वैश्विक महामारी कोरोनावायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सभी देशों के वैज्ञानिक इसके वैक्सीन की खोजने में लगे हुए हैं।
इसी क्रम में हाल ही में रूस के एक विश्वविद्यालय ने यह दावा किया है कि उसने कोरोनावायरस की वैक्सीन बना ली है। साथ ही इंसानों पर इसका परीक्षण भी पूरा हो चुका है।
क्या है रूसी वैज्ञानिकों का दावा?
सेचनोव विश्वविद्यालय द्वारा कोरोनावायरस से लड़ने के लिए बनाई गई इस वैक्सीन का नाम Gam-COVID-Vac Lyo है। यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इंसानों पर वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा है।
सेचनोव विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासिटोलॉजी ट्रॉपिकल एंड वेक्टर-बॉर्न डिसीज के निदेशक अलेक्जेंडर लुकाशेव का कहना है, “हमारा मकसद इंसानों को सुरक्षा देने के लिए कोविड-19 की वैक्सीन को सफलतापूर्वक तैयार करना था।”
अलेक्जेंडर के अनुसार, सुरक्षा के हर मानक पर इस वैक्सीन की जांच की जा चुकी है। उन्हें आशा है कि यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसे अनुमति मिल जाती है, तो 13 सितंबर तक यह बाज़ार में भी उपलब्ध होगी।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में होगी सहायक
रूस के रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक अखबार क्रासन्या ज़वेजदा से वैक्सीन बनाने वाले गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा, “पहले और दूसरे चरण का परीक्षण पूरा हो गया है। यह वैक्सीन वायरस से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगी और उसे लम्बे समय तक बरकरार रखेगी।”
अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने यह भी दावा किया है कि हमें इस बात पर विश्वास है कि वैक्सीन अगले दो साल तक कोरोना से बचाएगी।
कब तक मिल सकती है WHO की अनुमति?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुमति के बिना यह वैक्सीन इस्तेमाल में नहीं लाई जा सकती है। इसलिए वैक्सीन बनने के बाद अब इसको विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूरी मिलने का इंतजार है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह इतना भी आसान नहीं होगा। सबसे पहला सवाल यह है कि यह वैक्सीन क्या सभी जगह सफल होने की हो पाएगी?
जानकारों के मुताबिक, इस वैक्सीन का परीक्षण रूस के एक शहर भर में हुआ है, इसलिए इसका दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह देखना बहुत ही महत्वपूर्ण होगा।
रूस बन सकता है कोरोना की वैक्सीन बनाने वाला पहला देश
डब्ल्यूएचओ इसके वैश्विक स्तर पर प्रभाव की जांच के बिना मंजूरी नहीं दे सकता। यह हो सकता है कि इसकी अनुमति से पहले इस वैक्सीन का दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी पहले चिकित्सकीय और मानव परीक्षण किया जाए।
अगर इस वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुमति दे देता है तो रूस कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
इसके अलावा चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और भारत सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने के अलग-अलग परीक्षण चल रहे हैं। कहीं परीक्षण प्रारंभिक चरण, कहीं चिकित्सकीय चरण तो कहीं मानव परीक्षण के चरण में है।