जैसा कि हम सब जानते हैं कोरोना काल में हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। यहां तक जिनकी नौकरी अभी चल रही है उनको भी सैलरी कट जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है जो कि एक गंभीर विषय है। यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में भी कटौती देखने को मिली थी, क्योंकि सरकार के पास भी धीरे-धीरे फंड खत्म हो रहे हैं।
किस पर पड़ा सबसे ज़्यादा असर?
वायरस का सबसे ज़्यादा असर एविएशन, हॉस्पिटैलिटी, शिक्षा, खेलकूद, राष्ट्रीय सम्मेलन, विभिन्न प्रकार के व्यवसाय आदि सहित कई सारे दूसरे क्षेत्र भी प्रभावित हैं। लोगों के कारोबार भी चौपट हो गए। जिन होटल और रेस्टोरेंट्स में जनता पहले खूब जाती थी, आज वही होटल और रेस्टोरेंट भी खाली हैं।
कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था की तो कमर ही तोड़ दी है, जिसका सबसे ज़्यादा असर मध्य वर्ग पर पड़ता है। इस बात पर भी कोई शक नहीं है कि आज भी वही परिस्थितियां है कि अमीर, अमीर होता जा रहा है और गरीब, गरीब होता जा रहा है। इसके अलावा मध्यवर्ग एक ईमानदार टैक्सपेयर के रूप में अपने परिवार को पालने के लिए जी जान लगा रहा है।
13 करोड़ से ज़्यादा लोग हुए है बेरोज़गार
सीएमआई यानी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के अनुसार, लगभग 13 करोड़ लोग बेरोज़गार हुए हैं। सोचने वाली बात यह है कि इनमें से 40 फीसदी यानी 5.25 करोड़ लोग ब्लू कॉलर जॉब वाले थे। ऐसे लोग जो ऑफिस में काम करते हैं।
जब बात बेरोज़गारी की हो, तो हमारे समाज में लोग ज़्यादातर बेरोज़गारों को चिढ़ाने की ही सोच रखते हैं, जिससे व्यक्ति पर कहीं ज़्यादा प्रेशर और दिल को ठेस पहुंचती है। यह भी एक गलत कार्य है।
मध्यम वर्ग यानी मिडिल क्लास की समस्याएं
मध्यम वर्ग भी काफी प्रभावित हुआ है, क्योंकि मिडिल क्लास व्यक्ति को हमेशा अपने वेतन पर ही निर्भर होना होता है। घर चलाने के लिए उसे अपने बच्चे की फीस, घर का किराया और लोन की ईएमआई भी चुकानी पड़ती है।
ऐसे में, अगर नौकरी चली जाए या फिर सैलरी कट जाए, तो इंसान का मानसिक तनाव और चिंता बढ़ने लगती है। इतना ही नहीं इससे इंसान डिप्रेशन और हद से ज़्यादा सोचने पर भी मजबूर हो जाता है । वह भी एक चिंता का विषय ही है ।
वैसे तो सरकार ने लॉकडाउन में लोगों को और उद्योगों को राहत पहुंचाने के लिए 21 लाख करोड़ रुपए का भारी-भरकम पैकेज भी घोषित किया लेकिन सरकार की सूची में मध्य वर्ग को राहत और बचाने के लिए कोई योजना नहीं थी।
मज़दूरों ने झेली लॉकडाउन की मार
अब बात आती है मज़दूरों की जिन्हें हमने लॉकडाउन के दौरान पलायन करते हुए देखा। पूरे देश में लाखों की तादाद में मज़दूरों ने पलायन किया वह भी हज़ार-हज़ार किलोमीटर पैदल चलकर जो यह दर्शाता है कि मज़दूर किस तरह से विवश हो चुके थे।
आने वाले दिनों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी महंगा हो जाएगा, क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना होगा। मध्यम वर्ग और निचले वर्ग पर आर्थिक बोझ मंडराने लगेगा, क्योंकि उनपर ही परिवार का सारा दारोमदार है।
पिछले कुछ दिनों में असाधारण बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलों को भी काफी ज़्यादा नुकसान पहुंचा है। ऐसे में, हमें इस बात की भी तैयारी कर लेनी चाहिए कि अगर फसलों का दाम बढ़ता है, तो हमारी खाने-पीने की चीज़ों के पदार्थों की भी कीमतें बढ़ेंगी और फिर समस्याएं बढ़ेंगी।