आपने अक्सर कुछ घुमक्कड़ टाइप के लोगों को कहते सुना होगा, “घूमने के पैसे नहीं लगते।” या फिर ऐसे किसी व्यक्ति से मिले होंगे जिन्होंने बताया होगा कि वो पिछले 3 या 4 सालों से दुनियां की सैर पर निकले हैं। ऐसे में मन में सवाल आता है कि आखिर ये कितने अमीर लोग हैं कि लगातार घूमते रहते हैं या फिर यह कैसे कमाई करते हुए घूमते रहते हैं?
पहले मैं अपना एक निजी अनुभव बताता हूं। पिछले साल विपश्यना (A form of Meditation) के दौरान मैं ऐसे ही एक मलेशियाई व्यक्ति से मिला जिसने बताया कि वो पिछले 6 साल से पूरी दुनिया घूम रहे हैं। जिसमें उन्होंने सबसे ज़्यादा वक्त यूरोप के देशों में बिताया।
सफर करने के लिए उन्होंने “हिचहाइकिंग” किया और वहां खाने और कभी-कभी ठहरने के लिए वो स्ट्रीट सिंगिंग के ज़रिये पैसों का इंतज़ाम कर लेते थे। आपको बता दें कि यूरोप के देशों में यह विधा काफी प्रचलित है जिसका इस्तेमाल अक्सर ट्रैवलर्स करते हैं।
हिचहाइकिंग क्या है?
यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है। हम भारतीय भी अक्सर कहीं पर ट्रांसपोर्ट की सुविधा ना होने पर आने-जाने वाले दुपहिया या चार पहिया वाहनों से लिफ्ट लेकर अपने नियत स्थान तक जाते हैं। घूमने के परिपेक्ष्य में एक-जगह से दूसरी जगह जाने का यही तरीका “हिचहाइकिंग” कहलाता है।
अब सवाल यह उठता है कि यह शब्द कहां से आया? दरअसल, रास्ते से गुज़रने वाले लोगों से अनुरोध करके लिफ्ट लेकर यात्रा करने का यह तरीका यानी हिचहाइकिंग 1920 के आसपास अमेरिका के प्रांतों में समृद्ध हुआ।
अपने देश में कितना सफल है हिचहाइकिंग
सभी देशों में हिचहाइकिंग के अपने-अपने लाभ और चुनौतियां हैं। भारत में हिचहाइकिंग के लिहाज़ से सबसे उपयोगी प्राइवेट वाहन है। दरअसल, लम्बी दूरी तय करने वाले ट्रक के अलावा जैसे-जैसे चार-पहिया वाहन बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोग हिचहाइकिंग को लेकर पॉज़िटिव हो रहे हैं। इस प्रकार अब यात्रा तय करने और घूमने का तरीका आसान होता जा रहा।
इंटरनेट पर आपको हिचहाइकिंग की तमाम कहानियां मिल जाएंगी, जो आपको प्रभावित कर सकती हैं और साथ ही चुनौतियों से कैसे निपटना है, इसकी जानकारी भी आपको मिल जाएंगी। इन्हें सर्च करने का तरीका आसान है। आपको सर्च करना है “Hitchhiking in India” जिसके बाद कई सारे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिंक आपको मिल जाएंगे। ऐसे में इसके बारे में आप अपनी समझ बना सकते हैं।
इसके साथ ही आप Hitchwiki.org पर जाकर इससे सम्बंधित जानकारियां हासिल कर सकते हैं। तो अब अगर आप भी बिना पैसे के दुनियां घूमने का सपना देख रहे हैं, तो यह तरीका आपके काम आने वाला है।
संदर्भ- An Informal History of Hitchhiking. By John T. Schlebecker