कर्नाटक में हाल-फिलहाल में तो ना तो कोई चुनाव हैं और ना ही वहां की सियासी गूंज का असर बिहार की चुनावी राजनीति पर पड़ सकता है। फिर 10% उच्च श्रेणी के आरक्षण का शंखनाद कर्नाटक से क्यों हुआ? यदि हुआ तो फिर कोरोना के इस काल में क्यों हुआ?
सरकारी नौकरी खत्म करने पर आमादा मोदी सरकार अचानक कौन-सी नौकरी की बारिश करने वाली है? उस पर से बड़ा कमाल यह है कि कर्नाटक सरकार ने EWS स्कीम के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने हेतु ka के तहत कास्ट सर्टिफिकेट और इनकम सर्टिफिकेट भी जारी कर दिए।
अब कोई यह बताए कि यह कैसे सम्भव हुआ? सरकार के पास कौन से डेटा हैं जिनके आधार पर कास्ट सर्टिफिकेट और इनकम सर्टिफिकेट सरेआम जारी कर दिए गए?
बात कर्नाटक की
कर्नाटक राज्य सरकार ने EWS स्कीम को लागू करने के लिए बाकायदा “ब्राह्मण विकास बोर्ड” का गठन ही कर दिया। लगे हाथ सभी उपायुक्तों को ब्राह्मणों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का फरमान भी सुना डाला।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कर्नाटक मे 10% आरक्षण के हकदार सिर्फ ब्राह्मण ही क्यों हैं। बाकी जातियों का क्या क,सूर? बहरहाल मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना कहां हो सकती थी? फिर क्या इस स्कीम के तहत राजस्व विभाग की अवर सचिव वरलक्ष्मी ने सभी डीसी को आदेश जारी कर दिया कि ब्राह्मणों को प्रमाण पत्र जारी किए जाएं?
क्या है EWS स्कीम?
ज्ञात हो कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहके आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों के लिए शैक्षणिक संस्थानों और रोज़गार में 10% आरक्षण लागू किया था।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा 19 जनवरी, 2019 को जारी अधिसूचना के अनुसार, जिन व्यक्तियों के परिवार की कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम होगी, उनकी पहचान “आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग” के रूप में की जाएगी।
10% आरक्षण के दायरे में आने के लिए आपको आरक्षण के लिए ज़रूरी शर्तों पर खरा उतरना होगा। इसके लिए निवेदक के पास 8 डॉक्टूमेंट्स होने चाहिए।
- इनकम सर्टिफिकेट- सरकार की ओर से उन लोगों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा, जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है। इसके लिए इनकम सर्टिफिकेट यानी आय प्रमाण पत्र की ज़रूरत होगी.
- कास्ट सर्टिफिकेट- आरक्षण का लाभ लेने के लिए निवेदक के पास कास्ट सर्टिफिकेट यानी जाति प्रमाण पत्र की ज़रूरत होगी।
- BPL कार्ड- BPL यानी ‘Below The Powerty Line कार्ड’ निवेदक के पास होना चाहिए।
- पैन कार्ड- पैन कार्ड आज के समय में सभी नौकरी और सेवाओं के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। रही बात 10% आरक्षण की तो पैन कार्ड की ज़रूरत है।
- आधार कार्ड- सभी 4 डॉक्टूमेंट्स के साथ आधार कार्ड का होना भी अनिवार्य है।
- जनधन योजना से जुड़ें- पिछड़े सवर्णों को आर्थिक आधार पर नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण चाहिए तो जनधन योजना के तहत बैंक अकाउंट होना चाहिए।
- इनकम टैक्स रिटर्न- सवर्णों को आरक्षण का लाभ उठाना है तो इनकम टैक्स रिटर्न के कागजात अपने साथ रखने होंगे। फॉर्म 16 के ज़रिये आप इस बात का प्रमाण दे सकते हैं कि आपकी आय आठ लाख रुपये से कम है और आप आरक्षण के दायरे में आते हैं।
- पासबुक या बैंक स्टेटमेंट- पासबुक के तीन महीने की स्टेटमेंट भी आपको दिखानी है।
बहरहाल, सरकार यह बताए कि यदि किसी सामान्य श्रेणी की इनकम 7 लाख सालाना है, तो उसे BPL कार्ड इशू हो सकता है क्या? यदि नहीं तो फिर किस आधार पर कर्नाटक सरकार ने 10% आरक्षण के लिए सर्टिफिकेट इशू किए।
किस डेटा के आधार पर 10% आरक्षण सर्टिफिकेट जारी हुआ?
कर्नाटक सरकार को कैसे पता है कि ब्राह्मणों की स्थिति खराब है? यदि खराब है तो सामान्य श्रेणी की दूसरी जाति को यह लाभ क्यों नहीं दिया गया? आखिर वे कौन से डेटा हैं, जिनसे पता चलता है कि सामान्य श्रेणी में 10% आरक्षण के हकदार सबसे पहले ब्राह्मण हैं?
पूरे भारत की बात की जाए तो सामान्य श्रेणी की विभिन्न जातियां हैं जिनके हालात बहुत खराब हैं लेकिन कागज़ पर यह सच्चाई दिखती नहीं है। ऐसे में कर्नाटक सरकार ने कौन से डेटा को आधार बनाकर ब्राह्मणों को कास्ट सर्टिफिकेट और इनकम सर्टिफिकेट देने का आदेश दिया?
यदि कर्नाटक सरकार ने कास्ट सर्टिफिकेट और इनकम सर्टिफिकेट देने का आदेंश दिया भी है, तो वह कौन सा पैमाना है जिस पर अन्य सामान्य जातियां खरी नहीं उतरीं? ऐसा क्यों नहीं लगता है कि वर्तमान परिस्थिति में परेशानियों से जूझता देश एक नई बहस का शिकार होने को तैयार है?
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मुद्दे को अवसर बनाने में माहिर है ही! टीवी पर अब लंबी बहस होंगी लेकिन इससे किसी को फायदा होने की कोई गुंज़ाइश नहीं है। फायेदा तभी होगा जब बहस देश के बुद्धजीवी वर्ग करें और आरक्षण को लेकर उनकी यह बहस तमाम विश्वविद्यालयों से लेकर विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और सर्वोच्च न्यायालय में गूंजे।
संदर्भ- द वायर