भू-जल वह पानी है जो चट्टानों और मिट्टी के माध्यम से रिसता है और ज़मीन के नीचे जमा होता है। चट्टान जिसमें भू-जल को संग्रहित किया जाता है उसे जलभृत कहा जाता है।
आम भाषा में बोले तो एक्विफर्स कहा जाता है जो आमतौर पर बजरी और रेत से बने होते हैं, जिसमें बलुआ पत्थर या चूना पत्थर का भी मिश्रण होता है। इन चट्टानों के माध्यम से पानी नीचे की ओर जाता है। जिस क्षेत्र में जल जमा होता है, वह क्षेत्र संतृप्त क्षेत्र कहलाता है।
सतह से गहराई जिस पर भू-जल पाया जाता है उसे जल तालिका कहा जाता है। हमारे जीवन के लिए भू-जल एक बहुत ही महत्वूपर्ण स्त्रोत है।
भारत में साफ और पीने के पानी के स्रोत के रूप में भू-जल की एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वैसे तो भू-जल की बहुत-सी विशिष्ट विशेषताएं हैं, मगर जो सबसे सार्थक और उपयोगी है, वह है जल आपूर्ति स्त्रोत। इसकी मुख्य विशेषताएं हैं:
- सामान्यतः यह बिल्कुल भी दूषित नहीं होता और इसे सीधे ही बिना किसी उपचार के पीने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
- किसी भी एक स्थान से इस भू-जल को कई स्थानों पर भी उपलब्ध कराया जा सकता है जहां यह अधिक मात्रा में पाया जाता हो।
- देश में सूखे की स्तिथि में भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
भारत के लिए भू-जल है एक महत्वपूर्ण संसाधन
भारत में भू-जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है। हालांकि जलभृत की बढ़ती संख्या शोषण के निरंतर स्तर तक पहुंच रही है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट, डीप वेल्स और प्रूडेंस के मुताबिक, आगे के 20 सालों में भारत सभी के एक्विफर्स में से 60% का चलन गंभीर स्थिति में रहेगा। इससे कृषि की स्थिरता, दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा, आजीविका और आर्थिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
यह अनुमान लगाया गया है कि देश की एक चौथाई से अधिक फसल जोखिम में होगी। फिलहाल की जो स्तिथि है वह बहुत ही विचारशील है, जिसमें बदलाव की आवश्यकता है।
2025 तक कई भारतीय शहर हो सकते हैं भू-जल से नदारद
भारत अपने संपूर्ण इतिहास में इस समय अत्यंत बुरे जल संकट का सामना कर रहा है और 21 भारतीय शहर 2025 तक भू-जल से नदारद हो सकते हैं।
नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट – एक सरकारी सहकारिया समिति के अनुसार – पानी के “तत्काल और बेहतर” प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डालना अब ज़रूरी हो गया है।
लगभग 600 मिलियन भारतीयों को उच्च-से-अधिक पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है जहां हर साल उपलब्ध सतह के पानी का 40 प्रतिशत से अधिक उपयोग किया जाता है और सुरक्षित एवं साफ पानी की अपर्याप्त पहुंच के कारण हर साल लगभग 2,00,000 लोग मर रहे हैं।
‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक’ (CWMI) की रिपोर्ट के अनुसार, पानी की मांग 2050 तक पूर्ण रूप से आपूर्ति कि सीमा को पार कर जाएगी।
जबकि भारतीय शहर पानी की आपूर्ति के लिए जूझ रहे हैं, आयोग ने “तत्काल कार्रवाई” का आह्वान किया है क्योंकि पानी की बढ़ती कमी भारत की खाद्य सुरक्षा को भी प्रभावित करेगी।
भू-जल का व्यापक संग्रहकर्ता है है भारत
(सीडब्ल्यूएमआई) रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों को अपने भू-जल और अपने कृषि जल का प्रबंधन शुरू करने की आवश्यकता है और साथ ही साथ यह निर्धारण किया कि पूरे विश्व में भारत भू-जल का व्यापक संग्रहकर्ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सीएमएमआई सही दिशा में एक कदम है लेकिन नीति आयोग अग्रणी देशों के खिलाफ राज्य जल प्रबंधन प्रथाओं की तुलना करके इसे एक कदम और आगे ले जा सकता है।
भू-जल दोहन के खिलाफ मौजूदा कानूनों को लागू करने में राज्यों के प्रदर्शन पर ध्यान दिया जा सकता है जो एक सार्थक और मजबूत कदम साबित होगा।
देश की 85% जनसंख्या है भू-जल पर आधारित
आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 21 शहर जिसमें दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई आदि शामिल हैं। भारत के 10 करोड़ लोग इस समस्या से प्रभावित होंगे। देश के 40% लोगों को 2030 तक पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा।
भारत की लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या भू-जल पर ही आश्रित है, वहीं अगर बात करें भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की, तो उनके अपने पशुओं और कृषि की सिंचाई के लिए भू-जल एक महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है।
हमारे पास अभी भी समय है देश को बचाने के लिए और जल ही जीवन है। यदि हमें जीवन को व्यतीत करना है, तो इसके लिए सबसे ज़रूरी है जल को बचाना। जल के बिना आप कुछ नहीं कर सकते। यह प्राकृतिक का बहुत बड़ा उपहार है। जो बहुत महत्वपूर्ण है।
कुछ तरीक़े हैं जिनसे हम भू-जल को अपने भविष्य के लिए बचा सकते हैं, वरना हमें बहुत ही पीड़ादायक परिणाम भुगतने होंगे।
देश के वातावरण के अनुसार चलें
अपने परिवेश में देशी पौधों का उपयोग करें। वे बहुत अच्छे लगते हैं, और उन्हें बहुत पानी या उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
अपने लॉन के लिए घास की किस्में भी चुनें जो आपके क्षेत्र की जलवायु के लिए अनुकूलित हैं, यह उपाय व्यापक पानी या रासायनिक अनुप्रयोगों की आवश्यकता को कम करते हैं।
रसायनों का कम से कम उपयोग करें
अपने घर और यार्ड के आसपास कम रसायनों का उपयोग करें, और उन्हें ठीक से निपटाने के लिए सुनिश्चित करें और याद रखें उन्हें जमीन के अंदर दबाने की कोशिश ना करें। ऐसा करने से भू-जल के प्रदूषित होने के चांस बढ़ जाते हैं।
अपशिष्ट का सही प्रबंधन करें
अप्रयुक्त रसायनों, फार्मास्यूटिकल्स, पेंट, मोटर तेल, और अन्य पदार्थों जैसे संभावित विषाक्त पदार्थों का उचित निपटान करें।
धुलाई करने के लिए नियमित पानी का इस्तेमाल करें
अपने आप को सिर्फ पांच मिनट की बौछारों तक सीमित रखें, मतलब कम समय में नहाएं और अपने परिवार के सदस्यों को भी ऐसा करने की चुनौती दें। इसके अलावा, पकवान और कपड़े धोने में भी कम से कम पानी को बर्बाद करें।
रियूज़, रिड्यूस और रिसायकल
आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले “सामान” की मात्रा कम करें और जो आप कर सकते हैं उसका पुन: उपयोग करें। उदाहरण के तौर पर रीसायकल पेपर, प्लास्टिक, कार्डबोर्ड, ग्लास, एल्यूमीनियम और अन्य सामग्री।
प्राकृतिक विकल्प
जब भी संभव हो सभी प्राकृतिक/नॉनटॉक्सिक घरेलू क्लीनर का उपयोग करें। नींबू का रस, बेकिंग सोडा और सिरका जैसी सामग्री सफाई के उत्पाद बनाती हैं, यह सस्ती भी हैं और पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
इन विषयों को लेकर के होना होगा जागरूक
इसके अलावा जल शिक्षा में शामिल हों। भू-जल के बारे में अधिक जानें और अपना ज्ञान दूसरों के साथ साझा करें। बहुत सारे और भी तथ्य हैं, जिनके सहारे हम भू-जल को बचाया जा सकता है। ईश्वर ने हमको बहुत से संसाधन दिए हैं, मगर मनुष्य उसका सही से इस्तेमाल नहीं कर रहा और अंत की तरफ बढ़ता जा रहा है।
संसाधनों की कमी होती जा रही है और ये विकराल रूप धारण करने की ओर अग्रसर है। मनुष्य को समझना होगा यह प्रकृति की देन है, इसको नष्ट ना करें।
अब से दस साल बाद अगर यही हाल रहा, तो लोग प्यासे मरेंगे। उनको पीने योग्य पानी नहीं मिल पाएगा।
ऐसे में, आज से ही प्रण लें और प्राकृति को बचाने के लिए अपने कदम को आगे बढ़ाएं। भू-जल का समाप्त होना एक प्रलय की ओर इशारा करता है।