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लापरवाही के कारण दिल्ली के रावता गाँव में लगभग 100 एकड़ ज़मीन पूरे साल रहती है जलमग्न

हाल में ही दक्षिण पश्चिम दिल्ली में स्थित रावता गाँव में आई बाढ़ का मुद्दा विभिन्न टीवी चैनलों और अखबारों में गरमाया हुआ है। मीडियाकर्मी अपनी-अपनी समझ और दर्शकों की रुचि को ध्यान में रखकर उस मुद्दे को दिखा रहे हैं।

लोकिन सच यह है कि अभी भी लोग असल सच्चाई से अछूते हैं। वास्तव में यह समस्या ग्रामवासियों के लिए तब खड़ी हुई जब दिल्ली में 1977  के समय में बाढ़ आई और भविष्य में जान-माल के बचाव को ध्यान में रखते हुए, साहिबी नदी के जल को जल्द से जल्द यमुना नदी तक पहुंचाने के लिए साहिबी नदी के बगल में एक और नहर खोदने का काम शुरू किया गया।

एक नज़र साहिबी नदी पर 

साहिबी नदी राजस्थान से निकलकर हरियाणा से होते हुए दिल्ली में यमुना तक का सफर तय करती है। पहले नदी में पानी का बहाव तेज़ हुआ करता था, तो यह कई बार बाढ़ का कारण बनती रहती थी। उसकी इस समस्या को सुलझाने के लिए और पानी के दबाव को कम करने के लिए इसके बगल में एक और नहर खोदने का काम शुरू किया गया।

बगल की नहर समय के साथ काफी मददगार साबित तो होनी थी लेकिन नहर को बीच में से कुछ दूरी की जगह पर खुला छोड़ दिया गया। अधिकारियों की मानें तो उसके पीछे का कारण नहर को एक तरफ से नजफगढ़ झील में इसलिए खुला छोड़ा गया ताकि दिल्ली के अंदर घनी आबादी वाले इलाकों को नदी में आने वाला बाढ़ ज़्यादा प्रभावित ना कर सके।

प्रतीकात्मक तस्वीर, तस्वीर साभार: YKA यूज़र

हालांकि जैसा कि बगल वाली नहर एक तरफ से थोड़ी दूर में नजफगढ़ झील में मिलती है, इसलिए नजफगढ़ झील में पानी का स्तर हमेशा ऊपर उठा रहता है। झील में पानी के लेवल के हाई रहने का एक कारण और भी है, वह है गुरुग्राम से बहकर आने वाला औद्योगिक प्रदूषित जल।

स्थानीय निवासियों की मानें तो मानेसर के पास से काफी सारा दूषित जल पूरे गुरुग्राम के दूषित जल को समेटता हुआ नजफगढ़ झील में गिरता है। एन.जी.टी. द्वारा हरियाणा सरकार को प्रदूषित जल को ट्रीट करके ही नजफगढ़ झील में गिराने के सन्दर्भ में जो फटकार लगाई है वह एक दूसरा विषय है लेकिन मुख्यतः वह जल भी नजफगढ़ झील का जल स्तर बढ़ाने का एक कारक है।

लापरवाही के कारण लगभग 100 एकड़ ज़मीन रहती है पूरे साल जलमग्न

इसी कारण से रावता गाँव की लगभग 100 एकड़ ज़मीन साल के 12 महीने जलमग्न रहती है। यह समस्या तब विकट हो जाती है जब उत्तर भारत मानसून की बारिश में नहाता है और हरियाणा एवं दिल्ली के निकट साहिबी नदी में जल स्तर तेज़ी से बढ़ता है।

तब नदी में पानी का दबाव बढ़ता है और इस ड्रेन की साफ-सफाई रखने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला बाढ़ एवं सिंचाई विभाग या तो इसकी सफाई के बहाव का उचित प्रबंधन नहीं कर पाता या सफाई के नाम पर सारा पैसा भ्रष्टाचार में खत्म हो जाता है।

परिणाम स्वरुप इस समय जल ज़्यादा दूरी तय नहीं कर पाता और गाँव के खेतों में फैलने लगता है। इस विपदा के और ज़्यादा विकट हो जाने का कारण यह भी है कि झील के निकट होने के कारण गाँव का भू-जल स्तर काफी ज़्यादा है, इसलिए ज़मीन पानी को पीने में उतनी सक्षम नजर नहीं आती जो आमतौर पर होता है।

परिणाम स्वरुप यहां पानी रुक के खड़ा हो जाता है। जहां यह पानी रुका हुआ होता है, गाँव के उस हिस्से में झील जैसी स्थिति बनी रहती है और आसपास के ऊंचाई वाले खेतों का पानी भी वही इक्कठा हो ही जाता है। नतीजा यह निकलता है कि रावता गाँव की लगभग 400 एकड़ जमीन जलमग्न हो जाती है और किसानों की उस फसल को बर्बाद कर देती है।

रावता गाँव में जल भराव के मुख्य कारण यही है, फिर भी मछली पालकों और बटाई पर खेती करने वाले किसानों की समस्याओं को उजागर करना अनिवार्य है।

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