दिल बेचारा देखा है, आगे कुछ कहूं उससे पहले यह बताना ज़रूरी है कि रिव्यू नहीं लिख रही मैं! बस यूं ही कुछ बातें शेयर कर रही हूं।
स्क्रीन पर सुशांत के आते ही दिल के पास एक अजीब सी घरघराहट होती है, भावनाओं को रोक पाना मुश्किल होता है और सिनेमा खत्म होते-होते दर्शक आंसूओं से सराबोर होते हैं।
सिनेमा देखते समय एक उलझन होती है
कहानी झारखंड के जमशेदपुर से शुरू होती है, ऐसा लगता है कि सुशांत सिंह अपने होम टाउन में हैं। वही बोलने का टोन, वही जीने का अंदाज़। कई ऐसे दृश्य और डायलॉग्स हैं, जो सुशांत सिंह की खुद की ज़िदंगी को बयां करती हैं।
जैसे कि किज़ी की माँ, मैनी (सुशांत सिंह) से पूछती हैं, “तुम करते क्या हो?” तो वह हंसते हुए कहता है, “मैं एस्ट्रोनॉट हूं, अगले ही हफ्ते नासा जा रहा हूं।” पूरे सिनेमा में एक गाना बैकग्राउंड में बजता रहता है, “तुम ना हुए मेरे तो क्या मैं तुम्हारा…..मैं तुम्हारा…..मैं तुम्हारा।”
मैनी यानी सुशांत सिंह का आखिरी सीन
मैनी, किजी बासू (संजना सांघी) से कहता है, “I Wanted To Attend My Own Funeral. वैसे मुझे पता है कि मैं भूत बनकर यहीं कहीं बैठा रहूंगा।” इतना सुनते ही कलेजा धक्क हो जाता है।
उसके बाद मैनी का दोस्त जे.पी यानाी जगदीश पांडे एक कंडोलेंस स्पीच देता है, यह जताते हुए कि मैनी के जाने बाद वह उसे याद कर रहा है, जेपी कहता है, “मम्मी, पापा, भाई-बहन सब बिहार में रहते हैं। यहां (जमशेदपुर) अकेला आया, उसकी (मैनी) स्माइल कातिल थी। हम भी फिदा हो गए, सारा प्यार मैनी से मिला। साला कुछ साल में हमारा मम्मी-पापा भाई-बहन सब बन गया। कभी लगता है अच्छा हुआ हम अंधे हो गए क्योंकि हमको वो दुनिया देखनी ही नहीं जिसमें हमारा बेस्ट फ्रेंड इमैनुअल राजकुमार जूनियर, मैनी ना हो।”
फिर कीज़ी बासु (संजना सांघी), मैनी (सुशांत सिंह) को याद करते हुए बताती है, “मैं जांबिया से जमशेदपुर आई तो गुस्सा थी, डरी भी कि मेरे साथ ऐसा क्यों? मेरे बाद माँ-बाबा कैसे? इसलिए डरी थी। वह मेरी ज़िदंगी का सबसे एंटर्टेनिंग इंसान है और वही आखिरी हो। वह धीरे-धीरे मेरे जीने की वजह बन गया लेकिन जैसे उसने एंट्री ली, वैसे ही उसने एग्ज़िट कर लिया।”
अपने कंडोलेंस स्पीच को सुनकर मैनी (सुशांत सिंह), एकदम भावुक हो जाता है और दर्शक जो यह दृश्य देख रहे होते हैं, वे स्तब्ध हो जाते हैं।
सैफ अली खान ने सिंगर अभिमन्यु वीर का किरदार निभाया है। कीज़ी अभिमन्यु का गाया हुआ गाना, “तुम ना हुए मेरे तो क्या….मैं तुम्हारा …..मैं तुम्हारा…की दिवानी होती है। कीज़ी और मैनी अभिमन्यु से मिलने पैरिस पहुंचते हैं, कीज़ी अभिमन्यु से पूछती हैं,
आपका गाना अधूरा क्यों है? क्या किसी के जाने बाद जिया जा सकता है?
अभिमन्यु का जवाब होता है, “जब कोई मर जाता है तो उसके साथ जीने की उम्मीद भी मर जाती है लेकिन खुद को मारना साला इलीगल है।”
चिल्लाते हुए अभिमन्यु ने कहा, “गाना अधूरा था, क्योंकि ये साली दुनिया अधूरी है।” हताश कीज़ी, मैनी से कहती है, “लाइफ उस गाने की तरह अधूरी है।”
मैनी जवाब देता है, ‘I Will finish That Song For You’. इसके बाद ही यह गाना शुरू होता है, “खुल के जीने का तरीका तुम्हें सिखाते हैं, हंस के देखो ना लतीफा तुम्हें सुनाते हैं। उमर के साल कितने हैं, गिन-गिन के क्या करना?”
‘दिल बेचारा’ ज़िदंगी के हर एक-एक पल को जीना सिखाती है। मैनी एक ज़िंदादिल इंसान है, जिसने कीज़ी से बेइंतहा मुहब्बत किया और जेपी से दोस्ती।