हमारे समाज में यह हमेशा से चला आ रहा है कि लड़कियों को उनके कपड़े से जज किया जाता हैं। यदि आप सूट पहनती हैं, तो इसका मतलब आप बहुत संस्कारी हो, वहीं अगर आप जीन्स या कैफरी पहनती हो, तो आप बिल्कुल भी संस्कारी नहीं हो। यह हमारे समाज की धारणा है।
आप की सोच क्या है? आप कैसी हैं? समाज के लिए ये सब बातें कोई मतलब नहीं रखती हैं। समाज के मुताबिक आपके चरित्र को आपके कपड़े ही बता देते हैं। मानो या ना मानो आज भी यह समाज ऐसा ही है। हम टीवी पर रोज ऐड्स, फिल्म और शोज देखते हैं जिसमें बताया जाता हैं कि कपड़े हमारा कैरेक्टर नहीं तय करते हैं लेकिन हम उसे असल ज़िन्दगी में अपनाते नही हैं, बस देखकर सुनकर भूल जाते हैं ।
गाँवों से लेकर शहरों तक मौजूद हैं जज करने वाली मानसिकता के लोग
मैं यह बिल्कुल नहीं कह रही की सिर्फ गाँवों में ऐसे लोग हैं। शहर हो या गाँव दोनों ही जगहों पर ऐसी घटिया सोच वाले लोग हैं और यह मैं आज इसलिए बोल रही हूं, क्योंकि मैंने खुद इसका सामना किया है।
आपको बता दूं की कुछ दिन पहले मेरे यहां गाँव में एक शादी थी जिसको मैं अटेंड करने गई। वहां जाने के बाद मैंने यह नोटिस किया कि जो गाँव की दादी, भाभी और चाचियां थीं, वो सब मुझे अजीब तरीके से देख रही थीं और कुछ बातें कर रही थीं।जब मैं उनके पास जाकर बैठी तब वो चुप हो गई, तभी वहां मेरे घर के बगल के एक अंकल आए जिनसे भाभी बात करने लगीं। बात करते हुए उन्होंने कहा,
“आपकी बेटी कितनी संस्कारी है देखकर पता चलता है। हमेशा शूट पहनकर सर नीचे करके चलती है लेकिन वहीं आजकल की कुछ लड़कियों में तो संस्कार ही नही हैं। जीन्स पहनकर घूमती रहती हैं और इज़्जत नीलाम करती रहती हैं।न अपना इज्जत का ख्याल है और न ही घर वालों की लड़की होकर टांग दिखा कर घूमती रहती हैं।”
मुझे यह बात सुनकर बहुत अजीब लगा मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये लोग ऐसे कैसे बोल सकते हैं? जो सूट पहने और नज़रें झुका कर चले वो ही संस्कारी हैं और जो जीन्स पहने उसमें संस्कार नहीं है। यह कैसा नियम है?
छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ता है समाज
ये सब बातें मेरे दिमाग से निकलनी शुरू ही हुई थी तभी फिर कुछ ऐसा हुआ जो इन सब बातों को मुझे सोचने पर वापस मजबूर कर दिया ।
हुआ यह कि गर्मी के कारण मैं और मेरी बहन ने कैफ्री और टी-शर्ट पहन कर घर मे ही घूम रहे थे। तभी मैंने देखा कि मेरी छोटी भतीजी जो कि सिर्फ 10 साल की है, वह अपनी माँ से बोल रही थी मुझे भी बुआ की तरह कपड़े पहनने हैं जैसे बुआ ने पहने हैं। उसपर उसकी माँ उसे समझा ही रही थी तभी उसके पापा वहाँ आए और पूछने लगे क्या हुआ क्यों रो रही है?
जैसे ही भाभी ने उनको बताया उसपर भईया ने उस छोटी सी बच्ची को कहा,
“अगर तू वैसे कपड़े पहन लेगी तो मैं तेरी टांग काट दूंगा। वैसे कपड़े पहनकर समाज में मेरी नाक कटवानी है क्या? अच्छी लड़कियां वैसे कपड़े नहीं पहनती हैं।”
ऐसे में, मैं इस समाज से सिर्फ यह पूछना चाहती हूं कि आखिर जीन्स पहनने में क्या खराबी है? इसमें किसी को इतनी खराब नज़रो से देखने वाली क्या बात है?
मुझे नहीं लगता छोटे कपड़े पहनने में कोई बुराई है। बुरी उनकी सोच है जो दूसरों को उनके कपड़ो से जज करते हैं। 21वीं सदी में रहकर अगर हम ऐसी सोच रखते हैं तो यह बहुत ही शर्म की बात है।
इतनी बड़ी दुनिया में बहुत कुछ देखने और सोचने को हैं। इसलिए मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि किसी के कैरेक्टर को उसके कपड़े से जज ना करें, क्योंकि ज़रूरी नहीं कि जो लड़कियां सूट और लहंगा पहनती हैं, सिर्फ वो ही कैरेक्टर से अच्छी होती हैं और जो छोटे कपडे़ पहनती हैं, वो खराब।
इसलिए सभी से मेरी रिक्वेस्ट है कि बिना किसी से बात किए या बिना उसके बारे में जाने किसी के लिए अपनी राय ना बनाएं।