवाने की बात कही थी। ऐसे ही एक कोरोना संक्रमित स्टूडेंट अनिल बताते हैं,

बीते 26 अगस्त को मेरी बीएचयू की एम.ए. समाजशास्त्र की प्रवेश परीक्षा थी। जब मैंने सेन्टर पर मौजूद अधिकारियों को अपने कोरोना पॉज़िटिव होने की बात बताई तो उन्होंने मुझे परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया। जबकि बीएचयू प्रशासन ने ऐसे स्टूडेंट्स को अलग कमरे में परीक्षा दिलवाने की बात कही थी।

अनिल इसे बीएचयू प्रशासन का छल बताते हुए कहते हैं, “यह लाखों स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ सरासर अन्याय है। बीएचयू प्रशासन के इस कृत्य से मुझ जैसे हज़ारों विद्यार्थियों का एक साल बर्बाद हो गया है।”

वहीं, प्रवेश परीक्षा में स्टूडेंट्स की कम उपस्थिति की बात कहते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक अंतिम वर्ष के स्टूडेंट अमन बताते हैं, “मैंने बीएचयू के परास्नातक पाठ्यक्रम के दो कोर्सेज़ की प्रवेश परीक्षा दिल्ली स्थित एक परीक्षा केंद्र पर दी और दोनों ही समय परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की संख्या बमुश्किल 30% ही थी। स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में परीक्षा छोड़ने को विवश हैं लेकिन बीएचयू प्रशासन को इसकी कोई परवाह नही है।

बहरहाल स्टूडेंट्स के भारी विरोध के बावजूद बीएचयू प्रशासन आगामी 9 सितंबर से विभिन्न स्नातक स्तर के कोर्सेज़ के  लिए प्रवेश परीक्षा कराए जाने को लेकर तुला हुआ है। जबकि हज़ारों स्टूडेंट्स सेन्टर दूर होने, यातायात के साधन ना उपलब्ध होने और परिवार के लोगों या खुद के कोरोना संक्रमित होने की बात कर रहे हैं।

वहीं, इस प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने की मांग को लेकर ऑनलाइन व बीएचयू प्रशासन को ईमेल करके अपनी व्यथा से अवगत करा रहे हैं।

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