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कोरोना काल में कहीं संकट में ना पड़ जाए लड़कियों की शिक्षा!

impact of covid 19 on girls education

impact of covid 19 on girls education

कोरोना महामारी अब एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। इस महामारी के प्रसार को रोकने और इसके प्रभाव से बचने के लिए पूरे विश्व में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और उनको घर पर रहकर अपने सिलेबस को पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

ऐसे में एक तरफ जहां बच्चों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अभिभावक भी परेशानी से जूझ रहे हैं। हालांकि, वास्तविक तौर पर स्कूल जाने वाली लड़कियों और युवा महिलाओं के लिए अविकसित देशों में स्तिथि जोखिमों से भरी हुई है। स्कूलों के बंद होने से शिक्षा के क्षेत्र के साथ-साथ विश्व में कई आयाम ऐसे हैं, जो लैंगिक समस्याओं को उतपन्न कर सकते हैं।

घरेलू कामों का बोझ

कोरोना काल से पहले की बात करें तो हम देख सकते हैं कि भारत के कई परिवार ऐसे हैं, जो अपनी बेटियों से काम करवाने के लिए रविवार का इंतज़ार करते थे। उनका मानना है कि घरेलू काम में महिलाओं की भगीदारी होना ज़रूरी है, जो कहीं से भी सार्थक नज़र नहीं आती है।

महिलाओं और लड़कियों को अधिकांश अवैतनिक घरेलू और चाइल्ड केअर कार्यों में लगाया जाता है। ऐसे कार्य इस दौरान ज़्यादा बढ़ेंगे जब वे घरों में कैद होकर रह जाएंगी। यह तथ्य महिलाओं और किशोरियों को प्रभावित करेंगे। उनके ऊपर आम दिनों के मुकाबले अधिक काम का बोझ बढ़ेगा क्योंकि परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होगी, जिसमें पुरुष और महिला दोनो शामिल होंगे।

अस्पतालों या घरों में एक स्वास्थ्य कर्मी के रूप में कार्य करना

चाहे अस्पताल हो या घर, महिलाओं और लड़कियों को एक स्वास्थ्य कर्मी की तरह काम करना होता है। घर या किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में रहकर उन्हें कोरोना मरीज़ की सहायता करनी होती है। उनका सीधा संपर्क कोरोना वायरस से हो जाता है, क्योंकि वे रोगी के अधिक करीब होती हैं।

उदाहरण के लिए स्पेन और इटली में क्रमशः 72% और 66% संक्रमित स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला हैं, जो वास्तव में एक सोचनीय विचार है।

कोरोना काल में महिलाओं और किशोरियों के साथ घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। जो किशोरियां स्कूल नहीं जा रही हैं, उनको घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। यौन शोषण के भी कई मामले सामने आए हैं, जो वास्तव में चौंकाने वाले हैं।

बात करें आंकड़ों की तो अब तक उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि भारत, अर्जेंटीना, फ्रांस और सिंगापुर जैसे देशों में घरेलू हिंसा की दर में वृद्धि हुई है।

मानसिक प्रताड़ना का जोखिम

इस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी भयंकर महामारी से जूझ रहा है, वहीं लोगों को मानसिक प्रताड़ना का जोखिम भी सता रहा है। इसमें सबसे ज़्यादा प्रभावित स्कूल जाने वाले बच्चे हो रहे हैं, जिनमें बालिकाओं के उपर घरेलू काम का बोझ, यौन शोषण, घरेलू हिंसा आदि अधिक होने के कारण कहीं ना कहीं उनकी मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जो आगे भी जारी रह सकता है।

हम सबको मिलकर इन समस्याओं से खुद को बाहर निकालने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है। वरना हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए मुसीबतों के बांध खुल सकते हैं, जो सचमुच विनाशकारी होगा।

इन समस्याओं को दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?

स्कूल से लड़कियों के लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के बाद वापस लौटने की संभावना कम है। COVID-19 लैंगिक असमानताओं को बढ़ा देगा। ऐसे में सभी समुदायों को शीघ्रता से कार्य करने की ज़रूरत है, जिनमें कई उपाय भी शामिल हैं।

पूरा विश्व जनता है कि इस महामारी ने पूरी दुनिया को बहुत पीछे की ओर धकेल दिया है। हमारे जीवन को सामान्य होने में समय लगेगा मगर यह संभवन ज़रूर है। इसमें गर्ल्स एजुकेशन सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहा है।

अब सरकारों के लिए शिक्षा प्रणालियों को नए सिरे से तैयार करने का समय है ताकि लड़कियों और लड़कों को स्कूल जाने या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिले। जिससे हमारे देश के स्टूडेंट्स अपनी भावी ज़िन्दगी को जीने में सक्षम बन सकें।

नेल्सन मंडेला के एक कथन से मैं लेख समाप्त कर रहा हूं, “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।”


संदर्भ- unwomen.org

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