राम मंदिर लोगों की आस्था से जुड़ा है, इसलिए इसका बनना वाकई खुशी देता है। लंबे संघर्ष के बाद राम विराजमान होंगे। भारतवासियों के लिए गौरव का पल है कि उनके राम अपने निवास में पधार गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से किया अपना वादा निभाया मगर अफसोस है कि उन्होंने युवाओं को रोज़गार देने का वादा पूरा नहीं किया।
राम मंदिर की खुशी में लाखों खर्च मगर!
राम मंदिर पर लाखों-करोड़ों खर्च हो रहे हैं। हालांकि यह कोई बुरी बात नहीं है। आखिर राम मंदिर में विराजे हैं, इतना तो करना बनता है। लोगों ने भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है। लोगों ने भी दीये जलाए हैं, चारों ओर जय-जयकार की उद्घोष लगाकर अपनी खुशी को दर्शाया है।
शायद जनता भूल गई कि केवल जय-जयकार लगाकर ज़िंदगी नहीं काटी जा सकती है। मंदिर के शोर में कई आवाज़ें दबकर-सहमकर मर चुकी हैं, जिनमें युवाओं के रोज़गार से जुड़ा मुद्दा सबसे गंभीर है। बीजेपी सत्ता में युवाओं को रोज़गार देने के वादे से भी आई थी। उसमें केवल मंदिर निर्माण का मुद्दा नहीं था।
नौकरी से पहले आस्था का मुद्दा
हालांकि मंदिर बनने से टूरिज़्म में लोगों की रुचि बढ़ेगी और राजस्व का फायदा भी होगा, क्योंकि राम मंदिर की भव्यता आंखों में चमक और दिल को सुकून देती है। लोग दिलों में आस्था लेकर दर्शन करने अवश्य आएंगे, क्योंकि भारत में और अन्य जगहों में भी आस्था का मुद्दा सबसे बुरा मुद्दा होता है।
इंडिया ब्रांड इक्विटी की दिसम्बर 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में टूरिज़्म और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में 4 करोड़ से ऊपर लोगों को रोज़गार मिला था, जो देश मे कुल रोज़गार का 8 फीसदी है। इस आंकड़े से साफ पता चलता है कि टूरिज़म का सेक्टर एक नई ऊंचाई कायम करेगा मगर इसके साथ अन्य सेक्टरों में भी ध्यान देना ज़रूरी है। साथ ही कोरोना को कंट्रोल करना भी ज़रूरी है। इसमें सरकार के साथ-साथ लोगों को भी जागरुक रहना पड़ेगा।
राज्यों के कारण उतरे युवाओं के चेहरे
राज्य सरकारों ने कोरोना काल में अनेकों वैकेंसी को घटाने का निर्णय लिया है, जिसमें योगी सरकार का फैसला भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि बचत बढ़ाने और खर्च कम करने के लिए योगी सरकार ने फैसला लिया है कि वह एक साल तक कोई नई नियुक्ति नहीं करेगी।
हरियाणा में भी नए कर्मचारियों की भर्ती पर एक साल के लिए रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों को एलटीसी की सुविधा भी बंद कर दी है।
इन सब खबरों से उन युवाओं के सपनों पर पानी फिर गया है। वे सोच में हैं कि राम मंदिर बनने की खुशी मनाएं या नौकरियां जाने का गम। युवाओं पर अनेकों परेशानियों के साथ-साथ कई ज़िम्मेदारियां भी होती हैं, जिस कारण कभी-कभी वे अवसाद में चले जाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं।
मंदिर बनने से सभी खुश हैं मगर मंदिर के साथ-साथ लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रोज़गार देना सरकार का दायित्व है। मंदिर के शोर में युवाओं की मांगों को सुनना बेहद ज़रूरी है।
लाखों-करोड़ों की लागत में सरकार जब मंदिर बना सकती है, तो युवाओं को रोज़गार देने ओर नौकरियों के अवसर निकालने में सरकार क्यों फिकी पड़ने लग जाती है।