कोरोना महामारी ने भारत में पांव पसारना तो धीरे-धीरे शुरू किया था लेकिन संक्रमण का पहला मामला मिलने के छह महीने बाद भारत रूस को पछाड़ कर कोरोना संक्रमितों के मामले में विश्व का तीसरा सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश बन गया है।
भारत दुनिया की दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। यहां शहरों में घनी आबादी रहती है। ऐसे में भारत के कोरोना वायरस महामारी का ग्लोबल हॉटस्पॉट बन जाने की उम्मीद बहुत अधिक है।
अनलॉक के बाद भारत में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामलों की पुष्टि जून के महीने में दर्ज हुए हैं। जुलाई में तो आंकड़े बढ़कर रोज़ाना 20 हज़ार से भी ज़्यादा हो गए हैं। 10 जुलाई तक भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 7 लाख 71 हज़ार के पार मामले दर्ज़ किए गए।
क्या थी लॉकडाउन के तीन चरणों की छूटें?
24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था। जिसे आगे दो बार बढ़ाया भी गया। लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान वर्तमान से अधिक कड़े नियम लागू किए गए थे। गौरतलब है कि इतने कड़े नियमों के बावजूद 24 मार्च को देशभर में संक्रमण के आंकड़े 519 से वर्तमान में 8 लाख के करीब पहुंच गए हैं।
लॉकडाउन के पहले चरण में जहां सभी सरकारी निजी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों, रेस्तरां, होटल, मॉल, रेल और हवाई सेवाओं को बंद कर दिया गया था और सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की सेवाएं ही जारी थी। जिसमें पुलिस, चिकित्सकीय सेवा से जुड़े लोगों, बैंक कर्मचारियों, पत्रकारों, और सफाई कर्मचारियों को ही छूट दी गई थी।
इसके अलावा सभी सेवाओं को बंद करने का आदेश था। वहीं तीसरे चरण के लॉकडाउन में छूट बढ़ा दी गई है। लॉकडाउन के बाद शुरू हुए अनलॉक के दो चरणों में छूटों का तेज़ी से इजाफा किया गया। शादी विवाह, समारोह और अंतिम संस्कार को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देशों को जारी किया गया। जिनका लोगों द्वारा खूब उल्लंघन किया गया। इससे कम्यूनिटी स्प्रेड की खतरा भी कहीं-न-कहीं बढ़ गया है।
देशभर में राज्य सरकारें दोबारा क्यों बढ़ रही हैं लॉकडाउन की ओर?
देशभर में बढ़ते कोरोना संकट को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने यहां फिर से लॉकडाउन लगा दिया है। उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने सूबे में 13 जुलाई तक लॉकडाउन लगा दिया है। लॉकडाउन 10 जुलाई रात 10 बजे से 13 जुलाई सुबह 5 बजे तक लागू रहेगा।
लॉकडाउन के दौरान पूरे प्रदेश में सभी कार्यालय एवं समस्त शहरी व ग्रामीण हाट, बाजार, गल्ला-मंडी, व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। इस अवधि में सभी आवश्यक सेवाएं खुली रहेंगी। रेलवे का आवागमन पहले के तरह ही जारी रहेगा। ट्रेनों से आने वाले यात्रियों के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम बसों की व्यवस्था भी करेगी।
उधर बिहार सरकार ने राजधानी पटना में भी 10 से 16 जुलाई तक पूरी तरह लॉकडाउन लगा दिया गया है। इसके अलावा झारखंड में भी कोरोना का संक्रमण तेज़ी से जारी है। इस बीच राज्य के दो सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों रामगढ़ और हज़ारीबाग में लॉकडाउन लगा दिया है। रामगढ़ में 9 से 16 जुलाई तक जबकि हज़ारीबाग में 9 से आगामी 31 जुलाई तक पूरी तरह लॉकडाउन लागू कर दिया है।
ऐसे ही असम के गोलाघाट शहर में 9 से 17 जुलाई तक लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश में भी कुछ दिनों का लॉकडाउन लगा दिया गया है।
सरकार को देना होगा इन सवालों का जवाब
अब जब देश के अलग-अलग हिस्सों में राज्य और ज़िला स्तर पर दोबारा से लॉकडाउन लगाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार को अनलॉक की तरह बढ़ने की जल्दीबाजी क्यों थी?
क्या इससे कम्यूनिटी स्प्रेड का नहीं खतरा नहीं बढ़ा होगा? यदि परिस्थितियां अनलॉक के अनुकूल नहीं थी, तो आखिर ऐसा फैसला क्यों लिया गया?