जिस देश में क्रिकेट को एक धर्म माना जाता हो और खिलाड़ी को भगवान, उस देश में किसी खिलाड़ी को उसके खेल के लिए पसंद करना कोई नई बात नहीं है। 7 जुलाई 1981 को रांची जैसे एक छोटे से शहर में जन्में महेंद्र सिंह धोनी को पसंद करने के पीछे केवल क्रिकेट ही नहीं है।
धोनी से प्रेरित होने की ढेरों वजहें हैं
भले ही धोनी की पहचान क्रिकेट ने दी हो लेकिन देश और दुनिया के लोगों के लिए धोनी से प्रेरित होने की बहुत सी वजहें हैं।
किस्मत और मेहनत से हर मुकाम पाने वाले महेंद्र सिंह धोनी आज भले ही 22 गज़ की पिच से दूर नज़र आते हों लेकिन ज़िन्दगी जीने के तरीके और हर परिस्तिथि में बिना परेशान हुए मुस्कुराते रहने की अदा उन्होंने हम सबको सिखाई है।
चुनौतियों से लड़ने की सीख लीजिए
सच तो यह है कि महेंद्र सिंह धोनी केवल एक नाम नहीं हैं, बल्कि वो एक किताब हैं। जिसे आप जितनी बार पलटकर पढ़ेंगे उतनी बार आपको एक नई कहानी सीखने को मिलेगी। चुनौतियों से लड़ने और अपने जज़्बातों पर काबू रखने की आदत दुनिया में कोई भी महेंद्र सिंह धोनी से सीख सकता है।
हर ICC ट्रॉफिज़ जीतने वाले कप्तान की नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने के तरीकों पर जितनी भी रिसर्च हो, हर रिसर्च से आप अपने आप को और बेहतर बनाने में सफल हो पाएंगे।
धैर्य कितना ज़रूरी है
साल 2011 के विश्व कप में वानखेड़े स्टेडियम में लगाया गया उनका छक्का हो या साल 2007 के फाइनल मैच में उनका आखरी ओवर हो, धोनी ने हर बार इस बात को साबित किया है कि अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो धैर्य आपके लिए कितना ज़रूरी है।
विकेटकीपर के तौर पर डाइव लगाते हुए बॉल पकड़ना हो या विराट कोहली के आने के बाद कप्तानी छोड़ना, महेंद्र सिंह धोनी ने समय के अनुसार लिए गए निर्णय के महत्व को बखूबी समझाया है। गेम को अंत तक ले जाने पर जितने भी विवाद हुए हों लेकिन बेस्ट फिनिशर महेंद्र सिंह धोनी ने बताया कि इंतज़ार करने वालों को ही फल मिलता है।
मेहनत करने से ही आप कामयाबी की उड़ान भर सकते हैं
चीते की तरह दौड़ लगाने वाले महेंद्र सिंह धोनी का भले ही रन आउट के साथ दुखद रिश्ता रहा हो लेकिन उन्होंने यह समझा दिया कि मेहनत करने से ही आप कामयाबी की उड़ान भर सकते हैं।
कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुप होकर या फिर कभी मज़ाक कर अपने आलोचकों को खामोशी से जवाब देने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने सिखाया कि बेवजह विवाद से दूरी बनाकर कभी-कभी खामोश रहना भी ज़रूरी है।
वह एहसास जो अब महसूस ना हो
सफेद दाढ़ी के साथ महेंद्र सिंह धोनी को मैदान के बाहर देखना उनके फैंस के लिए दुखद होगा। बहरहाल, महेंद्र सिंह धोनी के हर शॉट्स में जो तेज़ी थी मैदान पर मौजूद होने का जो एहसास था, हो सकता है वह फिर कभी किसी और क्रिकेटर को देखकर महसूस ही ना हो।
एक फैन के तौर पर अब बिना महेंद्र सिंह धोनी के क्रिकेट देखना एक अजीब अनुभव है। शायद इसलिए टेस्ट क्रिकेट तो देखना छोड़ ही दिया है हमने। जबकि वनडे क्रिकेट भी पूरा देख पाना अब संभव नहीं है और शायद यही रिश्ता होता है फैन और क्रिकेटर के बीच, जहां आप उस खिलाड़ी को मिस करते हैं जिसने आपकी ज़िन्दगी पर गहरा प्रभाव डासा हो।
किसी के मैदान छोड़ने से क्रिकेट नहीं रुकता। शायद इसलिए कुछ भी हो ज़िन्दगी चलती रहती है लेकिन महेंद्र सिंह धोनी को इस मुकाम पर पहुंचने के बाद एक अवसर तो देना चाहिए, जहां वो लोगों के बीच इस खेल से अलविदा कहें।
यकीन मानिए वो इसके हकदार भी हैं। महेंद्र सिंह धोनी ने केवल हम सबको बहुत सारी खुशियां ही नहीं दी हैं, बल्कि हम सबके लिए जीवनभर काम आने वाली सीख भी दी है।