बड़े संघर्ष और बलिदान के बाद मुझे आज़ादी मिली है। आज़ादी मिलने से लेकर आज तक बहुत बड़ा सफर मैंने तय किया है। आज़ादी के समय हुए बंटवारे के जख्म अभी धीरे-धीरे भरने की कोशिश मैं कर रहा हूं लेकिन कुछ घाव ऐसे होते हैं जो मिटाने से भी नहीं मिटते।
खैर, मैं आज इससे बहुत आगे निकल चुका हूं और हर एक क्षेत्र में तरक्की करने की कोशिश कर रहा हूं। आज़ादी के आंदोलन में जो मेरे लोग शामिल थे। आज मैं उन सबको याद करता हूं, तो मेरी आंख भर आती है और ऐसा लगता है कि जो भारत वे लोग बनाना चाहते थे क्या आज मैं वैसा बन पाया हूं?
मेरे लिए जो सपने उन्होंने देखे थे क्या उनके सपने आज पूरे हो पाए हैं? यह सवाल जब मैं खुद से पूछता हूं और इसका जवाब ढूंढने की कोशिश करता हूं, तो कुछ हद तक हम सफल हुए है, इस बात का सुकून मुझे है लेकिन मुझे ऐसा भी लगता है कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है और इसके लिए हमें सही दिशा में आगे बढ़ते रहना है।
आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं मेरे अपने देशवासियों से मेरे दिल की बात करना चाहता हूं। आज मैं सभी को ये बताना चाहता हूं कि आज़ादी का महत्व आप सब समझे और यह भी समझें कि यह आज़ादी हमें कैसे मिली है? इसे फिर से याद करें।
मुझे आज़ाद कराने के लिए जिन्होंने अपना योगदान दिया और अपनी पूरी ज़िंदगी मुझे आज़ाद कराने में लगाई, जिन्होंने अपनी जान दांव पर लगाई, हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए। ऐसे सभी लोगों के बलिदान को याद करें तब आपको आज़ादी की कीमत और महत्व समझ में आएगी।
जब मैं आज भी धर्म के नाम पर मेरे अपने देशवासियों को आपस में लड़ते हुए देखता हूं, तो मुझे बेहद दुःख होता है। जब मैं आज़ादी के इतने साल बाद भी जाति के नाम पर मेरे अपने लोगों में भेदभाव होते हुए देखता हूं, तो मुझे बहुत दुःख होता है। जब मैं मेरे कुपोषण से जूझ रहे बच्चों को देखता हूं, तो मुझे बहुत दुःख होता है।
जब मैं आज़ादी के इतने साल बाद भी देखता हूं कि महिलाओं को आज भी समान अधिकार नहीं मिल रहे हैं, उनके ऊपर अन्याय और अत्याचार बढ़ते हुए देखता हूं, तो मुझे बेहद दुःख होता है। तब मुझे लगता है कि आपने अभी मेरे आज़ादी के महत्व को नहीं समझा है। आज़ादी के लिए दिए गए बलिदान को नहीं समझा है। आज़ादी के सल मकसद को नहीं समझा है। आज़ादी के असल मतलब को नहीं समझा है।
हमें आज़ादी क्यों चाहिए थी, उसकी सही वजह को आप शायद नहीं समझ पाए हैं। आज मेरे स्वतंत्रता दिवस पर आप यह प्रण लें कि हमसब एकजुट रहेंगे। आपस में भेदभाव नहीं करेंगे। जाति को मिटाएंगे। महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाएंगे। मुझे कुपोषण से मुक्तदेश बनाएंगे। सभी को शिक्षा के समान अवसर मिलें इसकी व्यवस्था करेंगे। अपने से अलग मत रखने वालों का सम्मान करेंगे।
अगर आप ऐसा करते हैं, तो मैं पूरे विश्वास और यकीन के साथ कह सकता हूं कि आज़ादी का सही मायने में मतलब आप समझ पाएंगे और मुझे आज़ाद कराने के लिए जिन्होंने बलिदान दिया है, उनके सपनों को आप पूरा करेंगे और हर क्षेत्र में मुझे, “सारे जहां से अच्छा राष्ट्र बनाएंगे।“
मैं आज “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं” कहकर खुद के स्वार्थ के लिए दल-बदल करने वाले और फाइव स्टार होटल में “रिसॉर्ट पॉलिटिक्स” करने वाले नेताओं को, चुनाव जीतने के लिए लोगों को आपस में बांटने वाले नेताओं को यह कहना चाहता हूं कि थोड़ी शर्म करो, अपने अंदर झांककर देखो और सुधर जाओ।
शायद आप नहीं जानते लोकतंत्र की ताकत क्या होती है? मेरे लोगों के संयम को आप उनकी कमज़ोरी मत समझो, यह नेता बनाते भी है और यह बड़े-बड़े नेताओं को उनकी सही जगह भी दिखाते हैं।
आपने देखा ही है कि कैसे आपातकाल लगाने वाली इंदिरा गाँधी को लोगों ने हराया था। लोग सड़क पर उतरे उससे पहले नेताओं को सुधर जाना चाहिए। मैं यहां आज मेरे देशवासियों को यह कहना चाहता हूं कि आपकी यह ज़िम्मेदारी है कि अपने वोट का सही उपयोग करें और सही लोगों का चुनाव करें।
आज के नेताओं को मैं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहना चाहता हूं कि आप महात्मा गाँधी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं को याद करो तब आपको पता चलेगा कि राष्ट्रभक्ति क्या होती है? राष्ट्र के लिए बलिदान क्या होता है? नेताओं को कैसा होने चाहिए? देश हित किसे कहते है?
बस इनका नाम लेने भर से काम नहीं चलेगा, असल में इन्हें समझने की ज़रूरत है। इनकी राहों पर चलने की ज़रूरत है। आपको जो लोगों की सेवा करने का और बदलाव लाने का मौका मिला है उसके महत्व को समझें। आप ऐसा काम करें कि मुझे आपके ऊपर भी नाज़ होगा कि मुझे बेहतर बनाने में इनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
अब मैं बात करना चाहता हूं, सोशल मीडिया की। जब मैं आज़ाद हुआ उस समय से लेकर आज तक टेक्नोलॉजी में बहुत सारे बदलाव हुए। रेडियो जैसे माध्यम से लेकर आज के सोशल मीडिया तक का सफर हमने तय किया है।
मैं आज के मेरे युवाओं को कहना चाहता हूं कि इस सोशल मीडिया का उपयोग आप अपनी आवाज़ उठाने के लिए करो लेकिन किसी की आवाज़ दबाने के लिए मत करो ( यहां, मैं ट्रोल्स की बात कर रहा हूं)। इसका उपयोग अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बोलने के लिए करो लिए इसके ज़रिए किसी को धमकाने की कोशिश मत करो।
इसका उपयोग नफरत मिटाने के लिए करो लेकिन इसका उपयोग नफरत बढ़ाने के लिए मत करो, “वंदे मातरम” कहने वाले मेरे देश में अपनी बात रखने वाली महिलाओं के लिए गलत भाषा का उपयोग मत करो। यह प्लेटफार्म अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए और लोकतंत्र में सबको समान आवाज़ दिलाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसका उपयोग करके हमारे समाज को बेहतर बनाने की कोशिश करो।
डिस्कशन और डिबेट यह लोकतंत्र में बेहद महत्वपूर्ण है और सोशल मीडिया इसके लिए बेहद प्रभावशाली माध्यम है। इसलिए इसका सही उपयोग करें।
अब मैं बात करता हूं अभी जो कोरोना की महामारी चल रही है, उसकी जिससे मेरे सभी देशवासी लड़ रहे हैं। इस महामारी के दौरान हुए मज़दूरों के पलायन का ज़िक्र मैं आज यहां करना चाहता हूं। जिनकी वजह से मेरा विकास हुआ, जिन्होंने सड़के, शहर, फैक्ट्रीज़ बनाने में सबसे बड़ा योगदान दिया। ऐसे मज़दूरों का शहरों से गाँव का सफर देखकर मैं बेहद दुखी हुआ।
आज़ादी के इतने साल बाद भी मेरे इन बच्चों का हाल देखकर मुझे यह लग रहा थी कि यह कैसा विकास है? यह कैसी तरक्की है? कैसे किसी को हज़ारो किलोमीटर चलना पड़ रहा है। क्या इनका अपना कोई शहर नहीं है? इनका अपना कोई वजूद नहीं है?
इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं मेरे सभी देशवासियों को कहना चाहता हूं कि इन मेरे मज़दूर बच्चों को इनके अधिकार मिलने चाहिए। इनके बगैर मेरा विकास अधूरा है। मैं यहां यह उम्मीद करता हूं कि अगला स्वतंत्रता दिवस जब आप मनाएं तब यह सुनिश्चित करें की अपने मजदूर भाई बहनों को उनकेअधिकार मिलें, उनको भी यह लगे कि इस आज़ाद भारत में वे भी महत्वपूर्ण हैॆ।
मैं यहां आज यह भी कहना चाहता हूं कि एक तरफ हमने मंगलयान भेजने जैसी तरक्की कर ली, जिसपर मुझे मेरे वैज्ञानिकों पर नाज़ है लेकिन वहीं आज हमारे यहां लोगों को एम्बुलेंस, अस्पताल में बेड्स और वेंटिलेटर्स नहीं मिल रहे हैं। इसका मुझे बहुत दुःख है।
एक तरफ हम बुलेट ट्रैन की बातें कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ हम हर साल आनेवाली बाढ़ को रोकने में कामयाब नहीं हो रहे हैं। एक तरफ हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं लेकिन हम कुपोषण मुक्त भारत बनाने में असफल हैं।
हमारा विकास सबको न्याय देने वाला होना चाहिए। दूरियां मिटाने वाला होना चाहिए। हमारा विकास सबके लिए होना चाहिए। हमारा विकास पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाला नहीं होना चाहिए।
मैं मेरे इस स्वतंत्रता दिवस पर मेरे भारतवासियों को कहना चाहता हूं कि मैं दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हूं। अब मैं सबसे अच्छा लोकतंत्र बनना चाहता हूं। मैं कुपोषण मुक्त बनना चाहता हूं। मैं आत्मनिर्भर बनना चाहता हूं। मैं प्रदूषण से मुक्ति चाहता हूं। मैं महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित देश बनना चाहता हूं। मैं दुनिया में सबसे शक्तिशाली बनना चाहता हूं। मैं दुनिया में शांति बनाए रखना चाहता हूं।