शायद आपको याद होगा, 10 जनवरी 2020 को नेट फ्लिक्स पर सोमेंद्र पाधी द्वारा निर्देशित एक वेब सीरीज़ जामताड़ा रिलीज हुई थी। यह वेब सीरीज़ देश-विदेश में बहुत पसंद की गई थी। वेब सीरीज़ में झारखंड राज्य के जामताड़ा ज़िले में हो रहे साइबर अपराध को पर्दे पर उतारा गया था।
पूरा गाँव है साइबर अपराध की चपेट में
झारखंड राज्य का संथाल परगना साइबर अपराध का गढ़ बना हुआ है। सिर्फ कुछ एक नंबर घुमाकर घर बैठे अमीर बनने के लालच में युवा अपराधी बन रहे हैं। देवघर, गिरिडीह, जामताड़ा सहित कई ज़िलों में साइबर अपराध चरम पर है।
कई गाँव तो ऐसे हैं, जहां के लोग खेती, मज़दूरी किया करते थे लेकिन अचानक से अपराधी बन बैठे हैं। दसवीं-बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र भी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर साइबर अपराधी बन गए हैं।
लोगों को फ़ोन कर एटीएम कार्ड डिटेल लेकर उनके खाते से पैसा उड़ाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। नशा, छिना-झपटी, मारपीट इन लोगों के लिए आम बात हो गई है।
पुलिस अधीक्षक, देवघर श्री पीयूष पांडेय को प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर साईबर थाना प्रभारी, देवघर के नेतृत्व में टीम बनाकर साईबर ठगों के विरुद्ध छापामारी किया गया, (1/2) @MVRaoIPS ao @DIGDumka @JharkhandPolice pic.twitter.com/1a1huYWLzM
— Deoghar Police (@DeogharPolice) July 27, 2020
नहीं है लोगों को किसी का कोई डर
लोकल पुलिस से भी भय नहीं है, क्योंकि लोकल थाने में हफ्ता बंधा हुआ है। लोकल नेताओं का सहयोग भी काफी मदद करता है। देवघर ज़िला अंतर्गत खरना, खरवाजोरी, पथरा, पथरोल, संघरा, गौनेया, सिमरातरी, चरकमरा, पसिया, जयंतिग्राम, लेड़वा सहित कई गाँव हैं जो मधुपुर, पथरोल, सारठ थाना क्षेत्र में आते हैं।
पूरा का पूरा गाँव ही अपराधी बना हुआ है। लोकल थाने में शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
अपराधिक गतिविधियों से कमाए पैसों से महगें घर बनाए जा रहे हैं। गाड़ियाँ खरीदी जा रही हैं। रेडलाइट एरिया से लड़कियाँ बुलाई जा रही हैं और भी कई गैर-कानूनी काम किए जा रहे हैं।
इन अपराधियों के लिए राह चलते लोगों के साथ मारपीट, छिनैती करना, धमकी देना अब आम बात हो चली है। इनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता है। अगर गिरफ्तारी होती भी है, तो वापस बेल पर छूटने के बाद पुनः वही सब काम दोबारा किए जाते हैं।
रोज-रोज नए लोग बन रहे हैं अपराधी
लोगों की जानकारी विभिन सरकारी योजना पोर्टल से निकाल कर उन्हें उसी योजना संबंधित अधिकारी बन कर लालच देते हैं और उनके एकाउंट से रुपए की ठगी करते हैं। उनके पास फर्ज़ी सिम कार्ड, मोबाइल सहित स्वाइप मशीन, नोट काउंटर मशीन भी उपलब्धल होती है।
कुछ लोगों के घरों में कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी में है, बाकी सभी साइबर अपराधी बन बैठे हैं। पुलिस को शक ना हो इसलिए सभी प्रॉपर्टी को उस नौकरी वाले के नाम पर दर्शाया जाता है। इस तरह कल तक गाँव के भोले-भाले लोग अब धीरे-धीरे शातिर अपराधी बन रहे हैं। यह बहुत निराशाजनक और दुखद है।
इसकी ज़िम्मेदार आखिरी कौन है? क्योंकि इन अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है? पुलिस प्रशासन आखिर कब तक इंतज़ार करती रहेगी? कब इन्हें गिरफ्तार किया जाएगा?