कुछ दिनों पहले ही अमेज़ॉन प्राइम पर एक वेब सीरीज़ आई है, रसभरी। रसभरी के आते ही उसकी भयानक आलोचना शुरु हो गई। रसभरी में नायिका हैं स्वरा भास्कर। हां, वही स्वरा जो समय-समय पर खुलकर सत्ता से सवाल करती रही हैं।
खैर, ट्रेलर रिलीज़ से लेकर पूरी सीरीज़ सामने आने के बाद भी ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और हर जगह लिखा और कहा गया,
रसभरी एक अश्लील चलचित्र का उदाहरण है। समाज पर इसका बुरा असर पड़ेगा। इसमें अभिनय करते हुए स्वरा भास्कर ने अपना चरित्र दिखा दिया। वे समाज के लिए खतरा हैं। इसी तरह की अनगिनत बातें कही गईं।
अब इसमें दो बातें सबसे ज़रूरी हैं-
- पहली यह कि क्या रसभरी वाकई एक अश्लील वेब सीरीज़ है?
- दूसरा यह कि अगर है भी तो क्या भारतीय सिनेमा में यह पहली अश्लील वेब सीरीज़ है?
इन दोनों ही सवालों का जवाब है ‘नहीं’। इसे देखने वालों की मानें तो वर्तमान समय की एक औसत वेब सीरीज़ में जितने अंतरंग दृश्य दिखाए जाते हैं, लगभग उतने ही या उससे कम ही इसमें हैं। स्वरा ने खुद आगे आकर कहा है कि सीरीज़ में किसी तरह का कोई न्यूड सीन नहीं है।
क्या रसभरी पहली ऐसी अश्लील सीरीज़ है?
दरअसल रसभरी के पहले भी बहुत सारी ऐसी सीरीज़ आई हैं, जैसे- मस्तराम, चरित्रहीन, रागिनी MMS, गंदी बात, जूलीयट एक्स टेप्स, अपहरण, फोर मोर शोट्स प्लीज, हद, ट्विस्टएड, सैक्रेड गेम्स, मिर्ज़ापुर, हेलो मिनी आदि।
इन सभी फिल्मों या वेब सीरीज़ों में कुछ सामान्य है तो वह है बोल्ड सेक्शुअल सीन्स, तो यह प्रश्न भी अपने-आप खारिज हो जाता है कि अश्लील सिनेमा भारत में कभी बना ही नहीं है। यह हमेशा से बनता आया है और आगे भी बनेता ही रहेगा।
रही बात समाज को अश्लीलता से खतरा होने कि तो यह बात याद रखनी होगी कि भारत में पॉर्न प्रतिबंधित है लेकिन इसकी सच्चाई से पूरा समाज वाकिफ है।
फिर क्यों रसभरी कर रही है लोगों को इतना व्याकुल?
इसका जवाब शायद समाज में हमेशा से ही मौजूद रहा है और वह है समाज पर पितृसत्ता का प्रभाव। रसभरी वेब सीरीज़ में एक महिला की सेक्शुअल डिज़ायर को दिखाया गया है या यूं कह लें कि एक महिला को एक से अधिक पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए दिखाया गया है और समाज को बस यही बात हजम नहीं हो रही है।
अगर यही किरदार किसी पुरुष का होता तो मुश्किल ही इसकी ऐसी आलोचनाएं होतीं। इसका उदाहरण हमारे सामने है- मस्तराम। मस्तराम में तथाकथित नायक का अपने बहन की दोस्त, मंगेतर की बुआ आदि सभी के साथ शारीरिक संबंध रहता है। फिर भी सीरीज़ के BGM, एडिटिंग और कथानक के द्वारा उसे हीरो के रूप में दिखाया गया है।
लेकिन एक महिला के ऐसा करने पर कहानी के अन्य किरदारों से लेकर असल दुनिया के तथाकथित आदर्श समाज ने उसे अश्लील घोषित कर दिया। समाज आज भी महिलाओं के सेक्शुअल डिज़ायर्स और प्लेज़र को अपनाने से बचता और कतराता है।
इसलिए जब ऐसी किसी सीरीज़ में उन्हें एक ऐसी महिला का किरदार दिखता है तो ‘सभ्य समाज के ध्वजवाहक’ अनायास ही आलोचना करने के लिए फड़फड़ाने लगते हैं।
यह परिस्थिति बदलने में लगेगा समय
महिला को किसी भी क्षेत्र में खुद से ऊपर मानने से पहले ही यह पितृसत्तात्मक समाज अपने नाज़ुक ‘ईगो’ के समक्ष घुटने टेक देता है। खैर, इसे बदलने में भी अभी काफी समय लगेगा। कितना ? पता नहीं। लेकिन तब तक जैसी ओछी आलोचना रसभरी की हो रही है, ज़रूर उस पर एक सवाल खड़ा करना होगा।
सिनेमा और वेब सीरीज़ के भारतीय इतिहास में जाएंगे तो बहुत सारी सफलतम सीरीज़ और फिल्मों में कुछ दृश्य ऐसे हैं जो आज भी आप अपने परिवार के साथ बैठ के देखना नहीं चाहेंगे। यह कितना सही और कितना गलत है- इसकी बहस अलग है।
लगातार वेब सीरीज़ पर भाषा और दृश्यों को लेकर बहुत-सी आलोचनाओं का पहाड़ टूट पड़ता है। शायद कला और कलाकर समय के साथ आगे बढ़ रहे हैं लेकिन समाज फिलहाल थोड़ा धीमा है।