आर्थिक क्षेत्र में नए सुधारों की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज करदाता चार्टर के बारे में जानकारी दी। कोरोना संक्रमण काल में करदाताओं की भूमिका और भागीदारी की तारीफ कर चुके प्रधानमंत्री ने आज देश के करदाताओं के लिए नए प्लेटफॉर्म ‘पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान’(ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन- ऑनरिंग द ऑनेस्ट) लॉन्च किया।
इसमें फेसलेस एसेसमेंट, अपील और टैक्सपेयर चार्टर जैसे बड़े सुधार शामिल हैं। जिसमें से फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर चार्टर आज से ही लागू हो जाएंगे जबकि फेसलेस अपील 25 सितंबर यानी दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस से देशभर में लागू होगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में चल रहे संगठनात्मक बदलाव का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है।
कोरोना काल में भी विदेशी निवेशकों में नहीं आई कमी
देश के संपूर्ण विकास के लिए विदेशी पूंजी अत्यधिक आवश्यक है। वैश्विक महामारी के दौर में भी देश विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास बढ़ा है। कोरोना संकट के दौरान भी देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई का आना इस बात का का सबूत है।
सुधार की इसलिए ज़रूरत थी, क्योंकि हमारा सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना। आज़ादी के बाद थोड़े बदलाव किए गए लेकिन उसका चाल-चलन नहीं बदला। परिणाम यह हुआ कि जो करदाता देश के विकास के लिए मजबूत स्तंभ थे, उन्हें ही कटघरे में खड़ा किया जाने लगा। आयकर का नोटिस फरमान की तरह बन गया।
देश के साथ छल करने वाले कुछ मुट्ठी भर लोगों को पहचान के लिए बहुत लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुज़रना पड़ा। इस विसंगति के बीच ब्लैक और व्हाइट का उद्योग भी फलता-फूलता गया। इस व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार करने वालों को और देश की युवा शक्ति की आकांक्षाओं को प्रोत्साहित करने के बजाय कुचलने का काम किया।
सीमलेस, पेनलेस और फेसलेस हो टैक्स
प्रधानमंत्री मोदी ने कराधान में सुधारों की घोषणा के दौरान तीन शब्दों पर ज़ोर दिया – सीमलेस, पेनलेस और फेसलेस। उन्होंने कहा कि देश में टैक्स को भी कम किया गया है। पांच लाख आय पर टैक्स शून्य है। बाकी स्लैब पर भी टैक्स कम किया गया है।
कॉरपोरेट टैक्स के मामले में हम विश्व में सबसे कम टैक्स लेने वाले देश हैं। सीमलेस, पेनलेस और फेसलेस हो टैक्स सरकार इसकी कोशिश में लगी हुई है। आज से लागू होने वाले ये सुधार इसी सोच को आगे बढ़ाने वाले हैं।
क्या है करदाता चार्टर?
प्रधानमंत्री ने करदाता चार्टर लागू करने की घोषणा की है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में करदाता चार्टर लाने का ऐलान किया था। पिछले सप्ताह भी उन्होंने इस चार्टर को जल्द लागू करने के संकेत दिए थे।
करदाता चार्टर का मकसद करदाताओं और आयकर विभाग के बीच विश्वास बढ़ाना, करदाताओं की परेशानी कम करना और अधिकारियों की जवाबदेही तय करना होता है। गौरतलब है कि इस समय यह सिर्फ दुनिया के तीन देशों- अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही लागू है। इस चार्टर की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं –
- करदाताओं को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। आयकर विभाग को अब करदाताओं की इज्ज़त के संवेदनशीलता का ध्यान रखना होगा।
- करदाताओं की बातों पर विश्वास करना होगा । विभाग को अगर किसी प्रकार का संदेह है भी, तो अब करदाताओं को अपील और समीक्षा का अधिकार भी होगा।
- सांविधिक दर्ज़ा दिए जाने और आयकर विभाग द्वारा नागरिकों को समयबद्ध सेवा के ज़रिए अधिकार संपन्न बनाए जाने की उम्मीद है।
प्रभाव और दबाव का मौका ज़ीरो
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस नई व्यवस्था से प्रभाव और दबाव के अवसर शून्य हो जाएंगे। आयकर विभाग को इससे बहुत अधिक लाभ होगा जिससे कि वह अनावश्यक मुकदमेबाज़ी से बच सकेंगे। ट्रांसफर, पोस्टिंग में पहले लगने वाली अनावश्यक ऊर्जा अब नहीं लगेगी।
करदाता को आयकर विभाग दफ्तर में जान-पहचान बनाने का मौका नहीं मिल सकेगा। सबको अपने-अपने दायित्व के हिसाब से काम करना होगा। विभाग को इससे लाभ यह होगा कि अनावश्यक मुकदमेबाज़ी खत्म होगी। इससे टैक्स के जुड़े मामलों की जांच के साथ-साथ अपील भी फेसलेस होगी।
इतने बड़े देश में सिर्फ 1.5 करोड़ करोड़ लोग ही भरते हैं टैक्स
देश में ईमानदार करदाताओं के साथ ही टैक्स चोरी भी भारी संख्या में होती है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2012-13 में जितने रिटर्न फाइल होते थे, उनमें से 0.94% की स्क्रूटिनी होती थी। 2018-19 में यह घटकर 0.26% पर आ गई यानी चार गुना कम हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि रिटर्न भरने वालों की संख्या में बीते सालों में करीब 2.5 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है लेकिन इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि इसके बावजूद 130 करोड़ लोगों के देश में यह बहुत कम है। सिर्फ 1.5 करोड़ साथी ही इनकम टैक्स जमा करते हैं। आपसे आग्रह करूंगा कि इस पर हम सब को चिंतन करने की ज़रूरत है। यह आत्मनिर्भर भारत के लिए बेहद ज़रूरी है।