वर्तमान समय में भारत के पास जितना युवा धन है, उतना दुनिया के किसी मुल्क के पास नही है मगर सच्चाई यह भी है कि सबसे ज़्यादा बेरोज़गार युवाओं का सैलाब भी हमारे ही मुल्क में है। यह सब कुछ वर्तमान सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है।
आप खुद देख लीजिए कि पिछले 60 सालों में बेरोज़गारी को लेकर जितनी बातें नहीं हुई हैं, उससे कहीं अधिक बीते 6 सालों से सुनाई पड़ रही है।
बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि वर्तमान सरकार ने सत्ता हासिल करने के लिए युवाओं को हर साल दो करोड़ रोज़गार गारंटी का वादा कर छला था। उसमें भी एक शिक्षित बेरोज़गार होने के नाते खुद को छला हुआ महसूस कर रहा हूं। आज दिन-प्रतिदिन बेरोज़गार युवाओं में आत्महत्या का प्रमाण बढ़ रहा है। उसके लिए भी ज़िम्मेदार कौन?
आज मुल्क के कई संस्थानों का लगातार निजीकरण होना यह साबित करता है कि वर्तमान सरकार विफल है। इसी वजह से हर रोज़ लाखों की तादाद में युवाओं की नोकरियां दाव पर लगी रहती हैं। युवाओं में लगातार डिप्रेशन बढ़ रहा है।
आज इन्हीं गलत नीतियों की वजह से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाला युवा चपरासी की नौकरी भी करने को तैयार है। हद तो यह है कि वो भी उसे नसीब नहीं है!
इससे भी कहीं ज़्यादा चौंकाने वाले मामले मुल्क के अनेक शहरों में उस वक्त सामने आएं, जब म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में सफाई कर्मियों की नौकरी के लिए गैजुएट एवं पोस्ट गैजुएट के साथ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले युवाओं का तांता लग गया। यह हाल देखकर मैं खुद व्यथित हूं।
अंत में मेरी तमाम युवा साथियों से अपील है कि आप राजनीतिक मूल्यों को समझें और मुल्क के मौजूदा हालात एवं बेरोज़गार युवाओं के हित के लिए राजनीति में आएं। इतिहास गवाह है कि हर क्षेत्र में बदलाव युवा वर्ग के संघर्षपूर्ण कार्यों से ही मुमकिन हुआ है!